Opposition Meeting Update: पटना बैठक के हीरो नीतीश बेंगलुरु में दिखे जीरो, कांग्रेस पूरी तरह हावी, लालू यादव को भी नहीं मिली अहमियत

Opposition Meeting Latest Update: पटना में नीतीश कुमार ही प्रेस कॉन्फ्रेंस का संचालन करते हुए दिखे थे मगर बेंगलुरु की बैठक के बाद हुई प्रेस कॉन्फ्रेंस के दौरान नीतीश कुमार का कोई संबोधन नहीं हुआ।

Anshuman Tiwari
Published on: 19 July 2023 3:31 AM GMT
Opposition Meeting Update: पटना बैठक के हीरो नीतीश बेंगलुरु में दिखे जीरो, कांग्रेस पूरी तरह हावी, लालू यादव को भी नहीं मिली अहमियत
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Opposition Meeting Latest Update (photo: social media )

Opposition Meeting: विपक्षी दलों की बेंगलुरु में हुई बैठक के दौरान कांग्रेस पूरी तरह हावी दिखी। पटना में गत 23 जून को हुई बैठक के बाद बंगलुरु की बैठक में नजारा बिल्कुल बदला हुआ दिखा। पटना की बैठक के दौरान बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार सूत्रधार और हीरो की भूमिका में दिखे थे मगर बेंगलुरु की बैठक के दौरान उन्हें ज्यादा अहमियत नहीं मिली। हद तो तब हो गई जब विपक्ष के सारे प्रमुख नेता प्रेस कॉन्फ्रेंस को संबोधित करते हुए दिखे मगर इस दौरान भी नीतीश कुमार नदारद थे।

पटना में नीतीश कुमार ही प्रेस कॉन्फ्रेंस का संचालन करते हुए दिखे थे मगर बेंगलुरु की बैठक के बाद हुई प्रेस कॉन्फ्रेंस के दौरान नीतीश कुमार का कोई संबोधन नहीं हुआ। बिहार के एक और प्रमुख नेता और राजद मुखिया लालू प्रसाद यादव को भी बोलने का मौका नहीं मिला। बेंगलुरु की बैठक के बाद सियासी जानकारों का मानना है कि विपक्षी एकजुटता की कमान अब पूरी तरह कांग्रेस के हाथों में आती दिख रही है।

विपक्षी एकजुटता में नीतीश की महत्वपूर्ण भूमिका

विपक्षी एकजुटता की मुहिम को शुरू करने में सबसे बड़ी भूमिका नीतीश कुमार की ही रही है। उन्होंने पिछले साल सितंबर महीने के दौरान ही इस दिशा में प्रयास शुरू कर दिया था। नीतीश कुमार ने न केवल दिल्ली में कांग्रेस समेत अन्य दल विपक्षी दलों के नेताओं के साथ विपक्षी एकजुटता पर चर्चा की बल्कि उन्होंने विपक्षी दलों को एक मंच पर लाने के लिए विभिन्न राज्यों का दौरा भी किया। विभिन्न राज्यों की यात्रा के दौरान उन्होंने क्षेत्रीय दलों के प्रमुख नेताओं के साथ मुलाकात करके सभी विपक्षी दलों को एक मंच पर लाने का प्रयास किया।

नीतीश की पहल पर पटना में हुई थी बैठक

नीतीश कुमार की कोलकाता यात्रा के दौरान पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री और टीएमसी की मुखिया ममता बनर्जी ने विपक्षी एकता की बैठक की शुरुआत पटना से करने की सलाह दी थी। उनका कहना था कि बिहार लोकनायक जयप्रकाश नारायण की धरती रही है। इसलिए बदलाव की शुरुआत बिहार से ही होनी चाहिए।

ममता के सुझाव के बाद ही नीतीश कुमार ने विपक्षी एकजुटता की पहली बैठक का आयोजन पटना में किया था। इस बैठक के दौरान विपक्षी दलों के नेताओं ने 2024 का चुनाव मिलकर लड़ने का ऐलान किया था। विपक्षी एकजुटता की इस मुहिम के सिलसिले में नीतीश कुमार ने कोलकाता के अलावा लखनऊ, मुंबई,भुवनेश्वर रांची और कुछ अन्य स्थानों का भी दौरा किया था।

