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कब मरेगा बलात्कार का राक्षस: बद से बदतर होते हालात, लोगों में बढ़ता गुस्सा

'राष्ट्रीय अपराध रिकॉर्ड ब्यूरो के आंकड़ों के मुताबिक, साल 2019 में भारत में महिलाओं एवं दलितों के खिलाफ अपराध में सात फीसदी से अधिक की वृद्धि हुई है। इस दौरान बलात्कार के प्रतिदिन कम से कम 87 मामले सामने आए हैं।

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Published on: 3 Oct 2020 6:57 PM IST
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कब मरेगा बलात्कार का राक्षस: बद से बदतर होते हालात, लोगों में बढ़ता गुस्सा

विशेष प्रतिनिधि

लखनऊ। यूपी में कानून व्यवस्था के हालात बद से बदतर होती जा रही है। राज्य सरकार के बडे बडे दावों के बाद भी अपराध थमने का नाम नहीं ले रहे हैं। अभी हाथरस का मामला पूरी तरह से ठंडा भी नहीं हो पाया था कि बलरामपुर में उसी तर्ज पर एक दलित युवती के साथ हुए वीभत्स बलात्कार के बाद सरकार के कामकाज के तरीके पर सवाल खड़े हो गए हैं। पुलिस का हाल यह है कि वह बेपरवाह होकर कानून की खुलेआम धज्जियां उड़ाने पर आमादा है।

'राष्ट्रीय अपराध रिकॉर्ड ब्यूरो' के आंकड़ों के मुताबिक, साल 2019 में भारत में महिलाओं एवं दलितों के खिलाफ अपराध में सात फीसदी से अधिक की वृद्धि हुई है। इस दौरान बलात्कार के प्रतिदिन कम से कम 87 मामले सामने आए हैं। उत्तर प्रदेश में साल दर साल महिलाओं के ख़िलाफ़ अपराध के मामले बढ़ते ही जा रहे हैं।'

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लोगों में गुस्सा

हाथरस, बलरामपुर, बुलंदशहर आदि जगहों में एक के बाद एक गैंगरेप की घटना से पूरे देश में आक्रोश है। लोग लगातार आरोपियों को फांसी की सजा देने की मांग कर रहे हैं। उत्तर प्रदेश में महिलाओं एवं दलितों के खिलाफ अपराध की स्थिति हाल ही में प्रकाशित राष्ट्रीय अपराध रिकॉर्ड ब्यूरो (एनसीआरबी) की एक रिपोर्ट से स्पष्ट रूप से पता चलती है। इसके मुताबिक साल 2019 में उत्तर प्रदेश में महिलाओं एवं दलितों के खिलाफ अपराध के सर्वाधिक मामले सामने आए हैं।

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उत्तर प्रदेश में महिलाओं के खिलाफ अपराध के 59,445 मामले

भारत में 2019 में महिलाओं के खिलाफ अपराध के कुल 405,861 मामले दर्ज हुए, जिसमें से 59,853 मामले अकेले उत्तर प्रदेश में दर्ज किए गए थे। यह संख्या देश में कुल मामलों का 14.7 फीसदी है, जो कि किसी भी राज्य की तुलना में सर्वाधिक है। यानी उत्तर प्रदेश में महिलाओं के खिलाफ रोजाना औसतन 163 आपराधिक वारदातें हुईं। 2018 में उत्तर प्रदेश में महिलाओं के खिलाफ अपराध के 59,445 मामले और साल 2017 में 56,011 मामले सामने आए थे। यह दर्शाता है कि साल दर साल राज्य में महिलाओं के खिलाफ अपराध के मामले बढ़ते ही जा रहे हैं।

