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ऑपरेशन ‘माँ'! ऐसा हुआ असर कि सुधर गए, 50 युवा आतंकी लौटे अपने घर   

सेना की 15वीं कोर को चिनार कोर भी कहा जाता है। कोर ने घाटी और नियंत्रण रेखा पर आतंकवाद से लड़ने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है। लेफिनेंट जनरल ढिल्लों ने बताया कि पवित्र कुरान में माँ का महत्व समझाते हुए कहा गया है कि पहले अच्छे काम करो, फिर अपनी माँ की सेवा करो, फिर अपने पिता के पास जाओ।

SK Gautam
Published on: 4 Nov 2019 11:45 AM GMT
ऑपरेशन ‘माँ! ऐसा हुआ असर कि सुधर गए, 50 युवा आतंकी लौटे अपने घर   
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नई दिल्ली: कश्मीर घाटी में स्थानीय युवाओं का आतंकवाद की तरफ जाने से रोकने के लिए भारतीय सेना की 15वीं कोर ने एक नई पहल ‘ऑपरेशन माँ’ चालू किया था जिसका असर दिखने लगा है। इस पहल के कारण इस साल पचास कश्मीरी युवक आतंक का रास्ता छोड़कर अपनी जिंदगी की मुख्यधारा में शामिल हो चुके हैं।

यह अनोखी पहल पंद्रहवीं कोर के प्रमुख लेफ्टिनेंट जनरल कंवलजीत सिंह ढिल्लों के निर्देशन में शुरू किये गए इस अभियान में लापता युवकों को खोजने और उनके परिजन तक पहुँचने के काम को अंजाम दिया गया।

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पवित्र कुरान की मदद से माँ का महत्व समझाया

बता दें कि सेना की 15वीं कोर को चिनार कोर भी कहा जाता है। कोर ने घाटी और नियंत्रण रेखा पर आतंकवाद से लड़ने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है। लेफिनेंट जनरल ढिल्लों ने बताया कि पवित्र कुरान में माँ का महत्व समझाते हुए कहा गया है कि पहले अच्छे काम करो, फिर अपनी माँ की सेवा करो, फिर अपने पिता के पास जाओ। इसी से मुझे भटके हुए नौजवानों को उनके परिवार तक पहुँचाने में मदद मिली।

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अभिभावकों की पहचान गुप्त रखते हुए उनके संदेश दिखाकर जनरल ढिल्लों ने उन्हें घाटी का मूल्यवान तोहफा कहा। उन्होंने कहा कि लोगों के मन में सेना के मानवीय कार्यों के प्रति बहुत सम्मान है। जनरल ने बताया कि कुछ स्थानों पर मुठभेड़ ठीक बीच में रोक कर भी आतंकवादियों का समर्पण कराया गया है।

उन्होंने कहा कि स्थानीय आतंकी के सुरक्षा बलों के साथ मुठभेड़ में फंसने की सूचना मिलने पर हम उसकी माँ का पता लगाते हैं और दोनों की बातचीत कराने का प्रबंध करते हैं। कुछ मुठभेड़ों का अंत माँ बेटे के करिश्माई मिलन से हुआ है और इस प्रकार सेना के प्रयासों से हमने कश्मीरी युवाओं की जान बचाई है।

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लेफिनेंट जनरल ढिल्लों ने कहा कि हमें शव गिनने का शौक नहीं है बल्कि उन युवाओं की संख्या गिनना पसंद करते हैं जिन्हें हमने उनके परिजनों से मिलवाया है। मैं प्रसन्न हूँ कि इस साल पचास युवा अपने परिवार में वापस आ चुके हैं।

SK Gautam

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