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फूट-फूट कर रोए बूढ़े माँ-बाप, कर्नल बेटे के देहांत पर 2000KM का सफर तय कर पहुंचे

कोरोना वायरस के 21 दिन के लॉकडाउन के बीच देश में एक पिता-माता ने अपने कर्नल बेटे की आखिरी झलक पाने के लिए 2000 किलोमीटर का सफर तय किया।

Vidushi Mishra
Published on: 12 April 2020 7:11 AM GMT
फूट-फूट कर रोए बूढ़े माँ-बाप, कर्नल बेटे के देहांत पर 2000KM का सफर तय कर पहुंचे
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फूट-फूट कर रोए बूढ़े माँ-बाप, कर्नल बेटे के देहांत पर 2000KM का सफर तय कर पहुंचे

नई दिल्ली: कोरोना वायरस के 21 दिन के लॉकडाउन के बीच देश में एक पिता-माता ने अपने कर्नल बेटे की आखिरी झलक पाने के लिए 2000 किलोमीटर का सफर तय किया। कर्नल के माता-पिता की आंखों से टप-टप गिरते ममता के उन आंसूओं की कीमत और उनकी बेचैनी का अंदाजा कोई नहीं लगा सकता है। वे अपने बेटे नवजोत सिंह बल की अंतिम झलक पाने के लिए गुरुग्राम से 2000 किलोमीटर लंबी सड़क यात्रा करके शनिवार शाम कर्नाटक पहुंचे। भारतीय सेना में कर्नल नवजोत सिंह बल (39) का कैंसर के कारण गुरुवार को बेंगलुरु में निधन हो गया था। कर्नल नवजोत के माता-पिता को लॉकडाउन के कारण कोई फ्लाइट नहीं मिल सकी, जिसके कारण वो शुक्रवार सुबह सड़क के रास्ते गुरुग्राम से बेंगलुरू का सफर तर किया।

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माता-पिता गुरूग्राम में रहते

कर्नल नवजोत के माता-पिता गुरुग्राम में थे। यहां से बेंगलुरु की दूरी लगभग 2000 किलोमीटर है। लॉकडाउन चलते उनके पैरेंट्स को एयरफोर्स का विमान नहीं मिल सका। नवजोत के परिजनों ने शुक्रवार को ट्वीट किया था, 'फिलहाल वो दिल्ली में हैं और अंतिम संस्कार में शामिल होने के लिये बंगलूरू जाने के लिए पैदल ही निकल रहे हैं।

नवजोत के भाई नवतेज सिंह बल ने ट्वीट किया कि उनके माता-पिता गुरुग्राम से 968 किलोमीटर साउथ वेस्ट में गुजरात के वडोदरा पहुंचे। बेंगलुरु वडोदरा से 1,380 किमी साउथ-ईस्ट में है। गुरुग्राम से बेंगलुरु की दूरी 2,348 किमी है।

इसके बाद उन्होंने दोबारा ट्वीट किया, 'सहयोग के लिए सभी का धन्यवाद! वह वडोदरा पहुंचने वाले हैं। सुरक्षा बलों की ओर से रास्ते में बहुत मदद और सहयोग मिला है। अगर सबकुछ सही रहा तो हम कल रात बेंगलुरु पहुंच जाएंगे।'

मुझे इनका सहयोग नहीं मिलता तो मैं नहीं पहुंच पाता

कर्नल के पिता ने बताया कि "मुझे नहीं पता कि मेरा बेटा बेंगलुरू में किस अस्पताल में गुजरा, क्योंकि मैं अमृतसर में था, मुझे कोई जानकारी नहीं है, वहां जाकर ही कुछ बता पाउंगा।"

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भारतीय सेना के एक पूर्व अधिकारी बाल ने बताया कि नवजोत बेंगलुरु में भारतीय सेना की दूसरी पैरा रेजिमेंट के कमांडिंग ऑफिसर थे। नवजोत के परिवार ने लॉकडाउन के कारण उनके गृहनगर के बजाय शहर में ही अंतिम संस्कार करने का फैसला किया है।

इसके बाद उन्होंने सरकार के लॉकडाउन की तारीफ़ करते हुए कहा, सरकार ने रास्ते में खाने-पीने से लगाकर कई सुविधा दे रखी है, अगर मुझे इनका सहयोग नहीं मिलता तो मैं यहां तक नहीं पहुंच पाता।

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Vidushi Mishra

Vidushi Mishra

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