आजमगढ़, बुलंदशहर, बलरामपुर और फतेहपुर से रेप की थर्रा देने वाली घटनाएं

महिलाओं के खिलाफ अपराध की राज्यवार लिस्ट में उत्तर प्रदेश टॉप पर है। वहां साल भर में महिलाओं पर अत्याचार के 59,853 केस सामने आए हैं। ये आंकड़े पिछले साल के ही हैं, लेकिन ये आंकड़े सरकार के सामने सवाल ये उठाते हैं कि क्या उत्तर प्रदेश ने इस मामले में सुधार किया है? ये आंकड़े भी पुलिस में दर्ज मामलों के हैं। बिना दर्ज मामलों की संख्या भी बहुत होने का अनुमान है। यूपी में आजमगढ़, बुलंदशहर, बलरामपुर और फतेहपुर से रेप की थर्रा देने वाली घटनाएं सामने आ चुकी हैं। इनमें 8 और 14 साल ही मासूम बच्चियों के साथ दरिंदगी की गयी।

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महिलाओं के खिलाफ अपराध 7.3 फीसदी बढ़े

एनसीआरबी के आंकड़ों के मुताबिक, देशभर में 2018 के मुकाबले 2019 में महिलाओं के खिलाफ अपराध के मामलों में 7.3 फीसदी की वृद्धि दर्ज की गई है।, प्रति लाख आबादी पर महिलाओं के खिलाफ अपराध की दर के लिहाज से देखें तो इस लिस्ट में असम सबसे ऊपर है। वहां पिछले साल प्रति लाख महिलाओं में 117.8 महिलाएं हैवानियत की शिकार हुई थीं।

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किस तरह के, कितने अपराध

महिलाओं के खिलाफ अपराध के ज्यादातर मामले दो भारतीय दंड संहिता के तहत दर्ज किए गए हैं, जो कि इस प्रकार से हैं -

- 30.9 फीसदी पति या रिश्तेदार की क्रूरता।

- 21.8 फीसदी इज्जत लूटने के इरादे से महिलाओं पर हमला।

- 17.9 फीसदी महिलाओं का अपहरण और अगवा।

- 7.9 फीसदी बलात्कार के केस।

राजस्थान और केरल

एनसीआरबी के ताजा आंकड़ों के मुताबिक, राजस्थान में बलात्कार के सबसे ज्यादा 5,997 केस दर्ज करवाए गए हैं, जबकि मध्य प्रदेश 2,485 रेप केस के साथ इस लिस्ट में तीसरे नंबर पर है। केरल प्रति लाख आबादी पर महिलाओं के रेप केस में दूसरे स्थान पर है। वहां प्रति लाख आबादी पर 11.1 महिलाओं का रेप हुआ। वहीं, 15.9 की दर से राजस्थान इस लिस्ट में टॉप पर है।

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हाल-ए-यूपी

-2019 के दौरान एससी/एसटी समुदाय के लोगों के खिलाफ 11,829 मामले अकेले उत्तर प्रदेश में दर्ज किए गए। यह संख्या देश में कुल मामलों की तुलना में 25.8 फीसदी है, जो कि सर्वाधिक है।

-उत्तर प्रदेश में साल 2018 में एससी/एसटी समुदाय के खिलाफ अपराध के 11,924 मामले और साल 2017 में 11,444 मामले सामने आए थे।

- 2019 में यूपी में बलात्कार के 3065 केस अकेले उत्तर प्रदेश में दर्ज किए गए जो कि कुल मामलों का करीब 10 फीसदी है। इसमें से 270 मामले नाबालिग के साथ बलात्कार के थे। बलात्कार की कोशिश के 358 केस उत्तर प्रदेश में दर्ज हुए।

- उत्तर प्रदेश में पॉस्को अधिनियम के तहत नाबालिगों के खिलाफ अपराध के सबसे ज्यादा 7,444 मामले दर्ज किए गए।

- उत्तर प्रदेश में दहेज के 2,410 मामले दर्ज किए गए। देश के अन्य राज्यों की तुलना में प्रति एक लाख की आबादी में इसकी दर सर्वाधिक 2.2 प्रतिशत रही।

- 2019 में एसिड अटैक के 42 केस उत्तर प्रदेश में दर्ज हुए थे।



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