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Opp. vs NDA: सत्ता पक्ष विपक्ष के बीच ताकत दिखाने की होड़, विपक्ष की जुटान का दिल्ली में जवाब देगा NDA, कौन किस पर भारी

Opposition vs NDA: बेंगलुरु में विपक्ष की बैठक के आज शाम शुरू होने के बाद महत्वपूर्ण मुद्दों और चुनावी रणनीति पर कल गहराई से मंथन किया जाएगा। बेंगलुरु में विपक्ष की महाजुटान में इस बार 26 विपक्षी दल शिरकत करेंगे।

Anshuman Tiwari
Published on: 17 July 2023 10:43 AM GMT (Updated on: 17 July 2023 10:56 AM GMT)
Opp. vs NDA: सत्ता पक्ष विपक्ष के बीच ताकत दिखाने की होड़, विपक्ष की जुटान का दिल्ली में जवाब देगा NDA, कौन किस पर भारी
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Opposition vs NDA (Photo: Social Media)

Opposition vs NDA: 2024 की सियासी जंग में अब एक साल से भी कम वक्त बचा है। ऐसे में सत्तापक्ष और विपक्ष ने एक-दूसरे की किलेबंदी को ध्वस्त करने की कोशिशें शुरू कर दी हैं। बेंगलुरु में विपक्ष की बैठक के आज शाम शुरू होने के बाद महत्वपूर्ण मुद्दों और चुनावी रणनीति पर कल गहराई से मंथन किया जाएगा। बेंगलुरु में विपक्ष की महाजुटान में इस बार 26 विपक्षी दल शिरकत करेंगे। विपक्ष मजबूत मोर्चेबंदी के जरिए एनडीए को जवाब देने की कोशिश में जुटा हुआ है।

दूसरी ओर विपक्ष को जवाब देने के लिए भाजपा के शीर्ष नेतृत्व ने एनडीए को मजबूत बनाने की कोशिशें भी शुरू कर दी हैं। दिल्ली में कल होने वाली एनडीए की महत्वपूर्ण बैठक में 19 दलों ने भाग लेने की पुष्टि कर दी है। सियासी जानकारों का मानना है कि आने वाले दिनों में एनडीए का कुनबा और मजबूत हो सकता है क्योंकि भाजपा के शीर्ष नेतृत्व की कई और सियासी दलों से बातचीत चल रही है। सत्ता पक्ष और विपक्ष के बीच ताकत दिखाने की होड़ मची हुई है और अब यह देखने वाली बात होगी कि कौन किस पर भारी पड़ता है।

विपक्ष का मिलकर चुनाव लड़ने का फैसला

बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने विपक्षी दलों की एकजुटता के लिए पिछले साल ही प्रयास शुरू कर दिया था। उन्होंने विपक्ष के कई बड़े नेताओं के साथ बातचीत करके पटना बैठक की जमीन तैयार की थी। पटना में गत 23 जून को विपक्षी विपक्षी दलों की पहली बैठक का आयोजन किया गया था जिसमें 15 दलों के नेताओं ने शिरकत की थी।

बैठक के बाद आयोजित साझा प्रेस कॉन्फ्रेंस के दौरान विपक्ष के नेताओं ने 2024 की सियासी जंग में मिलकर उतरने का ऐलान किया था। उनका कहना था कि भाजपा को सत्ता से बेदखल करने के लिए विपक्ष पूरी एकजुटता के साथ सियासी रण में कूदेगा।

विपक्ष का मोर्चा अब पहले से ज्यादा मजबूत

पटना की बैठक के बाद अब विपक्षी मोर्चा और मजबूत हो गया है। अब बेंगलुरु बैठक के दौरान हिस्सा लेने वाले विपक्षी दलों की संख्या 26 तक पहुंच गई है। कांग्रेस के वरिष्ठ नेता जयराम रमेश और पार्टी महासचिव केसी वेणुगोपाल का कहना है कि बेंगलुरु बैठक में 26 विपक्षी दल भाजपा को हराने के लिए साझा रणनीति पर चर्चा करेंगे। दोनों नेताओं ने दावा किया कि विपक्षी दलों की यह बैठक गेमचेंजर साबित होगी और 2024 में भाजपा को अपनी ताकत का पता लग जाएगा।

