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सरकार राजी: संसद में होगा सीमित प्रश्नकाल, विपक्ष के कड़े विरोध के बाद फैसला

विपक्ष का कहना था कि प्रश्नकाल के बिना संसद के सत्र को आयोजित करने का कोई मतलब ही नहीं है। इसके बाद सीमित प्रश्नकाल पर सरकार की ओर से रजामंदी जताई गई।

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Published on: 3 Sept 2020 9:03 AM IST
सरकार राजी: संसद में होगा सीमित प्रश्नकाल, विपक्ष के कड़े विरोध के बाद फैसला
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अंशुमान तिवारी

नई दिल्ली: संसद के मानसून सत्र के दौरान प्रश्नकाल को रद्द करने के सरकार के फैसले पर सत्ता पक्ष और विपक्ष में तलवारें खिंची हुई हैं। विपक्षी दलों के तीखे विरोध के बाद सरकार सीमित प्रश्नकाल कराने पर सहमत हो गई है। विपक्ष का कहना था कि प्रश्नकाल के बिना संसद के सत्र को आयोजित करने का कोई मतलब ही नहीं है। इसके बाद सीमित प्रश्नकाल पर सरकार की ओर से रजामंदी जताई गई।

सरकार चर्चा कराने के लिए तैयार

संसदीय मामलों के मंत्री प्रह्लाद जोशी का कहना है कि विपक्ष के इन आरोपों में कोई दम नहीं है कि सरकार देश के सामने मौजूद महत्वपूर्ण मुद्दों पर चर्चा से भाग रही है। सरकार हर महत्वपूर्ण मुद्दे पर चर्चा कराना चाहती है और हम अतारांकित प्रश्न लेने को पूरी तरह तैयार हैं।

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Prahalad Joshi संसद में सीमित प्रश्नकाल पर सरकार राजी (फाइल फोटो)

उन्होंने कहा कि विपक्षी दलों को पहले ही इस बाबत बताया गया था और ज्यादातर विपक्षी दलों ने इस पर रजामंदी भी जताई थी। अतारांकित प्रश्न ऐसे होते हैं जिनका मंत्री केवल लिखित जवाब देते हैं जबकि तारांकित प्रश्न में प्रश्न पूछने वाले को मौखिक और लिखित दोनों उत्तरों का विकल्प मिलता है।

थरूर ने मांगा सरकार से स्पष्टीकरण

Shashi Tharoor संसद में सीमित प्रश्नकाल पर सरकार राजी (फाइल फोटो)

कोरोना संकट के कारण संसद का मानसून सत्र इस बार काफी विलंब से शुरू हो रहा है संसद का मानसून सत्र 14 सितंबर से 1 अक्टूबर तक चलेगा। इस सत्र के दौरान प्रश्नकाल स्थगित करने के सरकार के फैसले पर विपक्ष ने सवाल उठाए थे। कांग्रेस सांसद शशि थरूर ने सरकार के फैसले की कड़ी आलोचना करते हुए कहा कि सरकार को इस बाबत के स्पष्टीकरण देना चाहिए। जब सांसद सवाल ही नहीं पूछ पाएंगे तो ऐसे सत्र को आयोजित करने का कोई मतलब ही नहीं है।

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थरूर ने कहा कि मैंने 4 महीने पहले ही कहा था कि सत्ताधारी दल कोरोना के बहाने देश के सामने मौजूद महत्वपूर्ण समस्याओं पर चर्चा से भागने की कोशिश करेगा। उन्होंने कहा कि हमें सुरक्षित रखने के नाम पर सरकार के इस कदम को न्यायोचित नहीं ठहराया जा सकता। उन्होंने कहा कि संसदीय लोकतंत्र के लिए सरकार से सवाल पूछने का अधिकार सुरक्षित रखा जाना चाहिए। उन्होंने कहा कि इस सरकार ने सांसदों की आवाज को पूरी तरह दबा दिया है और प्रचंड बहुमत के बल पर अपने मन मुताबिक फैसलों को संसद से पास कराने में जुटी हुई है।

