TRENDING TAGS :

Aaj Ka Rashifal

NDA Meeting: चिराग पासवान की शर्त से फंसा पेंच,बैठक से पहले मांगीं लोकसभा की 6 सीटें,चाचा पारस भी सुलह के लिए तैयार नहीं

NDA Meeting: चिराग के चाचा और केंद्रीय मंत्री पशुपति कुमार पारस ने भतीजे चिराग के साथ सुलह करने से इनकार कर दिया है।

Anshuman Tiwari
Published on: 17 July 2023 11:17 AM IST (Updated on: 17 July 2023 11:54 AM IST)
NDA Meeting: चिराग पासवान की शर्त से फंसा पेंच,बैठक से पहले मांगीं लोकसभा की 6 सीटें,चाचा पारस भी सुलह के लिए तैयार नहीं
X
NDA Meeting (Image: Social Media)

NDA Meeting: राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (NDA) की 18 जुलाई को होने वाली बैठक से पहले लोक जनशक्ति पार्टी (रामविलास) के नेता चिराग पासवान ने भाजपा नेतृत्व के सामने बड़ी शर्त रख दी है। चिराग पासवान की इस शर्त के कारण बैठक में उनकी हिस्सेदारी को लेकर बड़ा पेंच फंस गया है। चिराग पासवान ने लोकसभा चुनाव में अपनी पार्टी के लिए 6 सीटों की मांग की है। इसके साथ ही उन्होंने राज्यसभा की एक सीट देने की मांग भी रख दी है।

दूसरे और चिराग के चाचा और केंद्रीय मंत्री पशुपति कुमार पारस ने भतीजे चिराग के साथ सुलह करने से इनकार कर दिया है। इसके साथ ही हाजीपुर लोकसभा सीट को लेकर भी चाचा-भतीजे के बीच जंग जारी है। पारस हाजीपुर लोकसभा सीट पर अपनी दावेदारी छोड़ने को तैयार नहीं हैं जबकि चिराग पासवान भी उसी सीट से चुनाव लड़ने पर अड़े हुए हैं। चाचा-भतीजे की इस लड़ाई ने भाजपा की मुश्किलें बढ़ा दी हैं।

2021 में टूट के बाद हालात बदले

दरअसल 2019 के लोकसभा चुनाव के दौरान भाजपा नेतृत्व की ओर से लोजपा को बिहार में लोकसभा की 6 सीटों पर चुनाव लड़ने का मौका दिया गया था। लोजपा इन सभी सीटों पर जीत हासिल करने में कामयाब रही थी। इसी आधार पर चिराग पासवान की ओर से 2024 की सियासी जंग के दौरान भी छह लोकसभा सीटों की मांग की गई है। वैसे 2019 के बाद सियासी हालात काफी बदल चुके हैं।

चिराग के चाचा पशुपति कुमार पारस की अगुवाई में 2021 में लोजपा में बड़ी टूट हुई थी। पारस ने राष्ट्रीय लोक जनशक्ति पार्टी का गठन करते हुए एनडीए से हाथ मिला लिया था। इस सियासी बदलाव के बाद पारस को मोदी सरकार में कैबिनेट मंत्री भी बनाया गया था। दूसरी ओर चिराग पासवान ने लोक जनशक्ति पार्टी (रामविलास) का गठन किया था।

चिराग पासवान ने रखी बड़ी शर्त

वैसे सियासी मजबूती के लिहाज से पारस गुट चिराग पासवान पर भारी पड़ा था। लोक जनशक्ति पार्टी के 6 में से पांच सांसद उनकी अगुवाई वाले गुट में शामिल हो गए थे जबकि दूसरी ओर चिराग पासवान सांसद के रूप में अकेले बच गए थे। इसके बावजूद चिराग पासवान की ओर से भाजपा नेतृत्व के सामने अपनी पार्टी के लिए छह लोकसभा सीटों की शर्त रखी गई है। इसके साथ ही उन्होंने राज्यसभा की एक सीट देने की मांग भी रख दी है।

भाजपा नेतृत्व की ओर से चाचा और भतीजे के बीच सुलह कराने की कोशिशों की जा रही हैं मगर अभी तक इस काम में कामयाबी नहीं मिल सकती है। भाजपा के शीर्ष नेतृत्व ने केंद्रीय गृह राज्य मंत्री नित्यानंद राय को यह जिम्मेदारी सौंपी है। नित्यानंद राय चिराग पासवान और पशुपति पारस से अलग-अलग मुलाकात कर चुके हैं मगर उनका यह मिशन अभी तक कामयाब नहीं हो सका है।

हाजीपुर सीट को लेकर भी चाचा-भतीजे में जंग

चाचा और भतीजे के बीच हाजीपुर लोकसभा सीट को लेकर भी जंग छिड़ी हुई है। पारस का कहना है कि 2019 के लोकसभा चुनाव के दौरान वे हाजीपुर लोकसभा सीट से चुनाव लड़ने के इच्छुक नहीं थे मगर भइया रामविलास पासवान के निर्देश पर उन्होंने हाजीपुर से चुनाव लड़कर जीत हासिल की थी। इस कारण वे 2024 के लोकसभा चुनाव के दौरान हाजीपुर सीट पर अपनी दावेदारी छोड़ने को तैयार नहीं है।

दूसरी ओर चिराग पासवान ने भी हाजीपुर लोकसभा सीट से चुनाव लड़ने का ऐलान कर रखा है। चिराग का कहना है कि इस सीट पर उनके पिता रामविलास पासवान ने कई बार जीत हासिल की थी और वे पिता की इस विरासत को छोड़ नहीं सकते। वे भी लगातार हाजीपुर लोकसभा क्षेत्र में सक्रिय बने हुए हैं। इस कारण हाजीपुर सीट को लेकर चाचा और भतीजे के बीच जंग छिड़ गई है।

पारस भतीजे के साथ सुलह को तैयार नहीं

इसके साथ ही पशुपति पारस अपने भतीजे चिराग पासवान के साथ सुलह करने को तैयार नहीं हैं। उनका कहना है कि लोक जनशक्ति पार्टी में विभाजन के समय सिर्फ दल ही नहीं टूटा था बल्कि उनका दिल भी टूटा था। उनका कहना है कि वे इस जीवन में चिराग पासवान के साथ सुलह करने के लिए तैयार नहीं हैं। केंद्रीय गृह राज्य मंत्री नित्यानंद राय ने गत 14 जुलाई को पशुपति पारस से मुलाकात की थी मगर इस मुलाकात के दौरान पारस ने चिराग पासवान के साथ सुलह से स्पष्ट तौर पर इनकार कर दिया।

ऐसे में भाजपा का नेतृत्व की मुश्किलें बढ़ गई हैं क्योंकि पार्टी नेतृत्व के लिए चिराग पासवान को अकेले छह लोकसभा सीट देना संभव नहीं है। अब देखने वाली बात यह होगी कि भाजपा का शीर्ष नेतृत्व चिराग और पशुपति पारस को मनाने में कहां तक कामयाब हो पाता है।



\
Anshuman Tiwari

Anshuman Tiwari

Next Story