दिल्ली में मेगा शो के जरिए जवाब देगा एनडीए

विपक्षी दलों की ओर से किए जा रहे एकजुटता के इन प्रयासों को जवाब देने के लिए भाजपा ने भी कमर कस ली है। भाजपा के शीर्ष नेतृत्व की ओर से कल दिल्ली में मेगा शो के जरिए विपक्ष को जवाब देने की कोशिश की जाएगी। भाजपा सूत्रों का कहना है कि अभी तक एनडीए की बैठक में हिस्सा लेने के लिए 19 दलों की ओर से पुष्टि की जा चुकी है। भाजपा अध्यक्ष ने लोजपा (रामविलास) के मुखिया चिराग पासवान और हम के नेता और बिहार के पूर्व मुख्यमंत्री जीतन राम मांझी को भी बैठक में हिस्सा लेने के लिए न्योता दिया है।

अभी हाल में भाजपा उत्तर प्रदेश में ओमप्रकाश राजभर की पार्टी सुभासपा को भी एनडीए से जोड़ने में कामयाब रही है। भाजपा नेतृत्व की ओर से कई और क्षेत्रीय दलों से भी लगातार संपर्क साधने का प्रयास किया जा रहा है। पार्टी सूत्रों का कहना है कि आने वाले दिनों में कुछ और सियासी दल भी एनडीए में शामिल हो सकते हैं।

महाराष्ट्र-कर्नाटक में भाजपा की आक्रामक रणनीति

भाजपा ने महाराष्ट्र और कर्नाटक पर विशेष तौर पर नजरें गड़ा रखी हैं एनसीपी में बगावत के बाद भाजपा को महाराष्ट्र में अजित पवार के रूप में नया पार्टनर मिल गया है। शिवसेना में दो फाड़ होने के बाद मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे का गुट पहले से ही भाजपा के साथ है। ऐसे में भाजपा महाराष्ट्र में सियासी रूप से काफी मजबूत नजर आ रही है जबकि दूसरी और उद्धव ठाकरे और शरद पवार सरीखे दिग्गज नेता अपना सियासी वजूद बचाने की कोशिश में जुटे हुए हैं।
कर्नाटक में हाल में हुए विधानसभा चुनाव के दौरान भाजपा को कांग्रेस के हाथों बड़ी हार का सामना करना पड़ा था। तभी से पार्टी लोकसभा चुनाव को लेकर नई रणनीति बनाने की कोशिश में जुटी हुई है।

जानकारों के मुताबिक भाजपा नेतृत्व की जनता दल सेक्युलर से चुनावी गठबंधन को लेकर महत्वपूर्ण बातचीत चल रही है। भाजपा और जद एस के नेताओं पूर्व प्रधानमंत्री एच डी देवगौड़ा व पूर्व मुख्यमंत्री एच डी कुमारस्वामी के बयानों से साफ हो गया है कि जल्दी ही दोनों दलों के बीच गठबंधन का ऐलान किया जा सकता है।

राजभर के बाद कई और दलों पर भाजपा की निगाहें

उत्तर प्रदेश ओमप्रकाश राजभर को एनडीए में शामिल करने में मिली कामयाबी के बाद भाजपा की स्थिति काफी मजबूत मानी जा रही है। यूपी के बाद भाजपा बिहार और झारखंड में भी अपने गठबंधन को मजबूत बनाने की कोशिश में जुटी हुई है।

