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देपसॉन्ग से हमारा विवाद काफी पुराना है और इसे पेंगोंग झील, चुशूल, गोगरा-हॉटस्प्रिंग्स और गलवान घाटी में इस साल हुए विवाद से जोड़कर नहीं देखना चाहिए।
नई दिल्ली: भारत और चीन के बीच सीमा पर तनाव लगातार बना हुआ है। अपने इरादों को पूरा न कर पाने से चीन बौखलाया है। ऐसे में वो आए दिन सीमा पर कुछ न कुछ नई शरारत करता रहता है। अब चीन का इरादा देपसॉन्ग पर कब्जा करने का है। जिसको लेकर चीन लगातार अपने प्रयास कर रहा है। आपको बता दें कि भारत और चीन के बीच देपसॉन्ग को लेकर कई सालों से विवाद बना हुआ है। लेकिन अब तो हालात ये बन चुके हैं कि चीनी सैनिक यहां पर लगातार भारत के पेट्रोलिंग दस्ते को रोक रहे हैं।
देपसॉन्ग का विवाद है काफी पुराना
एलएसी पर चीन के साथ तनाव को लेकर रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने संसद में कल अपना बयान भी दिया। लेकिन उन्होंने देपसॉन्ग के मसले पर कोई बात नहीं की। वहीं इस पूरे मामले के बारे में विस्तृत जानकारी देते हुए एक वरिष्ठ रक्षा अधिकारी ने बताया कि देपसॉन्ग से हमारा विवाद काफी पुराना है और इसे पेंगोंग झील, चुशूल, गोगरा-हॉटस्प्रिंग्स और गलवान घाटी में इस साल हुए विवाद से जोड़कर नहीं देखना चाहिए। उन्होंने कहा कि देपसॉन्ग से विवाद ही कुछ और है।
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इंडिया-चाइना देपसॉन्ग विवाद (फाइल फोटो)
अधिकारी ने बताया कि वहां पर कभी भी दोनों देशों की सेनाओं के बीच हिंसक झड़प की नौबत नहीं आई। दोनों ही देश देपसॉन्ग में अपने-अपने दावे करते रहे हैं। लेकिन आज भी वहां पर पहले के तरह ही स्थिति बनी हुई है। और दोनों ही देशों की सेनाएं एक ही जगह पर टिकी हुई हैं। वहीं अधिकारियों को चिंता है तो वो है चीन से एलएसी पर चल रहे इस विवाद की। अधिकारी ने चीन की धोखेबाजी से आगाह करते हुए कहा है कि चीन दूसरी जगहों पर मोर्चा इसलिए खोलने की कोशिश कर रहा है ताकि देपसॉन्ग से भारत का ध्यान भटकाया जा सके। चीन को पता है कि देपसॉन्ग नियंत्रण रेखा पर उसके लिए कितनी अहमियत रखता है।
चीन के लिए देपसॉन्ग की अहमियत
इंडिया-चाइना देपसॉन्ग विवाद (फाइल फोटो)
वहीं देपसॉन्ग में चीन लगातार अपनी हरकतें बढ़ा रहा है। आपको बता दें कि चीन की पीपल्स लिबरेशन आर्मी पिछले पांच महीनों से भारतीय सैनिकों को देपसॉन्ग में पारंपरिक पेट्रोलिंग पॉइंट्स 10, 11, 11A, 12 और 13 पर जाने से रोक रही है। चीन की पीपल्स लिबरेशन आर्मी की सैन्य टुकड़ी बॉटलनेक या वाई जंक्शन पर कैंप लगा रही है।
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भारत ने बताया कि चीन की सेना देपसॉन्ग में 18 किलोमीटर तक आगे आती है। वहीं चीन ने अपना दावा यहां 972 वर्ग किलोमीटर जमीन पर किया है। बता दें कि चीन के लिए देपसॉन्ग इसलिए ज्यादा मायने रखता है। क्योंकि देपसॉन्ग-दौलत बेग ओल्डी सेक्टर उसके वेस्टर्न हाइवे G-219 के बिल्कुल करीब है जो तिब्बत को शिंजियांग से जोड़ता है। यहां पर चीन ने अपने 12 हजार सैनिकों को टैंकों और आर्टिलरी गनों के साथ तैनात कर रखा है।