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निर्भया केस: दोषी अक्षय की दया याचिका हुई ख़ारिज, अब कभी भी हो सकती है फांसी

निर्भया गैंगरेप के दोषियों में से केवल पवन गुप्ता ने अब तक अपनी याचिका राष्ट्रपति कोविंद को नहीं भेजी है। अब केवल एक दोषी पवन के पास सुप्रीम कोर्ट में क्यूरेटिव याचिका और राष्ट्रपति के समक्ष दया याचिका दायर करने का विकल्प है।

SK Gautam
Published on: 5 Feb 2020 5:08 PM GMT
निर्भया केस: दोषी अक्षय की दया याचिका हुई ख़ारिज, अब कभी भी हो सकती है फांसी
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नई दिल्ली: निर्भया गैंगरेप और मर्डर केस के एक दोषी अक्षय ठाकुर की दया याचिका राष्ट्रपति राम नाथ कोविंद ने खारिज कर दी है। बता दें कि अक्षय ठाकुर ने शनिवार को राष्ट्रपति के पास दया याचिका दाखिल की थी। राष्ट्रपति ने अक्षय ठाकुर की दया याचिका को ठुकरा दिया है।राष्ट्रपति राम नाथ कोविंद अब तक 4 दोषियों में से 3 की दया याचिका ठुकरा चुके हैं। राष्ट्रपति के पास निर्भया के दोषी मुकेश, विनय और अक्षय ठाकुर ने दया याचिका भेजी थी जिसे वे खारिज कर चुके हैं।

दोषियों में से केवल पवन गुप्ता के पास दया याचिका दायर करने का विकल्प

निर्भया गैंगरेप के दोषियों में से केवल पवन गुप्ता ने अब तक अपनी याचिका राष्ट्रपति कोविंद को नहीं भेजी है। अब केवल एक दोषी पवन के पास सुप्रीम कोर्ट में क्यूरेटिव याचिका और राष्ट्रपति के समक्ष दया याचिका दायर करने का विकल्प है।

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निर्भया के साथ 16 दिसंबर 2012 की रात चलती बस में गैंगरेप किया गया था। गैंगरेप के एक सप्ताह बाद सिंगापुर के एक अस्पताल में निर्भया की मौत हो गई थी।दक्षिण दिल्ली में हुई घटना ने पूरे देश को हिलाकर रख दिया था।

निर्भया गैंगरेप केस के बाद देशभर में विरोध प्रदर्शन हुए थे जिसके बाद रेप और महिला अपराधों से संबोधित कानूनों में बदलाव किया गया था।निर्भया गैंगरेप और मर्डर मामले में मुकेश, विनय, अक्षय, राम सिंह और एक किशोर को आरोपी बनाया गया था.

निर्भया के एक गुनाहगार लगा चुका है फांसी

मार्च 2013 में फास्ट ट्रैक कोर्ट में इसकी सुनवाई शुरू की गई थी। इस मामले के मुख्य आरोपियों में से एक राम सिंह ने तिहाड़ जेल में कथित तौर पर आत्महत्या कर ली थी।राम सिंह ने तभी आत्महत्या की थी जब मामले की सुनवाई शरू ही हुई थी.

निर्भया के साथ क्रूरता करने वालों में से एक नाबालिग दोषी 3 साल की सजा काटने के बाद साल 2015 में रिहा हो गया था।दोषी किशोर को सुधारगृह में रखा गया था।जब नाबिल रिहा हुआ तब उसकी उम्र 20 साल की थी।

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दोषियों ने लगातार फांसी की सजा को टालने की भरपूर कोशिश

केंद्र सरकार की अर्जी पर सुनवाई करते हुए दिल्ली हाई कोर्ट ने कहा कि दोषियों ने लगातार फांसी की सजा को टालने की भरपूर कोशिश की।एक याचिका खारिज होने के बाद दूसरी याचिका दायर करते रहे । यहां तक सरकारें सोई रहीं और अक्षय ने पुनर्विचार याचिका काफी दिन बाद लगाई।

3 लोगों की पुनर्विचार याचिका खारिज हो चुकी थीं। हाई कोर्ट ने कहा कि अगर दोषी एक सप्ताह के भीतर अपने कानूनी विकल्प पर काम नहीं करते हैं तो फिर दोनों सरकार आगे की कार्रवाई करने के लिए स्वतंत्र हैं।

SK Gautam

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