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Cyber Fraud Alert: सावधान! बच कर रहें साइबर हैकिंग फ्रॉड से, नोट कर लें ये नंबर
Cyber Fraud Alert: आपके फ़ोन या वेबसाइट को कब कहाँ और कैसे हैक कर लिया जाए कुछ कहा नहीं जा सकता। स्मार्टफोन किसी पब्लिक प्लेस में चार्जिंग में लगाने पर हैक हो सकता है।
Cyber Fraud Alert: अब साइबर फ्रॉड और ठग आर्टीफीशियल इंटेलिजेंस का इस्तेमाल करके लूट रहे हैं। भारत में इस साल के पहले छह महीनों में वित्तीय संस्थानों से संबंधित 4.29 लाख से अधिक साइबर सुरक्षा घटनाएं हुईं हैं। केंद्र सरकार ने बताया है कि केंद्र और विभिन्न राज्य सरकारों के तहत मंत्रालयों और विभागों की कम से कम 36 वेबसाइटों को 2023 के पहले छह महीनों में हैकिंग की घटनाओं का सामना करना पड़ा है।
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आपके फ़ोन या वेबसाइट को कब कहाँ और कैसे हैक कर लिया जाए कुछ कहा नहीं जा सकता। स्मार्टफोन किसी पब्लिक प्लेस में चार्जिंग में लगाने पर हैक हो सकता है, आपने किसी अनजान व्यक्ति को फोन दिया तो वह सेकेंडों में हैक किया जा सकता है।
चार्जिंग पोर्ट स्कैम
साइबर फ्रॉड का एक नया तरीका चार्जिंग पोर्ट के रूप में सामने आया है। आमतौर पर स्टेशनों और अन्य सार्वजनिक क्षेत्रों में पाए जाने वाले सामान्य से दिखने वाले सार्वजनिक चार्जिंग पोर्ट भी अब संवेदनशील जानकारी चुराने के काम में लाये जा रहे हैं। दरअसल, स्कैमर्स 'जूस जैकिंग' नामक तकनीक का उपयोग कर रहे हैं, जहां वे यूजर्स के स्मार्टफोन और अन्य उपकरणों को हैक करने के लिए सार्वजनिक चार्जिंग पोर्ट का फायदा उठाते हैं, और निजी जानकारी तक पहुंच जाते हैं। यह घोटाला न केवल भारत में बल्कि दुनिया भर में व्यापक हो गया है। अमेरिका में तो एफबीआई ने पब्लिक चार्जिंग पॉइंट का उपयोग करने के संभावित जोखिमों के बारे में चेतावनी जारी की थी। एफबीआई ने लोगों को सलाह दी कि वे मॉल और बाजारों जैसी जगहों पर मिलने वाले सार्वजनिक चार्जर पर निर्भर रहने के बजाय अपने स्वयं के पावर बैंक ले जाएं।
155260 हेल्पलाइन
केंद्र सरकार ने साइबर धोखाधड़ी के कारण होने वाले वित्तीय नुकसान को रोकने के लिए राष्ट्रीय हेल्पलाइन 155260 और रिपोर्टिंग प्लेटफॉर्म का संचालन 2021 में शुरू किया था। हेल्पलाइन 155260 और इसके रिपोर्टिंग प्लेटफॉर्म को भारतीय साइबर अपराध समन्वय केंद्र द्वारा भारतीय रिजर्व बैंक, सभी प्रमुख बैंकों, भुगतान बैंकों, वॉलेट और ऑनलाइन व्यापारियों के सक्रिय समर्थन और सहयोग से चालू किया गया है। नागरिक वित्तीय साइबर धोखाधड़ी रिपोर्टिंग और प्रबंधन प्रणाली को कानून प्रवर्तन एजेंसियों और बैंकों और वित्तीय मध्यस्थों को एकीकृत करने के लिए इस सिस्टम को इन-हाउस डेवलप किया गया है।
कैसे काम करती है ये सेवा
- साइबर धोखाधड़ी के शिकार लोग हेल्पलाइन नंबर 155260 पर कॉल करते हैं। ये नम्बर संबंधित राज्य पुलिस द्वारा ऑपरेट होता है।
- कॉल करने पर पुलिस ऑपरेटर धोखाधड़ी लेनदेन विवरण और कॉल करने वाले की बुनियादी व्यक्तिगत जानकारी को नोट करता है और उन्हें सिटीजन फाइनेंशियल साइबर फ़्रॉड्स रिपोर्टिंग एंड मैनेजमेंट सिस्टम पर भेजता है।
- इसके बाद जानकारी संबंधित बैंकों, वॉलेट्स, व्यापारियों आदि को भेजी जाती है।
- संबंधित बैंक रिपोर्टिंग पोर्टल पर अपने डैशबोर्ड पर शिकायत देखते हैं और वे अपने आंतरिक सिस्टम में विवरण की जांच करते हैं। अगर धोखाधड़ी का पैसा अभी भी उपलब्ध है, तो बैंक इसे रोक देता है, यानी जालसाज़ पैसा नहीं निकाल सकता है। यदि धोखाधड़ी का पैसा किसी अन्य बैंक में चला गया है, तो शिकायत अगले बैंक में चली जाती है जिसमें पैसा गया है। ये कर्म तबतक आगे बढ़ता है जबतक पैसे को ट्रैक नहीं कर लिया जाता।