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National Girl Child Day: क्यों मनाया जाता है राष्ट्रीय बालिका दिवस, कब हुई शुरुआत
24 जनवरी को साल 1966 में इंदिरा गांधी ने भारत की पहली महिला प्रधानमंत्री के तौर पर शपथ ली थी। इस दिन राज्य सरकारें की तरफ से कई जागरुक कार्यक्रमों को भी आयोजन किया जाता है।
नई दिल्ली: भारत में हर साल 24 जनवरी को नेशनल गर्ल चाइल्ड डे ( राष्ट्रीय बालिक दिवस) मनाया जाता है। बालिका दिवस की शुरुआत 2008 में महिला और बाल विकास मंत्रालय की तरफ से की गई थी। इसका उद्देश्य बालिकाओं के साथ होने वाले भेदभाव के प्रति लोगों को जागरुक करना है और समान अधिकार दिलाना। 2008 से राष्टीय बालिक देश पूरे देश में मनाया जाने लगा है।
24 जनवरी को साल 1966 में इंदिरा गांधी ने भारत की पहली महिला प्रधानमंत्री के तौर पर शपथ ली थी। इस दिन राज्य सरकारें की तरफ से कई जागरुक कार्यक्रमों को भी आयोजन किया जाता है। इसके माध्यम से लड़कियों और महिलाओं से जुड़े कई अहम मुद्दों को उठाया जाता है। महिलाओं के प्रति होने वाली कई अमानवीय प्रथाओं जैसे भ्रूण हत्या में कमी आई है।
राष्ट्रीय बालिक दिवस के अवसर पर लड़कियों की सुरक्षा, शिक्षा, लिंग अनुपात, स्वास्थ्य जैसे मुद्दों पर कई तरह के अभियान चलाए जाते हैं। लोगों को नुक्कड़ नाटकों के जरिए जागरुक किया जाता है। गांव ही नहीं बल्कि पढ़े लिखे परिवार में भी महिलाओं को लिंगभेद का सामना करना पड़ता है।
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बालिका दिवस मनाने का उद्देश्य
राष्ट्रीय बालिका दिवस मनाने का उद्देश्य लोगों के बीच लड़कियों के अधिकार को लेकर जागरूकता फैलाना, लड़कियों को नया अवसर मुहैया कराना और समान अधिकार देना है। इसके साथ ही यह भी सुनिश्चित करना कि हर लड़की को मानवीय अधिकार मिले। इसके जरिए लोगों को लैंगिक असमानता को लेकर जागरूकता करना। बालिकाओं की समस्या का समाधान हो सके।
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देश में कई मौके पर होता है कन्या पूजन
भारत में नवरात्रि से लेकर कई मौकों पर कन्या का पूजन किया जाता है, लेकिन अगर घर में बेटी पैदा हो जाती है, तो कई लोग निराश हो जाते हैं, लेकिन बेटे के जन्म पर जश्न मनाया जाता है। यह स्थिति देश के करीब-करीब सभी इलाकों में देखने को मिलती है। हरियाणा और राजस्थान का लिंगानुपात वहां की स्थिति बयान करते हैं। लड़कियों के प्रति समाज में कई तरह की कुरीतियां हैं। सरकार राष्ट्रीय बालिका दिवस के जरिए बालिकाओं को उन कुरीतियों से छुटकारा दिलाने की कोशिश कर रही है।
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