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एक मोबाइल से खुला पुलवामा हमले का सारा राज, जानिए NIA ने कैसे सुलझाई गुत्थी

राष्ट्रीय जांच एजेंसी (एनआईए) ने पिछले साल फरवरी में पुलवामा में किए गए आतंकी हमले की गुत्थी सुलझा ली है। मंगलवार को इस मामले में करीब साढ़े तेरह हजार पेज की चार्जशीट भी दाखिल कर दी गई।

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Published on: 26 Aug 2020 10:59 AM IST
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एक मोबाइल से खुला पुलवामा हमले का सारा राज, जानिए NIA ने कैसे सुलझाई गुत्थी

नई दिल्ली: राष्ट्रीय जांच एजेंसी (एनआईए) ने पिछले साल फरवरी में पुलवामा में किए गए आतंकी हमले की गुत्थी सुलझा ली है। मंगलवार को इस मामले में करीब साढ़े तेरह हजार पेज की चार्जशीट भी दाखिल कर दी गई। इस हमले की गुत्थी को सुलझाना आसान काम नहीं था मगर एनआईए को एक मोबाइल फोन से हमले की गुत्थी सुलझाने में काफी मदद मिली। इस मोबाइल फोन के जरिए एनआईए को इतनी ढेर सारी जानकारियां मिलीं कि उसके लिए इस हमले की गुत्थी को सुलझाना आसान हो गया।

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एक मोबाइल से खुला पुलवामा हमले का सारा राज, जानिए NIA ने कैसे सुलझाई गुत्थी

उमर फारूक के मोबाइल से मिली मदद

पुलवामा आतंकी हमले के बाद सुरक्षाबलों ने जैश-ए-मोहम्मद के सरगना मसूद अजहर के भतीजे मोहम्मद उमर फारूक, पाकिस्तानी आतंकवादी कामरान अली और कारी यासिर को एनकाउंटर में ढेर कर दिया था। पुलवामा हमले में शामिल महत्वपूर्ण आतंकी फारूक को पिछले साल 29 मार्च को मुठभेड़ में ढेर किया गया था।

फारूक के एनकाउंटर में मारे जाने के बाद उसका मोबाइल फोन कई महीनों तक जम्मू-कश्मीर पुलिस के कब्जे में रहा। उमर फारूक मसूद अजहर का भतीजा था और वह विमान अपहरण कांड में शामिल रहे इब्राहिम अतहर का बेटा था।

इसी मोबाइल में छिपा था हमले का सारा राज

बाद में यह मोबाइल फोन जांच के लिए एनआईए को सौंपा गया। पिछले साल दिसंबर में इस मोबाइल फोन के जरिए एनआईए को चौंकाने वाली जानकारियां मिलीं।

फारूक के मोबाइल फोन से कई वीडियो, फोटो और बातचीत के रिकॉर्ड मिलने से एनआईए को इस मामले की गुत्थी सुलझाने में काफी आसानी हो गई। जांच प्रक्रिया से जुड़े एक सूत्र के मुताबिक फारूक के मोबाइल में आतंकी के पाकिस्तान से भारत तक की यात्रा की कई तस्वीरों के साथ ही उसके गुर्गों, बम बनाने की प्रक्रिया की तस्वीरें और हमले से जुड़ी अन्य जानकारियां भी थीं।

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जैश सरगनाओं से बातचीत का ब्योरा भी मिला

इस मोबाइल फोन के जरिए ही एनआईए को जैश के आकाओं के साथ हुई उसकी व्हाट्सएप पर हुई बातचीत के साथ ही पाकिस्तान के अम्मार अल्वी और घाटी के एक अन्य ऑपरेटिंग से हुई बातचीत का पूरा ब्योरा मिला। फारूक के फोन से ही एक और कश्मीरी युवक शाकिर बशीर मगरे की तस्वीर हासिल हुई जिसकी पहचान पुलवामा के काकापोरा के निवासी के रूप में की गई।

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शाकिर ने दी थी काफिले की जानकारी

शाकिर पुलवामा में विस्फोट स्थल के पास चीरघर चलाता था और उसने ही सीआरपीएफ काफिले के टोह लेने के बाद आतंकियों को इस बारे में जानकारी दी थी। शाकिर को इस मामले में 28 फरवरी को गिरफ्तार किया गया था।

बाद में पड़ताल में यह खुलासा भी हुआ कि विस्फोटकों को स्टॉक करने और बम बनाने के लिए भी उसके घर का ही इस्तेमाल किया गया था। इसी बम के जरिए विस्फोट करके पुलवामा में सीआरपीएफ के काफिले पर हमला किया गया था जिसमें 40 जवान शहीद हो गए थे।

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दोनों देशों में युद्ध चाहता था फारूक

एनआईए को मोबाइल के चैट रिकॉर्ड से यह जानकारी भी मिली कि पुलवामा हमले के बाद जब भारत और पाकिस्तान के बीच तनाव काफी बढ़ गया तब फारूक का कहना था कि दोनों देशों के बीच युद्ध होना चाहिए। उसका कहना था कि दोनों देशों के बीच लड़ाई होने से जैश के लड़ाकों के लिए भारत में घुसपैठ करना आसान हो जाएगा। सूत्रों का कहना है कि इस मोबाइल से ही एनआईए को पाकिस्तान में फारूक के दो बैंक खातों की जानकारी मिली जिसमें पुलवामा हमले के लिए पैसा इकट्ठा किया गया था।

एक और हमले की भी थी साजिश

एनआईए की ओर से दायर आरोप पत्र में पुलवामा आत्मघाती हमले से जुड़ी हर गुत्थी सुलझा ली गई है। सूत्रों का कहना है कि पुलवामा हमले के बाद एक और हमले के लिए भी कार की व्यवस्था तक कर ली गई थी। हमला करने वाले फिदायीन भी तैयार थे मगर इसी बीच भारतीय वायुसेना की ओर से बालाकोट में सर्जिकल एयर स्ट्राइक करने से आतंकियों का यह मंसूबा नहीं पूरा हो सका। भारतीय वायुसेना ने बालाकोट एयर स्ट्राइक करते हुए जैश-ए-मोहम्मद के ट्रेनिंग सेंटर पर भारी बमबारी की थी।

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एयर स्ट्राइक से डर गया था मसूद अजहर

भारत के आक्रामक रुख और पाकिस्तान पर बढ़ते अंतरराष्ट्रीय दबाव की वजह से दूसरे हमले को रोक दिया गया। चार्जशीट में दिए गए सबूतों की जानकारी रखने वाले एक सूत्र ने बताया कि बालाकोट एयर स्ट्राइक से डरे मसूद अजहर ने तुरंत उमर फारूक को मैसेज करके पुलवामा जैसा दूसरा हमला करने से रोका। जानकारों का कहना है कि एनआईए ने इलेक्ट्रॉनिक सबूतों और अलग-अलग मामलों में पकड़े गए आतंकियों और अन्य संरक्षणदाताओं के बयानों के साथ ही फारूक के मोबाइल फोन की मदद से पुलवामा हमले की पूरी गुत्थी सुलझा ली है।

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