तृणमूल का लोकतंत्र की हत्या का आरोप

Kavin O Brian संसद में सीमित प्रश्नकाल पर सरकार राजी (फाइल फोटो)

तृणमूल कांग्रेस के सांसद डेरेक ओब्रायन ने कहा कि सही बात तो यह है कि कोरोना महामारी की आड़ में लोकतंत्र की हत्या की जा रही है। देश की अर्थव्यवस्था की हालत काफी खराब है और कोरोना का संकट लगातार गहराता जा रहा है। उन्होंने कहा कि सरकार चाहती है कि सांसद इनसे जुड़े मुद्दों पर सवाल न पूछ सकें। तृणमूल सांसद ने कहा कि मानसून सत्र के कामकाज का समय लगभग बराबर ही है तो ऐसे में प्रश्नकाल को रद्द करने का फैसला उचित नहीं है।

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राजद के सांसद मनोज ओझा ने भी फैसले को निराशाजनक बताया। उन्होंने कहा कि कोरोना संकट गहरा गया है, सीमा पर तनातनी चल रही है और देश की अर्थव्यवस्था संकट में फंस गई है। ऐसे में प्रश्नकाल को रद्द करना उचित नहीं है। कांग्रेस सांसद पीएल पुनिया ने भी सरकार के फैसले पर सवाल उठाए। उन्होंने उम्मीद जताई कि सरकार महत्वपूर्ण मुद्दों पर चर्चा से नहीं भागेगी और शून्यकाल को जारी रखा जाएगा।

दो पालियों में होगी संसद की बैठक

Parliament संसद में सीमित प्रश्नकाल पर सरकार राजी (फाइल फोटो)

संसद के मानसून सत्र के संबंध में लोकसभा और राज्यसभा की अधिसूचना के मुताबिक इस बार मानसून सत्र के दौरान प्रश्नकाल नहीं होगा और निजी बिल पेश करने की इजाजत नहीं होगी। सरकार की ओर से शून्यकाल के समय को घटाकर आधा घंटा कर दिया गया है।

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कोरोना संक्रमण के कारण इस बार संसद का मानसून सत्र दो पालियों में सुबह 9 बजे से 1 बजे और दोपहर 3 से 7 बजे तक चलेगा। राज्यसभा की बैठक सुबह की पाली में होगी जबकि लोकसभा की कार्यवाही दूसरी पाली में चलेगी। पूरे सत्र के दौरान इस बार एक भी छुट्टी नहीं की जाएगी।

सरकार पर आरोप लगाना गलत

Shiv Pratap Shukla संसद में सीमित प्रश्नकाल पर सरकार राजी (फाइल फोटो)

राज्यसभा में भाजपा के मुख्य सचेतक शिव प्रताप शुक्ला ने कहा कि देश में कोरोना संकट के दौरान तृणमूल को इस तरह के आरोप नहीं लगाने चाहिए। उन्होंने कहा कि संवैधानिक बाध्यता के कारण संसद का सत्र बुलाया गया है ताकि जरूरी कामों को पूरा किया जा सके। संसद की कार्यवाही के संबंध में फैसला राज्यसभा के सभापति और लोकसभा के स्पीकर ने लिया है और इससे सरकार का कोई लेना देना नहीं है। इसलिए सरकार पर दोषारोपण करना उचित नहीं है।

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भाजपा सांसद और मीडिया प्रभारी अनिल बलूनी ने विपक्ष पर झूठ फैलाने का आरोप लगाया है। उन्होंने कहा कि प्रश्नकाल स्थगित करने को लेकर विपक्ष का हंगामा पाखंड के सिवा कुछ नहीं है। विपक्ष के जिन सदस्यों में पार्टी के अध्यक्ष से प्रश्न पूछने की भी हिम्मत नहीं है, वे इस मुद्दे पर झूठी कहानी गढ़ने में जुटे हुए हैं। उन्होंने कहा कि कोरोना संकट के कारण मानसून सत्र का समय घटाया गया है। इसी कारण प्रश्नकाल को रद्द किया गया है मगर सदस्य अतारांकित प्रश्न पूछ सकते हैं।



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