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बीमार वरवर रावः जनकवि या अरबन नक्सल, आजादी से सरकार बेचैन क्यों
वरवर राव अपनी कविताओं के चलते जाने जाते हैं। साथ ही उन्हें तेलुगू साहित्य का एक प्रमुख मार्क्सवादी आलोचक भी माना जाता है।
नई दिल्ली: बीते दो साल से जेल में बंद नक्सली विचारधारा के समर्थक रहे वामपंथी कवि वरवर राव की रिहाई की माँग ज़ोर पकड़ती जा रही है। वरवर राव पर माओवादियों से कथित तौर पर संबंध होने के भी आरोप लगते रहे हैं। वरवर राव अपनी कविताओं के चलते जाने जाते हैं। उन्हें तेलुगू साहित्य का एक प्रमुख मार्क्सवादी आलोचक भी माना जाता है। फिलहाल वे भीमा कोरेगांव कांड के अभियुक्त हैं।
अभी वरवर राव जेल में क्यों हैं?
पुणे के नजदीक भीमा-कोरेगांव युद्ध के 200 साल पूरा होने के मौके पर 200वीं सालगिरह को शौर्य दिवस के रूप में मनाया जा रहा था। 1 जनवरी 2018 को इसी मौके पर दलित समुदाय के लगभग 5 लाख से अधिक लोग वहां एकत्र हुए थे। इस कार्यक्रम के दौरान दलित और मराठा समुदाय के बीच हिंसक झड़प हो गई जिसमें एक शख्स की मौत हो गई थी। जबकि कई लोग घायल हुए थे। हिंसक झड़प की आंच महाराष्ट्र के 18 जिलों तक फैल गई और इस हिंसा में माओवादियों के हाथ होने की बात सामने आने लगी। इस मामले में पुलिस केस दर्ज हुआ तो हिंसा भड़काने वालों और माओवादियों का साथ देने में वरवर राव केअलावा अरुण फेरेरा, वर्नोन गॉनसैल्विस, सुधा भारद्वाज और गौतम नवलखा शामिल थे।
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इन सभी को भीमा कोरेगांव हिंसा के मामले में 28 अगस्त 2018 को गिरफ्तार किया गया था। दरअसल, दलित और बहुजन समुदाय के लोगों ने एल्गार परिषद के नाम से कई जनसभाएं की थीं। जनसभा में अधिकतर मुद्दे हिन्दुत्व राजनीति के खिलाफ थे। भाषण देने वालों में गौतम नवलखा, वरवर राव समेत कई अन्य बुद्धिजीवी थे। पुलिस का कहना है कि भीमा कोरेगांव कांड की जांच के दौरान उसे एक पत्र हाथ लगा जिसमें प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की हत्या की साजिश का जिक्र था। वरवर राव पर इस साजिश का भी केस दर्ज किया गया है।
जेल में बीमार वरवर राव
वर वर राव 80 साल के हैं और इस समय नवी मुंबई की तलोजा जेल में बंद हैं। उनके परिवार ने कहा है कि उनकी सेहत बिगड़ रही है। वे बातों को समझ नहीं पा रहे हैं और बेसुध हैं। परिवार ने संबंधित अधिकारियों से उन्हें बेहतर चिकित्सा सुविधा मुहैया कराने की अपील की।
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बुद्धिजीवी लोग भी उनकी रिहाई और इलाज की बात कर रहे हैं। लोग लिख रहे हैं कि अबतक वरवर राव के खिलाफ आरोप साबित नहीं हुआ है फिर भी पिछले 22 महीने से जेल में बंद हैं।
गिरफ्तारियां
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1986 के रामनगर साजिश कांड सहित कई अलग-अलग मामलों में 1975 और 1986 के बीच उन्हें कई बार गिरफ्तार और फिर रिहा किया गया। 2003 में उन्हें रामनगर साजिश कांड में बरी किया गया। लेकिन 2005 में फिर जेल भेज दिया गया।