चिराग पासवान और जीतन राम मांझी के बाद भाजपा ने उपेंद्र कुशवाहा की रालोजपा और मुकेश सहनी की वीआईपी पर भी नजरें गड़ा रखी हैं। भाजपा ने झारखंड में आजसू से भी संपर्क साध रखा है। माना जा रहा है कि आने वाले दिनों में इस बाबत बड़ा ऐलान किया जा सकता है।

विपक्षी मोर्चे की क्या है सियासी ताकत

अब सियासी जानकारों ने विपक्षी मोर्चे और एनडीए की ताकत को एक-दूसरे से तौलना शुरू कर दिया है। विपक्षी की बैठक में शामिल होने वाले दलों में कांग्रेस, टीएमसी, सपा, जदयू, राजद और आम आदमी पार्टी जैसे सियासी रूप से मजबूत दल भी शामिल हैं। हालांकि विपक्षी मोर्चे में सीट शेयरिंग का फार्मूला आसान नहीं माना जा रहा है।

यदि विपक्षी मोर्चे में शामिल दलों का 2019 के लोकसभा चुनाव के नतीजों के आधार पर मूल्यांकन किया जाए तो इन दलों ने करीब 34.47 फीसदी मत हासिल करने में कामयाबी हासिल की थी। 2019 में इन दलों ने 124 लोकसभा सीटों पर जीत हासिल की थी।

विपक्ष की बैठक में शामिल होने वाले नेताओं में उद्धव ठाकरे और शरद पवार भी शामिल हैं। हालांकि अब इन दोनों पार्टियों में बगावत हो चुकी है। इन दोनों दलों का दूसरा गुट भाजपा के साथ है। शिवसेना के अधिकांश सांसद शिंदे गुट के साथ हैं जबकि एनसीपी को लेकर तस्वीर अभी तक साफ नहीं हो सकी है।

सियासी ताकत में एनडीए का पलड़ा भारी

दूसरी ओर यदि 2019 के चुनाव के आधार पर एनडीए की बैठक में शामिल होने वाले दलों की ताकत को देखा जाए तो वह विपक्ष पर भारी पड़ता हुआ दिख रहा है। एनडीए की बैठक में शामिल होने वाले दलों ने 2019 के लोकसभा चुनाव के दौरान करीब 40,81 फीसदी मत हासिल किए थे।

यदि सीटों के लिहाज से देखा जाए तो इन दलों ने 317 सीटों पर जीत हासिल की थी। इस तरह सियासी लिहाज से एनडीए अभी भी विपक्ष के मोर्चे पर भारी पड़ता हुआ दिख रहा है। हालांकि विपक्ष की ओर से साझा उम्मीदवार उतारे जाने की स्थिति में तस्वीर बदलने की संभावना से इनकार नहीं किया जा सकता।

तीन बड़े नेता अभी किसी भी खेमे में नहीं

वैसे नवीन पटनायक की पार्टी बीजू जनता दल, चंद्रशेखर राव की पार्टी बीआरएस और जगन मोहन रेड्डी की वाईएसआर कांग्रेस ने अभी तक किसी भी खेमे में जाने का फैसला नहीं किया है। इन तीनों नेताओं की अपने-अपने राज्यों पर मजबूत पकड़ मानी जाती है। ऐसे में आने वाले दिनों में इन नेताओं का रुख भी सियासी नजरिए से काफी महत्वपूर्ण साबित होगा।

अकाली दल, भाजपा और टीडीपी के रुख पर भी सबकी निगाहें लगी हुई हैं। टीडीपी के जल्द एनडीए में शामिल होने की संभावना जताई जा रही है। टीडीपी के नेता चंद्रबाबू नायडू की भाजपा के शीर्ष नेतृत्व के साथ बातचीत भी हुई है। सियासी जानकारों का मानना है कि आने वाले दिनों में एनडीए और विपक्षी मोर्चे की यह जंग और तीखी होने के आसार हैं।

Anshuman Tiwari

Anshuman Tiwari

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