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राष्ट्रीय अपराध रिकॉर्ड ब्यूरो की रिपोर्ट में यूपी टॉपर पर

raghvendra
Published on: 25 Oct 2019 8:37 AM GMT
राष्ट्रीय अपराध रिकॉर्ड ब्यूरो की रिपोर्ट में यूपी टॉपर पर
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नई दिल्ली: नेशनल क्राइम रिकार्ड ब्यूरो या एनसीआरबी की ताजा रिपोर्ट के मुताबिक आर्थिक अपराध, अपहरण, साइबर अपराध या महिलाओं-बच्चों के खिलाफ अपराध, उत्तर प्रदेश सबमें आगे है।

रिपोर्ट बताती है कि देश भर में महिलाओं के खिलाफ होने वाले अपराधों की संख्या में काफी बढ़ोतरी हुई है और यह वृद्धि लगभग सभी राज्यों में हुई है। देश भर में साल 2017 में महिलाओं के खिलाफ अपराध के 3,59,849 मामले दर्ज किए गए। 2015 में महिलाओं के खिलाफ अपराध के 3,29,243 मामले दर्ज किए गए थे जबकि 2016 में 3,38,954 मामले दर्ज हुए थे। महिलाओं के खिलाफ अपराध के दर्ज मामलों में हत्या, बलात्कार, दहेज हत्या, आत्महत्या के लिए उकसाना, एसिड हमले जैसे अपराध शामिल हैं। एनसीआरबी के आंकड़ों के मुताबिक महिलाओं के खिलाफ अपराध के मामलों में भी उत्तर प्रदेश सबसे आगे है जबकि महाराष्ट्र दूसरे नंबर पर है। उत्तर प्रदेश में इस तरह के 56,011 जबकि महाराष्ट्र में 31,979 मामले दर्ज किए गए।

राष्ट्रीय अपराध रिकॉर्ड ब्यूरो ने एक साल की देरी के बाद 2017 के आंकड़े जारी किए हैं। इसके मुताबिक देश भर में संज्ञेय अपराध के 50 लाख केस दर्ज हुए, जो कि 2016 की तुलना में 3.6 फीसदी ज्यादा हैं। इस दौरान हत्या के मामलों में 3.6 फीसदी की कमी आई है जबकि अपहरण के मामले नौ फीसदी बढ़ गए।

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एनसीआरबी के मुताबिक भारतीय दंड संहिता यानी आईपीसी के तहत देश भर में कुल 30,62,579 मामले दर्ज हुए, जबकि 2016 में यह आंकड़ा 29,75,711 था। जहां तक राज्यों का सवाल है तो इस मामले में उत्तर प्रदेश सबसे आगे है जहां कुल मामलों के करीब दस फीसदी यानी 3,10,084 केस दर्ज हुए। यूपी के बाद नंबर महाराष्ट्र, मध्य प्रदेश, केरल और दिल्ली का है।

हत्या के केस यूपी में घटे

एनसीआरबी के आंकड़ों के मुताबिक 2017 में हत्या के कुल 28,653 मामले दर्ज किए गए। उत्तर प्रदेश में 2016 की तुलना में हत्या के मामलों में कमी आई है, जबकि बिहार में यह आंकड़ा बढ़ा है। कमी के बावजूद देश भर में उत्तर प्रदेश पहले स्थान पर रहा है जबकि केंद्र शासित प्रदेशों में इस मामले में दिल्ली अव्वल है।

महाराष्ट्र भष्ट्राचार में सबसे आगे

भ्रष्टाचार के सबसे ज्यादा मामले महाराष्ट्र में दर्ज हुए जबकि ओडिशा दूसरे नंबर पर रहा। आंकड़ों के मुताबिक 2017 में भ्रष्टाचार रोकथाम अधिनियम व संबंधित धाराओं में कुल 4,062 मामले दर्ज हुए जिनमें महाराष्ट्र सबसे ऊपर रहा। कर्नाटक में मामले तो कम दर्ज हुए लेकिन बढ़ोतरी सबसे ज्यादा दर्ज की गई। 2016 में 25 मामलों की तुलना में 2017 में यहां भ्रष्टाचार के 289 मामले दर्ज हुए। सिक्किम एकमात्र ऐसा राज्य रहा जहां इस मामले में एक भी केस दर्ज नहीं हुआ।

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तेजी से बढ़ा साइबर क्राइम

एनसीआरबी के मुताबिक देशभर में साइबर अपराध के आंकड़े तेजी से बढ़े हैं। 2016 में जहां कुल 12,137 मामले दर्ज हुए थे, वहीं 2017 में 21,796 केस दर्ज किए गए।

साइबर अपराधों के मामलों में भी यूपी शीर्ष पर और महाराष्ट्र दूसरे नंबर पर है। रिपोर्ट में बताया गया है कि 2016 के मुकाबले 2017 में सरकार के खिलाफ हुए अपराधों की संख्या में 30 फीसदी की बढ़ोतरी हुई है जिसमें देशद्रोह और सरकारी संपत्ति को नुकसान पहुंचाने जैसे मामले शामिल हैं।

