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डिजिटल मीडिया पर रेगुलेटिंग बॉडी रखेगी नजर, जानिए कैसे करेगी काम
इन्फॉर्मेशन टेक्नोलॉजी रूल्स, 2021 (गाइडलाइंस फार इंटरमीडियरीज एंड डिजिटल मीडिया एथिक्स कोड) के अनुसार सेल्फ रेगुलेटिंग बॉडी एक स्वतंत्र संस्था होगी, जो ऐसे ही पब्लिशर्स या उनके एसोसिएशन द्वारा बनाई जाएगी।
नीलमणि लाल
नई दिल्ली: केंद्र सरकार की नई गाइडलाइन के अनुसार, अब डिजिटल मीडिया पर सेल्फ रेगुलेटिंग बॉडी नजर रखेगी कि किस प्लेटफॉर्म पर किस तरह की खबरें चलाई जा रही हैं। नए नियम के अनुसार आनलाइन समाचार और करंट अफेयर्स पब्लिशर्स या ऐसे किसी प्लेटफॉर्म को कोड आफ एथिक्स यानी नैतिकता के एक कोड का पालन करना होगा और इस पर सेल्फ रेगुलेटिंग बॉडी नजर रखेगी।
क्या है नए नियम में
इन्फॉर्मेशन टेक्नोलॉजी रूल्स, 2021 (गाइडलाइंस फार इंटरमीडियरीज एंड डिजिटल मीडिया एथिक्स कोड) के अनुसार सेल्फ रेगुलेटिंग बॉडी एक स्वतंत्र संस्था होगी, जो ऐसे ही पब्लिशर्स या उनके एसोसिएशन द्वारा बनाई जाएगी। यह संस्था भारत के अलग अलग नस्ल और अलग अलग धर्म के लोगों को ध्यान में रखेगी और किसी भी नस्लीय या धार्मिक समूह की गतिविधियों, विश्वासों, प्रथाओं या विचारों की विशेषता बताते हुए सावधानी और विवेक के साथ काम करेगी।
इलेक्ट्रॉनिक्स और सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय ऐसी सेल्फ रेगुलेशन बॉडी के साथ मिलकर काम करेगा और यह सुनिश्चित करेगा कि कोड आफ एथिक्स का सही से पालन हो। एप्लीकेबल एंटिटी या सेल्फ रेगुलेटिंग बॉडी ऐसे किसी कंटेंट को संचारित, प्रकाशित या प्रसारित नहीं करेगी जो किसी भी कानून के तहत आपत्तिजनक हों जो भी सामग्री प्रकाशित की जा रही है, उसे भारत की संप्रभुता और अखंडता को ध्यान में रखकर देखना होगा।
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''डिजिटल मीडिया को आईटीएक्ट में लाना सही नहीं''
एक्सपर्ट्स नई गाइड लाइन को डिजिटल मीडिया के लिए कंट्रोल के रूप में देख रहे हैं। जानकारों का कहना है कि डिजिटल मीडिया को आईटीएक्ट में लाना सही नहीं है। एक सरकारी बयान के अनुसार डिजिटल मीडिया पर खबरों के प्रकाशकों को भारतीय प्रेस परिषद की पत्रकारीय नियमावली तथा केबल टेलीविजन नेटवर्क नियामकीय अधिनियम की कार्यक्रम संहिता का पालन करना होगा, जिससे ऑफलाइन (प्रिंट, टीवी) और डिजिटल मीडिया के बीच समान अवसर उपलब्ध हो।
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नियमों के तहत स्वनियमन के अलग अलग स्तरों के साथ त्रिस्तरीय शिकायत निवारण प्रणाली स्थापित की गयी है। पहले स्तर पर प्रकाशकों के लिए स्वनियमन होगा, दूसरा स्तर प्रकाशकों के स्वनियामक निकायों का स्वनियिमन होगा और तीसरा स्तर निगरानी प्रणाली का होगा। नियमों के अनुसार हर प्रकाशक को भारत के अंदर ही एक शिकायत निवारण अधिकारी नियुक्त करना होगा जो शिकायतों के निवारण के लिए जिम्मेदार होगा और उसे शिकायत मिलने के 15 दिनों के अंदर उसका निवारण करना होगा।
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