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कृषि विधेयकों पर आज राज्यसभा में आर-पार की जंग, सत्ता पक्ष-विपक्ष की मोर्चाबंदी
भाजपा और कांग्रेस दोनों की ओर से इन विधायकों को लेकर मोर्चाबंदी की गई है और सभी सांसदों को सदन में मौजूद रहने का व्हिप जारी किया गया है।
अंशुमान तिवरी
नई दिल्ली: कृषि से जुड़े तीनों विधेयकों पर किसानों की बढ़ती नाराजगी और विपक्ष की लामबंदी के बीच आज इन विधेयकों को चर्चा और मतदान के लिए राज्यसभा में पेश किया जाएगा। लोकसभा में इन विधेयकों को पहले ही पारित किया जा चुका है। मगर राज्यसभा में इन्हें पारित कराना सरकार के लिए बड़ी चुनौती बन गया है। भाजपा और कांग्रेस दोनों की ओर से इन विधेयकों को लेकर मोर्चाबंदी की गई है और सभी सांसदों को सदन में मौजूद रहने का व्हिप जारी किया गया है। विधेयकों को लेकर एनडीए में भी फूट पैदा हो गई है और अकाली दल ने इन पर गहरी नाराजगी जताई है। पक्ष और विपक्ष की जबर्दस्त मोर्चाबंदी को देखते हुए यह तय माना जा रहा है कि इन विधेयकों को लेकर आज आर-पार की जंग होगी।
विधेयक पारित कराने को भाजपा सक्रिय
लोकसभा में आसानी से कृषि विधेयकों को पारित कराने के बाद अब सरकार का पूरा ध्यान इन्हें राज्यसभा में पारित कराने पर टिका है। भाजपा ने अपने सभी सांसदों को रविवार को सदन में मौजूद रहने की हिदायत दी है। इसके साथ ही दूसरे दलों का समर्थन पाने की कोशिशों भी भीतर ही भीतर चल रही है।
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कृषि विधेयकों पर आज आर-पार की जंग (फाइल फोटो)
अकाली दल के इस मुद्दे पर विरोध जताने के बाद सरकार की ओर से विशेष सतर्कता बरती जा रही है। जानकारों का कहना है कि रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने इस बाबत शिवसेना और एनसीपी की नेताओं से बातचीत की है और विधेयकों को किसानों के पक्ष में बताते हुए उनसे समर्थन भी मांगा है।
कांग्रेस ने दूसरे दलों से संपर्क साधा
कृषि विधेयकों पर आज आर-पार की जंग (फाइल फोटो)
दूसरी ओर कांग्रेस ने भी विधेयकों के विरोध में मोर्चाबंदी की है। राज्यसभा में एनडीए के पास बहुमत नहीं है और एनडीए के सबसे पुराने घटक दल शिरोमणि अकाली दल ने भी इन विधेयकों पर नाराजगी जताई है। सूत्रों के मुताबिक कांग्रेस की ओर दूसरे गैर एनडीए दलों के साथ संपर्क साधा गया है। विधेयकों पर चर्चा के दौरान पार्टी की ओर से इन्हें सलेक्ट कमेटी को भेजने की मांग की जाएगी। पार्टी की ओर से इसके लिए सरकार पर हर संभव दबाव बनाने की रणनीति बनाई गई है।
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कांग्रेस के एक राज्यसभा सदस्य का कहना है कि पार्टी की ओर से इन विधायकों को सलेक्ट कमेटी को भेजने की मांग की जाएगी। अगर सरकार इसके लिए तैयार नहीं होती है तो विपक्ष की ओर से मत विभाजन की मांग होगी ताकि यह साफ हो सके कि कौन किसानों के साथ है और कौन भाजपा के साथ। वैसे पार्टी नेताओं का यह भी मानना है कि यदि सरकार टीआरएस, वाईएसआर कांग्रेस और एआईडीएमके का समर्थन जुटाने में कामयाब हो जाती है तो उसे इन विधेयकों को पारित कराने में ज्यादा दिक्कत नहीं होगी।
सरकार को अन्य दलों के समर्थन का भरोसा
कृषि विधेयकों पर आज आर-पार की जंग (फाइल फोटो)
राज्यसभा में सरकार के पास बहुमत न होने के कारण उसे महत्वपूर्ण विधेयकों को पास कराने के लिए विपक्ष पर आश्रित होना पड़ता है। राज्यसभा के मौजूदा गणित के अनुसार 245 सदस्यों वाली राज्यसभा में भाजपा के पास 86 सांसदों की ताकत है। मौजूदा समय में 2 स्थान रिक्त हैं। विधेयकों को पारित कराने के लिए सरकार को 122 वोटों की जरूरत होगी।
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सरकार को भरोसा है कि बीजू जनता दल के नौ, एआईडीएमके के नौ, टीआरएस के सात, वाईएसआर कांग्रेस के छह, टीडीपी के एक और कुछ निर्दलीय सांसदों के समर्थन से वह इन विधेयकों को पारित कराने में कामयाब हो जाएगी। सरकार को इन विधेयकों के समर्थन में 130 से ज्यादा वोट पाने का भरोसा है। छोटे दलों की ओर से अभी इन विधेयकों पर अपना रुख साफ नहीं किया गया है।
द्रमुक ने बुलाई सहयोगी दलों की बैठक
कृषि विधेयकों पर आज आर-पार की जंग (फाइल फोटो)
इस बीच कृषि विधेयकों के खिलाफ रणनीति बनाने के लिए द्रमुक ने अपने सभी सहयोगी दलों की 21 सितंबर को बैठक बुलाई है। पार्टी से जुड़े सूत्रों के मुताबिक इस बैठक में विधेयकों के विरोध को लेकर आगे की रणनीति तैयार की जाएगी।
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द्रमुक अध्यक्ष एम के स्टालिन ने आरोप लगाया है कि इन विधेयकों के कारण कारपोरेट की ओर से कृषि उत्पादों की जमाखोरी को बढ़ावा दिया जाएगा और समर्थन मूल्य पर भी प्रतिकूल असर पड़ेगा।
पंजाब में किसान ने किया सुसाइड
उधर पंजाब और हरियाणा में इन विधेयकों के खिलाफ किसानों का गुस्सा लगातार बढ़ता जा रहा है। पंजाब के मुक्तसर जिले में प्रदर्शन के दौरान 70 साल के किसान प्रीतम सिंह ने जहरीला पदार्थ खाकर जान दे दी। इन विधेयकों के विरोध में 25 सितंबर को पंजाब बंद का आह्वान किया गया है।
हरसिमरत के इस्तीफे को नाटक बताया
कृषि विधेयकों पर आज आर-पार की जंग (फाइल फोटो)
उधर अकाली दल के बागी नेता सुखदेव सिंह ढींढसा ने मोदी सरकार से हरसिमरत कौर के इस्तीफे को असफल नाटक बताया है। उन्होंने कहा कि किसानों के मुद्दे पर अकाली दल का असली चेहरा बेनकाब हो गया है।
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उन्होंने सवाल किया कि हरसिमरत ने मोदी सरकार से इस्तीफा उस समय क्यों नहीं दिया जब जून में केंद्रीय कैबिनेट ने किसानों से जुड़े इन विधेयकों को मंजूरी दी थी।