बच्चों के खिलाफ अपराध बढ़े

एनसीआरबी के अनुसार देश में बच्चों के खिलाफ अपराधों में खासी बढ़ोतरी हुई है। जहां २०१५ में ९४,१७२ अपराध दर्ज किये गये थे वहीं २०१६ में इनकी संख्या १,०६,९५८ और २०१७ में १,२९,०३२ हो गई। भारत में प्रति एक लाख बच्चों पर २८.९ मामले दर्ज हुए जबकि २०१६ में ये संख्या २४ थी। उत्तर प्रदेश और मध्य प्रदेश में १४.८ फीसदी मामले दर्ज किये गये जो देश में सर्वाधिक है। आंकड़े बढऩे का एक कारण लोगों में जागरूकता का बढऩा है। बच्चों के खिलाफ मामलों में यूपी टॉप पर, दूसरे नंबर पर मध्य प्रदेश, तीसरे पर महाराष्ट्र, चौथे पर दिल्ली और पांचवें नंबर पर छत्तीसगढ़ है।

अपहरण के 21 फीसदी मामले यूपी में

देश में दर्ज अपहरण के कुल मामलों में से करीब 21 फीसदी मामले अकेले यूपी में ही दर्ज किए गए। यहां 2016 के मुकाबले चार हजार मामले ज्यादा दर्ज हुए। 2017 में अपराध के दर्ज मामलों की संख्या 19,921 रही। इस मामले में भी यूपी के बाद महाराष्ट्र का ही नंबर रहा है। तीसरे नंबर पर बिहार है। खास बात यह है कि इस मामले में पांचवें नंबर पर आने वाली राजधानी दिल्ली में अपहरण के मामलों में कमी आई है। दिल्ली में अपहरण के दर्ज मामलों की संख्या 2016 में जहां 6,619 थी वहीं 2017 में घटकर 6,095 रह गई।

एनसीआरबी

नेशनल क्राइम रिकॉर्ड ब्यूरो यानी एनसीआरबी देश भर में अपराध के आंकड़ों का ब्योरा रखने वाली संस्था है जो हर साल अपराध से संबंधित आंकड़े जारी करती है। ब्यूरो की स्थापना वर्ष 1986 में अपराध और अपराधियों की सूचना के संग्रह और स्रोत के रूप में की गई थी जिससे कि अपराध को अपराधियों से जोडऩे में खोजकर्ताओं को सहायता मिल सके। यह संस्था देश के गृह मंत्रालय के अधीन काम करती है।

आर्थिक अपराध

देश में जितने आर्थिक अपराध होते हैं उनमें दो तिहाई उत्तर प्रदेश, राजस्थान, महाराष्ट्र और तेलंगाना में होते हैं। आंकड़े के अनुसार, भारत भर में २०१७ में १,४८,९७२ आर्थिक अपराध रिपोर्ट किये गये जबकि २०१६ में इनकी संख्या १,४३,५२४ थी। २०१५ में उनकी संख्या १,५०,१७० रही थी। २०१७ में सबसे ज्यादा आर्थिक अपराध, जिनमें जालसाजी, धोखाधड़ी और फ्रॉड शामिल है, उत्तर प्रदेश (१३.९ फीसदी) और राजस्थान (१४.५ फीसदी) से रिपोर्ट किये गये। इनके बाद बंगाल, बिहार, कर्नाटक और असम का नंबर रहा। इन आठ राज्यों में कुल आर्थिक अपराधों का ६७.२ फीसदी हिस्सा रहा। प्रति एक लाख की आबादी पर आर्थिक अपराधों का आंकड़ा तेलंगाना और राजस्थान में सबसे ज्यादा (२९.२ फीसदी) रहा।

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आर्थिक अपराध के मामले में शासित प्रदेश सबसे ठीक स्थिति में रहे। इनके अलावा अरुणाचल प्रदेश, गोवा, मणिपुर, मेघालय, मिजोरम, नगालैंड, सिक्किम और त्रिपुरा में भी इनका आंकड़ा कम रहा।

देश में आर्थिक अपराधों के आंकड़ों के विश्लेषण से पता चलता है कि २०१७ में ९१ हजार दर्ज मामलों में पैसे या संपत्ति का नुकसान हुआ। इसमें आधे मामले एक लाख रुपए से कम संपत्ति के थे। २९,५०० मामले एक से दस लाख रुपये तक के और २१ मामले १०० करोड़ रुपए से अधिक रकम से संबंधित थे।

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राघवेंद्र प्रसाद मिश्र जो पत्रकारिता में डिप्लोमा करने के बाद एक छोटे से संस्थान से अपने कॅरियर की शुरुआत की और बाद में रायपुर से प्रकाशित दैनिक हरिभूमि व भाष्कर जैसे अखबारों में काम करने का मौका मिला। राघवेंद्र को रिपोर्टिंग व एडिटिंग का 10 साल का अनुभव है। इस दौरान इनकी कई स्टोरी व लेख छोटे बड़े अखबार व पोर्टलों में छपी, जिसकी काफी चर्चा भी हुई।

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