
अखिलेश तिवारी
ऋषिकेश – भारत अपने दुश्मनों से लडने के लिए तैयार है। शांति का प्रबल समर्थक होने के बावजूद अगर भारत के दुश्मन उसे कमजोर समझकर व्यवहार करेंगे तो वह चुप बैठने वाला नहीं है। पूरे विश्व का हित शांति बनी रहने में है। पृथ्वी पर शांति ही परमार्थ है और इस परमार्थ के लिए भारत युद़ध करने को तैयार है।
चीन पाक से जंग पर अजित डोभाल का बयान
भारत के राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजीत डोवाल ने देवभूमि उत्तराखंड के हरिद़वार से पूरी दुनिया को शांति व सुरक्षा का अहम संदेश दिया है। परमार्थ निकेतन के कार्यक्रम में पहुंचे अजीत डोवाल ने लोगों के साथ बातचीत में देश की सुरक्षा और राष्ट्र निर्माण को लेकर गंभीर चर्चा की। इस मौके पर लोगों के सवाल पर उन्होंने कहा कि भारत ने अपने स्वार्थ के लिए कभी युद़ध नहीं किया, हम युद्ध तो करेंगे अपनी जमीन पर भी करेंगे और बाहर भी करेंगे लेकिन निजी स्वार्थ के लिए नहीं। हम परमार्थ के लिए युद़ध करेंगे।
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निजी स्वार्थ नहीं हम परमार्थ के लिए करेंगे युद्ध
भारत की सीमा पर मंडरा रहे युद़ध के खतरे की बाबत लोगों के सवाल पर उन्होंने कहा कि आप लोग कह रहे हैं कि भारत ने कभी किसी पर आक्रमण नहीं किया। इसके बारे में अपने एक विचार हैं कि अगर कहीं से खतरा आ रहा था तो कर देना चाहिए था देश को बचाना आवश्यक होता है। हम वही लड़ेंगे जहां आपकी इच्छा है यह कोई जरूरी तो नहीं। हम वही लड़ेंगे जहां से हमारे को खतरा आया है, और हम उस खतरे का मुकाबला वही करेंगे।
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— Aᴊɪᴛ Dᴏᴠᴀʟ (@TheAjitDovalNSA) October 25, 2020
राष्ट्र और राज्य का अंतर भी समझाया
राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार ने इस मौके पर लोगों को राष्ट्र और राज्य का अंतर भी समझाया। उन्होंने कहा कि मैं आप लोगों से एक छोटी सी बात कहना चाहता हूं कि हम लोग राष्ट्र की सुरक्षा नहीं करते। हम लोग राज्य की सुरक्षा करते हैं। राज यानी सरकार है तो उसकी सीमाएं, इसका भूगोल व इतिहास है। राष्ट्र की सुरक्षा तो वही करते हैं जो राष्ट्र का निर्माण करते हैं। राज्य नहीं भी रहेगा तब भी राष्ट्र आगे चल सकता है। राज्य का निर्माण करना शायद एक भौतिक शक्ति के लिए है। लेकिन आत्मिक शक्ति के बिना राष्ट्र का निर्माण नहीं हो सकता। अगर राज्य शक्ति शाली भी हो जाए और अगर उसकी आत्मिक शक्ति क्षीण हो जाए तो राष्ट्र कभी नहीं बनेगा।
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इस मौके पर परमार्थ निकेतन में राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजीत डोवाल व उनकी पत्नी का परमार्थ निकेतन के प्रमुख स्वामी चिदानंद सरस्वती ने माला पहनाकर स्वागत किया।
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