TRENDING TAGS :
कोर्ट का अहम फैसला: बैंक,पैनकार्ड या जमीन के कागज, नहीं होंगे नागरिकता का प्रमाण
जस्टिस मनोजीत भुयान और जस्टिस पीजे सैकिया की पीठ ने जुबैदा बेगम की याचिका रद्द करते हुए कहा कि उनके द्वारा पेश किए दस्तावेज से यह प्रमाणित नहीं होता कि उसके पिता-माता एक जनवरी 1966 से पहले असम आए थे और वह 24 मार्च 1971 से पहले से राज्य में रह रहे थे।
नई दिल्ली: गुवाहटी हाई कोर्ट ने मंगलवार को दायर एक याचिका पर सुनवाई करते हुए कहा कि, फोटो युक्त वोटर आईडी कार्ड किसी व्यक्ति की नागरिकता का अन्तिम सबूत नहीं हो सकता है। हाईकोर्ट ने कहा कि, भूमि राजस्व रसीद, पैन कार्ड और बैंक दस्तावेजों का उपयोग नागरिकता साबित करने के लिए नहीं किया जा सकता है। ट्रिब्यूनल ने महिला को विदेशी नागरिक की श्रेणी में रखा था। हालांकि, भूमि और बैंक खातों से जुड़े दस्तावेजों को प्रशासन के स्वीकार्य दस्तावेजों की सूची में रखा गया है।
जस्टिस मनोजीत भुयान और जस्टिस पीजे सैकिया की पीठ ने जुबैदा बेगम की याचिका रद्द करते हुए कहा कि उनके द्वारा पेश किए दस्तावेज से यह प्रमाणित नहीं होता कि उसके पिता-माता एक जनवरी 1966 से पहले असम आए थे और वह 24 मार्च 1971 से पहले से राज्य में रह रहे थे।
यह पढ़ें...जवानी में ट्रंप! रखते थे ये शौक, जानकर यकीन नहीं कर पाएंगे आप
बेगम ने पैन कार्ड, राशन कार्ड, दो बैंक पासबुक, अपने पिता जाबेद अली की एनआरसी जानकारी, अपने दादा-दादी, माता-पिता और अपने पति के नाम वाली वोटर लिस्ट, कई भूमि राजस्व की प्रति समेत 14 दस्तावेज जमा कराए थे।
बाक्सा जिले में विदेशी ट्रिब्यूनल ने एसपी बार्डर के एक संदर्भ के आधार पर उन्हें नोटिस जारी किया था। बेगम ने ट्रिब्यूनल के सामने पेश होकर 14 दस्तावेज के साथ अपना लिखित बयान दर्ज कराया था। इसमें उन्होंने जन्म से भारत का नागरिक होने का दावा किया था।
ह पढ़ें..शिवाजी महाराज पर बन रही है फिल्म, ये एक्टर निभायेगा भूमिका..
हालांकि अदालत ने अपने फैसले में कहा कि याचिकाकर्ता 1997 से पहले की मतदाता सूची प्रस्तुत करने में विफल रही, जिससे कि यह साबित हो सके कि उसके माता-पिता 1 जनवरी, 1966 से पहले असम में प्रवेश कर चुके थे और वह 24 मार्च 1971 से पहले राज्य में रह रहे थे। दरअसल नागरिकता अधिनियम के उपबंध 6A के अनुसार, असम समझौते के तहत राज्य में नागरिकता के लिए आधार वर्ष 1 जनवरी, 1966 है।