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बिना कपड़े उतारे सीना छूना यौन उत्पीड़न नहीं, स्किन से संपर्क जरूरी: बॉम्बे हाईकोर्ट

बॉम्बे हाई कोर्ट ने अपने फैसले में कहा कि किसी नाबालिग को निर्वस्त्र किए बिना, उसके स्तन को छूना, यौन उत्पीड़न नहीं कहा जा सकता। बॉम्बे हाई कोर्ट ने कहा है कि इस तरह का कृत्य पोक्सो अधिनियम के तहत यौन हमले के रूप में परिभाषित नहीं किया जा सकता।

Ashiki
Published on: 25 Jan 2021 9:00 PM IST
बिना कपड़े उतारे सीना छूना यौन उत्पीड़न नहीं, स्किन से संपर्क जरूरी: बॉम्बे हाईकोर्ट
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बिना कपड़े उतारे सीना छूना यौन उत्पीड़न नहीं, स्किन से संपर्क जरूरी: बॉम्बे हाईकोर्ट

मुंबई: एक तरफ जहां देश में महिलाओं की सुरक्षा की बात होती है वहीं दूसरी ओर बॉम्बे हाई कोर्ट की महिला जज ने एक 12 साल की लड़की की याचिका पर अजीब फैसला सुना दिया है। बॉम्बे हाई कोर्ट के फैसले के मुताबिक़ सिर्फ ग्रोपिंग (यानी किसी की इच्‍छा के विरुद्ध कामुकता से स्‍पर्श करना) को यौन शोषण नहीं माना जा सकता है।

बॉम्बे हाई कोर्ट ने अपने फैसले में कहा कि किसी नाबालिग को निर्वस्त्र किए बिना, उसके स्तन को छूना, यौन उत्पीड़न नहीं कहा जा सकता। बॉम्बे हाई कोर्ट ने कहा है कि इस तरह का कृत्य पोक्सो अधिनियम के तहत यौन हमले के रूप में परिभाषित नहीं किया जा सकता। दरअसल, बॉम्बे हाईकोर्ट ने यह फैसला उस आरोपित की याचिका पर सुनवाई करते हुए सुनाया, जिसे एक नाबालिग लड़की के साथ यौन शोषण करने लिए जेल की सज़ा सुनाई गई थी। हाईकोर्ट के मुताबिक सिर्फ नाबालिग लड़की की छाती को छूना यौन शोषण की श्रेणी में नहीं रखा जा सकता है।

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हाई कोर्ट ने बताई यौन हमले की परिभाषा

बता दें कि बॉम्बे हाईकोर्ट की नागपुर बेंच ने फैसला सुनाते हुए कहा कि 12 साल की बच्ची के ब्रेस्ट को छूना यौन उत्पीड़न नहीं है जब तक कि आरोपी बच्ची का कपड़ा नहीं हटाता या उसके कपड़े के अंदर हाथ नहीं डालता। कोर्ट ने ये भी कहा कि, हालांकि यह निश्चित रूप से भारतीय दंड संहिता की धारा 354 के तहत अपराध की श्रेणी में आएगा।

ये था पूरा मामला

दरअसल, आरोपी अमरूद देने के बहाने 12 साल की लड़की को अपने घर ले गया था। जहां उसने लड़की के ब्रेस्ट को टच किया था, उसकी सलवार उतारने की कोशिश की थी, तभी बच्ची की मां पहुंच गई और उसे बचा लिया। ट्रायल कोर्ट ने आरोपी को POCSO एक्ट और IPC के तहत दोषी करार दिया था। इसके बाद आरोपी ने ट्रायल कोर्ट के फैसले को हाईकोर्ट में चुनौती दी थी।

इस मामले में कोर्ट ने कहा कि POCSO Act के तहत केस तब बनता, जब व्यक्ति बच्ची का गुप्तांग छूने का प्रयास करता या उसे अपना गुप्तांग छूने के लिए मजबूर करता, लेकिन यहां यह मामला नहीं है। इस मामले में किसी भी तरह का सीधा शारीरिक संपर्क नहीं हुआ है। जज साहिबा ने ये भी कहा कि 12 साल की बच्ची का ब्रेस्ट दबाने के मामले में इसकी जानकारी नहीं है कि आरोपी ने उसका टॉप हटाया था या नहीं? ना ही यह क्लियर है कि उसने टॉप के अंदर हाथ डाल कर ब्रेस्ट दबाया था। ऐसी सूचनाओं के अभाव में इसे यौन शोषण नहीं माना जाएगा। कोर्ट ने कहा कि यह IPC की धारा 354 के दायरे में आएगा, जो स्त्रियों की लज्जा के साथ खिलवाड़ करने से जुड़ा है।

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