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तीन तलाक पर नए कानून को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती, रद्द करने की मांग

पत्नी को फौरी तीन तलाक के जरिए छोड़ने वाले मुस्लिम पुरुष को तीन साल तक की सजा के प्रावधान वाले कानून को शुक्रवार को उच्चतम न्यायालय में चुनौती दी गई।

Aditya Mishra
Published on: 2 Aug 2019 4:41 PM GMT
तीन तलाक पर नए कानून को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती, रद्द करने की मांग
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तीन तलाक कानून को राष्ट्रपति ने दी मंजूरी, 19 सितंबर 2018 से हुआ लागू

नई दिल्ली: पत्नी को फौरी तीन तलाक के जरिए छोड़ने वाले मुस्लिम पुरुष को तीन साल तक की सजा के प्रावधान वाले कानून को शुक्रवार को उच्चतम न्यायालय में चुनौती दी गई। राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने संसद में पारित तीन तलाक विधेयक को बृहस्पतिवार को मंजूरी दी थी।

केरल में सुन्नी मुस्लिम विद्वानों और मौलवियों के एक धार्मिक संगठन समस्त केरल जमीयतुल उलेमा ने शीर्ष अदालत का रुख करके इसे असंवैधानिक घोषित किये जाने का अनुरोध किया है। इसमें कहा गया है कि ये बिल संविधान के अनुच्छेद 14, 5 और 21 का उल्लंघन है।

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संसद के दोनों सदनों से पहले ही पास हो चुका है तीन तलाक बिल

लोकसभा में मुस्लिम महिला (विवाह अधिकार संरक्षण) विधेयक को पिछले सप्ताह पारित किया गया था, जिसके बाद राज्यसभा ने 84 के मुकाबले 99 मतों से इसे पारित कर दिया था।

तीन तलाक बिल संसद के दोनों सदनों से पहले ही पास हो चुका है। यह कानून 19 सितंबर 2018 से लागू माना जाएगा। मोदी सरकार ने इस बिल को 25 जुलाई को लोकसभा में और 30 जुलाई को राज्यसभा में पास करवाया था।

बिल के कानून बनने के बाद 19 सितंबर 2018 के बाद जितने भी मामले में तीन तलाक से संबंधित आए हैं, उन सभी का निपटारा इसी कानून के तहत किया जाएगा।

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बिल पास होने पर पीएम मोदी ने सभी सांसदों का जताया था आभार

बता दें कि राज्यसभा में बिल के समर्थन में 99, जबकि विरोध में 84 वोट पड़े थे। इससे पहले विपक्ष की बिल को सेलेक्ट कमेटी में भेजने की मांग भी सदन में गिर गई थी।

वोटिंग के दौरान बिल को सेलेक्ट कमेटी में भेजने के पक्ष में 84, जबकि विरोध में 100 वोट पड़े थे। राज्यसभा से तीन तलाक बिल पास होने के बाद कानून मंत्री रविशंकर प्रसाद ने इसे ऐतिहासिक दिन बताया था।

बिल पास होने के बाद पीएम मोदी ने ट्वीट कर सभी सांसदों का आभार जताया था। पीएम मोदी ने ट्वीट किया था, 'पूरे देश के लिए आज एक ऐतिहासिक दिन है।

आज करोड़ों मुस्लिम माताओं-बहनों की जीत हुई है और उन्हें सम्मान से जीने का हक मिला है। सदियों से तीन तलाक की कुप्रथा से पीड़ित मुस्लिम महिलाओं को आज न्याय मिला है, इस ऐतिहासिक मौके पर मैं सभी सांसदों का आभार व्यक्त करता हूं।

उन्होंने अपने अलगे ट्वीट में लिखा था, तीन तलाक बिल का पास होना महिला सशक्तिकरण की दिशा में एक बहुत बड़ा कदम है। तुष्टिकरण के नाम पर देश की करोड़ों माताओं-बहनों को उनके अधिकार से वंचित रखने का पाप किया गया। मुझे इस बात का गर्व है कि मुस्लिम महिलाओं को उनका हक देने का गौरव हमारी सरकार को प्राप्त हुआ है।

तीन तलाक बिल में क्या हैं प्रावधान:

-तुरंत तीन तलाक यानी तलाक-ए-बिद्दत को रद्द और गैर कानूनी बनाना।

-तुरंत तीन तलाक को संज्ञेय अपराध मानने का प्रावधान, यानी पुलिस बिना वारंट गिरफ़्तार कर सकती है।

-तीन साल तक की सजा का प्रावधान है।

-यह संज्ञेय तभी होगा जब या तो खुद महिला शिकायत करे या फिर उसका कोई सगा-संबंधी।

-मजिस्ट्रेट आरोपी को जमानत दे सकता है, जमानत तभी दी जाएगी, जब पीड़ित महिला का पक्ष सुना जाएगा।

-पीड़ित महिला के अनुरोध पर मजिस्ट्रेट समझौते की अनुमति दे सकता है।

-पीड़ित महिला पति से गुज़ारा भत्ते का दावा कर सकती है।

-इसकी रकम मजिस्ट्रेट तय करेगा।

-पीड़ित महिला नाबालिग बच्चों को अपने पास रख सकती है। इसके बारे में मजिस्ट्रेट तय करेगा।

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