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SBI कस्टमर्स के लिए बड़ी खुशखबरी, अब हर महीने इस स्कीम्स से मिलेंगे पैसे
भारतीय स्टेट बैंक (SBI) को लेकर नई खबर आ रही है। SBI आम लोगों को अलग-अलग तरीके से सेविंग्स स्कीम्स (Savings Schemes) मुहैया कराता है।
नई दिल्ली: भारतीय स्टेट बैंक (SBI) को लेकर नई खबर आ रही है। SBI आम लोगों को अलग-अलग तरीके से सेविंग्स स्कीम्स (Savings Schemes) मुहैया कराता है। SBI के इन्हीं सेविंग्स स्कीम्स में से एक है एन्युटी स्कीम (SBI Annuity Schemes) भी है। इस स्कीम के तहत आप एक बार निवेश कर सामान्य टाइम के लिए मासिक इनकम प्राप्त कर सकते है।
एन्युटी पेमेंट में कस्टमर्स की तरफ से जमा रकम पर ब्याज लगकर एक तय समय के बाद इनकम मिलनी शुरू होती है। SBI के इस स्कीम में न्यूनतम 1,000 रुपए मासिक एन्युटी के लिए जमा किया जा सकता है, जोकि कि 25 हजार रुपए है। इस स्कीम में अधिकतम निवेश की कोई सीमा नहीं तय किया गया है।
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क्या है निवेश की अवधि
SBI के इस एन्युटी स्कीम में 36, 60, 84 या 120 महीने की अवधि के लिए इंवेस्ट किया जा सकता है। इस इंवेस्ट पर ब्याज दर वहीं होगी जो चुनी गई अवधि के टर्म डिपॉजिट के लिए होगी। उदाहरण के तौर पर, आप 5 साल के लिए एन्युटी डिपॉजिट करना चाहते हैं तो जमाकर्ता को 5 साल की एफडी पर लागू होने वाली ब्याज दर के हिसाब से ही ब्याज दी जाएगी।
इस स्कीम का फायदा लेने वाले जमाकर्ता की मृत्यु हो जाती है तो समय से पहले निकासी की अनुमति भी मितली है। इस स्कीम के तहत जमा राशि का 75 फीसदी लोन भी लिया जा सकता है। वैसे तो, लोन का विकल्प चुनने के बाद भी भविष्य की एन्युटी की पेमेंट लोन अकाउंट में तब तक जमा होगी जब तक की पूरा लोन वापस नहीं चुक पाता है। ऐसा मान लीजिए कि अगर आप 5 साल के लिए 10,000 रुपए की मासिक एन्युटी चाहते हैं तो आपको 7 फीसदी की ब्याज दर को ध्यान में रखते हुए 5,07,965.93 रुपए जमा करने होंगे।
क्या है योग्यता
इस स्कीम का फायदा कोई भी ले सकता है। इसमें व्यक्तिगत या ज्वाइंट अकाउंट, बालिग और नाबालिग भी खोल सकते हैं। इस स्कीम को दूसरे ब्रांच में अकाउंट ट्रांसफर, टीडीएस के नियम एफडी के नियमों के आधार पर ही होंगे।
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क्या है RD, FD और एन्युटी रेट में अंतर?
एन्युटी डिपॉजिट स्कीम रिकरिंग डिपॉजिट स्कीम का ठीक उल्टा होता है। रिकरिंग डिपॉजिट में जमाकर्ता हर महीने एक तय रकम जमा करता है और मैच्योरिटी पर एक निश्चित रकम मिलती है। लेकिन, एन्युटी मैच्योरिटी के मामले में इसके विपरित एक ही बार में रकम जमा करनी होती है और चुनी गई अवधि पूरी होने के बाद हर महीने एक तय रकम मिलती है। जबकि, एफडी की बात करें तो इसमें जमाकर्ता एक तय कार्यकाल के लिए रकम जमा करता है। मैच्योरिटी के समय इस रकम को ब्याज समेत वापस मिल जाता है।