प्रेस कॉन्फ्रेंस में नहीं दिखे नीतीश व लालू

पटना की बैठक के बाद विपक्षी एकजुटता की मुहिम में नीतीश कुमार सबसे कद्दावर नेता बनकर उभरे थे मगर बेंगलुरु की बैठक के दौरान नजारा बिल्कुल बदला हुआ दिखा। बैठक के बाद आयोजित प्रेस कांफ्रेंस को मल्लिकार्जुन खड़गे, राहुल गांधी, ममता बनर्जी, उद्धव ठाकरे और अरविंद केजरीवाल समेत अन्य नेताओं ने संबोधित किया मगर नीतीश कुमार प्रेस कॉन्फ्रेंस के दौरान कहीं नहीं दिखे।

प्रेस कॉन्फ्रेंस में नीतीश कुमार का संबोधन तय माना जा रहा था मगर उनकी नामौजूदगी के बाद तरह-तरह के कयास लगाए जाने लगे हैं। सूत्रों का कहना है कि नीतीश कुमार गठबंधन का नाम इंडिया रखे जाने पर सहमत नहीं थे। नीतीश के अलावा राजद मुखिया लालू प्रसाद यादव भी प्रेस कॉन्फ्रेंस में नहीं दिखे। दोनों नेताओं ने बेंगलुरु की बैठक को लेकर पूरी तरह चुप्पी साधे रखी।

जानकारों का कहना है कि विपक्षी एकजुटता की मशाल अब पूरी तरह कांग्रेस के हाथों में आ गई है। बेंगलुरु की बैठक के दौरान कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे प्रमुख भूमिका में दिखे और उन्होंने ही विपक्षी गठबंधन का नाम इंडिया रखे जाने के फैसले की जानकारी दी। उन्होंने ही बैठक में लिए गए अन्य प्रमुख फसलों की भी जानकारी दी। उनका कहना था कि विपक्षी गठबंधन का सचिवालय दिल्ली में स्थापित होगा जबकि अगली बैठक मुंबई में आयोजित की जाएगी।

बेंगलुरु में नीतीश के खिलाफ पोस्टरबाजी

बेंगलुरु में मंगलवार को विपक्ष की महत्वपूर्ण बैठक से पहले शहर के कई इलाकों में नीतीश कुमार के खिलाफ बैनर और पोस्टर भी दिखे। इन पोस्टरों और बैनरों में नीतीश कुमार को अनस्टेबल प्राइम मिनिस्टर उम्मीदवार बताया गया है। इसके साथ ही बिहार में हाल में गिरे ब्रिज की तस्वीर भी लगाई गई। बेंगलुरु के चालुक्य सर्कल, विंडसर मैनर ब्रिज और हेब्बाल के पास एयरपोर्ट रोड पर ये पोस्टर और बैनर लगाए गए थे। हालांकि बेंगलुरु पुलिस ने इस बाबत कार्रवाई करते हुए इन पोस्टरों को हटवाया।

पोस्टर पर किसी भी पार्टी या राजनेता का नाम नहीं लिखा हुआ था। नीतीश कुमार कई बार खुद को प्रधानमंत्री पद की दौड़ से बाहर बता चुके हैं मगर जदयू नेताओं और कार्यकर्ताओं की ओर से उन्हें पीएम पद का उपयुक्त उम्मीदवार बताया जाता रहा है। जानकारों का मानना है कि इन पोस्टरों के जरिए नीतीश कुमार की दावेदारी को कमजोर बनाने की कोशिश की गई।

बेंगलुरु में भी दूल्हे का पता नहीं

बेंगलुरु के बैठक के दौरान गठबंधन का नाम इंडिया करने और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का मजबूती से मुकाबला करने का ऐलान तो किया गया मगर सवाल उठने पर भी इस सवाल का जवाब नहीं दिया गया कि पीएम मोदी के मुकाबले आखिरकार गठबंधन का चेहरा कौन होगा। इस सवाल का जवाब मुंबई की बैठक में मिलने की बात कही गई।

दरअसल विपक्षी दलों के लिए इस सवाल का जवाब दे पाना काफी मुश्किल माना जा रहा है। विपक्ष के कई दलों की ओर से अपने-अपने नेताओं का नाम प्रधानमंत्री पद के लिए उछाला जाता रहा है और यही कारण है कि कांग्रेस अभी इस सवाल को टालने की कोशिश में जुटी हुई है। विपक्षी दलों की बैठक के बाद भाजपा की ओर से तंज भी कसा गया कि बारात तो बेंगलुरु पहुंच गई मगर अभी तक दूल्हे का पता नहीं चल सका है।

Anshuman Tiwari

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