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निर्भया रेप-कांड: फांसी की सजा के बाद फिर खटखटा रहे कोर्ट का दरवाजा

निर्भया कांड के मुजरिमों को एक हफ्ते के अंदर राष्ट्रपति के सामने दया-याचिका दायर करने के लिए नोटिस दिया है। निर्भया कांड के मुजरिम एक बार फिर उसी सुप्रीम कोर्ट में जाना पसंद कर रहे हैं, जहां उन्हें सजा सुनाई गई थी।

Vidushi Mishra
Published on: 1 Nov 2019 7:28 PM GMT
निर्भया रेप-कांड: फांसी की सजा के बाद फिर खटखटा रहे कोर्ट का दरवाजा
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नई दिल्ली : निर्भया कांड के मुजरिमों को एक हफ्ते के अंदर राष्ट्रपति के सामने दया-याचिका दायर करने के लिए नोटिस दिया है। निर्भया कांड के मुजरिम एक बार फिर उसी सुप्रीम कोर्ट में जाना पसंद कर रहे हैं, जहां उन्हें सजा सुनाई गई थी। शुक्रवार को तिहाड़ जेल में मुजरिमों और उनके वकीलों की हुई बहुत गोपनीय बैठक में इस निर्णय पर मुहर लगा दी गई।

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ये है पूरी बात...

सूत्रों के हवाले से मुजरिमों के वकील की इस बात का खुलासा शुक्रवार देर रात हुआ। वकील ने दो टूक कहा, “जेल के नोटिस पर हम बाद में भी अमल कर लेंगे। पहले हमारे पास जब सुप्रीम कोर्ट जाने का विकल्प खुला है तो हम उधर ही जाएंगे। और मौजूदा हालात में हमें सुप्रीम कोर्ट ही जाना भी चाहिए।”

बात ये है कि 28 अक्टूबर को तिहाड़ जेल प्रशासन द्वारा जेल में कैद चारों मुजरिमों को नोटिस दिए गए थे। इस नोटिस में कहा गया था, “वे 7 दिनों के अंदर फांसी की सजा के लिए चाहें तो राष्ट्रपति के यहां दया याचिका दाखिल कर सकते हैं। अगर वे ऐसा नहीं करते हैं तो फिर जेल प्रशासन ट्रायल कोर्ट (जिसने आरोपियों को सजा-ए-मौत मुकर्रर की) पहुंचकर 'डेथ-वारंट' जारी करवाने के प्रयासों में जुट जाएगा।”

इसके बाद चारों मुजरिमों ने जेल के नोटिस प्राप्त कर लिए। उसके बाद से इस मामले में एकदम सन्नाटा छाया हुआ था।

अधीक्षक द्वारा दिए गए नोटिस में, चार लोगों - मुकेश (31), पवन गुप्ता (24), विनय शर्मा (25) और अक्षय कुमार सिंह (33) - को बताया गया कि उनकी सजा के खिलाफ अपील करने के लिए उनके सभी कानूनी विकल्प हैं। राष्ट्रपति के समक्ष दया याचिका के अलावा, अपराधी सुप्रीम कोर्ट में एक क्यूरेटिव पिटीशन के लिए भी जा सकते हैं, ताकि उनके मामले की समीक्षा की जा सके।

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जेल अधिकारी अदालत का दरवाजा खटखटाएंगे

जेलों के महानिदेशक संदीप गोयल ने पुष्टि की कि तिहाड़ जेल में बंद तीनों और मंडोली जेल में एक-एक अपराधी को नोटिस मिला था। सूत्रों ने कहा कि अगर दया याचिका दायर नहीं की गई, तो जेल अधिकारी अदालत का दरवाजा खटखटाएंगे, जो मौत का वारंट जारी करेगा।

9 जुलाई, 2018 को, शीर्ष अदालत ने तीन दोषियों मुकेश, गुप्ता और शर्मा की याचिका को खारिज कर दिया था, जिसमें 2017 के फैसले की समीक्षा की मांग की गई थी, जिसमें दिल्ली उच्च न्यायालय और ट्रायल कोर्ट द्वारा उन्हें दी गई मृत्युदंड की सजा को बरकरार रखा गया था। चौथी मृत्यु पंक्ति के दोषी सिंह ने शीर्ष अदालत में पुनर्विचार याचिका दायर नहीं की थी।

19 नवंबर को अदालत में पेश

चार दोषियों का प्रतिनिधित्व करने वाले वकील एपी सिंह ने टीओआई को बताया कि नोटिस जारी करना इरादे के नोट से ज्यादा एक राजनीतिक कदम था। “हमें 19 नवंबर को अदालत में पेश होने के लिए कहा गया है।

उन्होंने कहा कि उसके बाद हम निर्णय की समीक्षा करने के लिए सुप्रीम कोर्ट में एक क्यूरेटिव याचिका दायर करेंगे। एक दया याचिका का सवाल इसके बाद ही आएगा।

सूत्रों से मिली जानकारी में बताया गया कि अगर नोटिस में निर्दिष्ट अवधि के भीतर दया याचिका नहीं ली गई थी, तो जेल अधिकारी दोषियों के खिलाफ मौत का वारंट जारी करने के लिए संबंधित अदालत का दरवाजा खटखटाएंगे। यह इस बात पर ध्यान दिए बिना है कि क्या एससी के समक्ष क्यूरेटिव अपील दायर की जाती है।

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