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कौड़ी के भाव तेल बिकने की नौबत, पूरी दुनिया में रखने की जगह ही नहीं

कोरोना वायरस के संक्रमण से बचने के लिए दुनिया के तमाम देशों ने अपने यहां लॉकडाउन का एलान कर दिया है। हालांकि इसका अर्थव्यवस्था पर बुरा असर पड़ा है, लेकिन कोई भी देश अपने देश के नागरिकों के स्वास्थ्य को लेकर कोई खतरा मोल लेने को तैयार नहीं है।

Dharmendra kumar
Published on: 1 April 2020 10:34 PM IST
कौड़ी के भाव तेल बिकने की नौबत, पूरी दुनिया में रखने की जगह ही नहीं
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नई दिल्ली: कोरोना वायरस के हमले के कारण दुनिया के तमाम देशों में लॉकडाउन के कारण पेट्रोल-डीजल की डिमांड में जबर्दस्त गिरावट दर्ज की गई है। एक और डिमांड लगातार घटती जा रही है तो दूसरी ओर कोरोना वायरस के हमले के बावजूद तेल के उत्पादन को लेकर सऊदी अरब और रूस के बीच में चल रही जंग थमने का नाम नहीं ले रही है। दोनों उत्पादन घटाने को तैयार नहीं है। जानकारों का कहना है कि दुनिया में तेल रखने की जगह ही नहीं रह गई है। जानकार मानते हैं कि अगर स्थितियों में बदलाव नहीं हुआ तो वह दिन भी आ सकते हैं जब यह कौड़ी के भाव बिकने लगेगा।

लॉकडाउन का दिख रहा असर

कोरोना वायरस के संक्रमण से बचने के लिए दुनिया के तमाम देशों ने अपने यहां लॉकडाउन का एलान कर दिया है। हालांकि इसका अर्थव्यवस्था पर बुरा असर पड़ा है, लेकिन कोई भी देश अपने देश के नागरिकों के स्वास्थ्य को लेकर कोई खतरा मोल लेने को तैयार नहीं है। लॉकडाउन के कारण हर जगह सड़कों पर सन्नाटा पसरा हुआ है और वाहनों का आवागमन पूरी तरह बंद है। ट्रेन, हवाई जहाज, पब्लिक ट्रांसपोर्ट, सामानों को ले जाने वाले भारी वाहन सबकुछ बंद है।

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डिमांड में भारी गिरावट

भारत में आम दिनों में काफी व्यस्त रहने वाले इलाके भी इन दिनों बिल्कुल सूने पड़े हैं। हालत यह हो गई है कि भारत में आम दिनों के मुकाबले पेट्रोल और डीजल की डिमांड मात्र 10 से 20 फ़ीसदी तक ही सिमट गई है। डिमांड में इतनी गिरावट पहले कभी नहीं दर्ज की गई। दुनिया के अन्य देशों का भी यही हाल है। वहां भी लोग घरों में कैद हैं और डिमांड में जबर्दस्त गिरावट आई है।

सऊदी अरब और रूस में चल रही है जंग

एक और डिमांड में जबर्दस्त गिरावट आती जा रही है तो दूसरी ओर सऊदी अरब और रूस के बीच तेल बाजार पर अधिग्रहण को लेकर प्राइस वार थमने का नाम नहीं ले रही। इसी का नतीजा है कि दोनों देश उत्पादन घटाने को तैयार नहीं है। घटती डिमांड और बढ़ते उत्पादन का नतीजा है कि दुनिया में तेल रखने की जगह ही नहीं है। यही कारण है कि आने वाले दिनों में तेल के कौड़ी के भाव बिकने की आशंका जताई जा रही है।

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सऊदी अरब बढ़ाएगा निर्यात

ओपेक और गैर ओपेक देशों के बीच तेल उत्पादन को लेकर तीन साल का समझौता बुधवार को समाप्त हो गया। इसके बाद सऊदी अरब ने साफ तौर पर एलान किया है कि अब वह तेल निर्यात बढ़ाकर रेकार्ड 1.06 करोड़ बैरल प्रतिदिन करेगा। सऊदी अरब की समाचार एजेंसी एसपीएनए ऊर्जा मंत्रालय के एक अधिकारी के हवाले से बताया कि देश की मई से निर्यात में 600000 बैरल प्रतिदिन बढ़ोतरी की योजना है। इससे कुल निर्यात बढ़कर 1.06 करोड़ बैरल प्रतिदिन हो जाएगा।

ऑयल कंपनियां नुकसान से परेशान

दूसरी ओर ऑयल कंपनियों का अलग ही दर्द है। यह कंपनियां मांग में गिरावट के कारण हर बैरल की रिफाइन पर होने वाले नुकसान को लेकर परेशान हैं। आने वाले दिनों में इन ऑयल कंपनियों का स्टोर पूरी तरह लबालब हो जाएगा।

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भाव 17 साल के न्यूनतम स्तर पर

अंतर्राष्ट्रीय बाजारों में कच्चे तेल का भाव सोमवार को गिरकर 17 साल के अपने न्यूनतम स्तर पर पहुंच गया। विश्व बाजार में ब्रेंट क्रूड तेल का भाव गिर गिर कर 23 डॉलर प्रति बैरल तक आ गया है। 30 मार्च को तो एक समय इसकी कीमत 21 डॉलर प्रति बैरल तक आ गई थी। वहीं अमेरिका का कच्चा तेल कुछ समय के लिए 20 डॉलर से भी नीचे चल रहा था।

भारत में 14 दिन से दाम स्थिर

जहां तक भारत की बात है तो देश में पिछले 14 दिनों से पेट्रोल और डीजल के दाम लगातार रुके हुए हैं। आखिरी बार 16 मार्च को दाम संशोधित किए गए थे और तब से तेल कंपनियां सरकार द्वारा दोनों ही दिनों में 3 रुपए प्रति लीटर की उत्पाद शुल्क वृद्धि को समायोजित करने में लगी हुई है।



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Dharmendra kumar

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