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मॉनसून सत्र: विपक्ष ने कौन-कौन से सवाल पूछे और सरकार ने क्या जवाब दिया, यहां जानें

विपक्ष के कुछ सांसदों ने सरकार से पूछा कि कोरोना और लॉकडाउन की वजह से कितने प्रवासी मजदूरों पर संकट आया। कितने प्रवासी मजदूरों की मौत हुई। इसका आंकड़ा सदन के सामने रखें।

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Published on: 14 Sept 2020 1:54 PM IST
मॉनसून सत्र: विपक्ष ने कौन-कौन से सवाल पूछे और सरकार ने क्या जवाब दिया, यहां जानें
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विपक्ष के सांसदों ने ये सवाल भी पूछा कि कोरोना संकट के दौरान सरकार ने अन्य और कौन –कौन से कदम उठाए थे, उनके बारे में जानकारी दें।

नई दिल्ली: संसद का मॉनसून सत्र सोमवार से शुरू हो गया है। सदन के भीतर आज विपक्ष की ओर से लिखित तरीके से सवाल पूछे गये।

विपक्ष के कुछ सांसदों ने सरकार से पूछा कि कोरोना और लॉकडाउन की वजह से कितने प्रवासी मजदूरों पर संकट आया। कितने प्रवासी मजदूरों की मौत हुई। इसका आंकड़ा सदन के सामने रखें। जवाब में सरकार ने कहा कि उनके पास ऐसा कोई डाटा उपलब्ध नहीं है।

अगला सवाल सरकार से ये पूछा गया कि क्या सरकार ने सभी राशनकार्ड धारकों को मुफ्त में राशन दिया है, अगर हां तो उसकी जानकारी दें।

विपक्ष के सांसदों ने ये सवाल भी पूछा कि कोरोना संकट के दौरान सरकार ने अन्य और कौन –कौन से कदम उठाए थे, उनके बारे में जानकारी दें।

Om Birla लोकसभा स्पीकर ओम बिड़ला(फोटो(सोशल मीडिया)

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सरकार के पास मौत के आंकड़ों का कोई डेटा नहीं: संतोष कुमार गंगवार

जिस पर केंद्र सरकार की तरफ से मंत्री संतोष कुमार गंगवार ने जवाब देते हुए कहा कि भारत ने एक देश के रूप में केंद्र-राज्य सरकार, लोकल बॉडी ने कोरोना के खिलाफ जंग लड़ी है। लेकिन सरकार के पास मौत के आंकड़ों को लेकर ऐसा कोई डाटा नहीं है।

जब विपक्ष ने पूछा कि कितने लोगों को राशन वितरित किया गया उनका राज्यवार ब्योरा दे। जिस पर मंत्रालय की ओर से राज्यवार आंकड़ा उपलब्ध ना होने की बात कही गई। केवल इतना बताया गया 80 करोड़ लोगों को पांच किलो अतिरिक्त चावल या गेहूं, एक किलो दाल नवंबर 2020 तक देने की बात कही गई है।

सदन में सरकार की तरफ से लॉकडाउन के वक्त गरीब कल्याण योजना, आत्मनिर्भर भारत पैकेज, ईपीएफ योजना जैसे लिए गए निर्णयों की जानकारी दी गई है।

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Patient अस्पताल में इलाज कराते मरीज की फोटो(सोशल मीडिया)

लॉकडाउन से बड़ी संख्या में प्रवासी मजदूर सड़कों पर आ गये थे

याद दिला दें कि पीएम मोदी द्वारा अचानक से लॉकडाउन का एलान के बाद से बड़ी संख्या में प्रवासी मजदूर सड़कों पर आ गए थे।

उनके पास शहरों में न तो काम बचा था और न ही रहने और खाना का इंतजाम। कोरोना और लॉकडाउन की वजह से कम्पनी और कारखाने दोनों ही बंद कर दिए गये थे।

इसलिए वे पैदल ही घर जाने लगे थे। इस दौरान कई मजदूरों की सड़क दुर्घटना भूख-प्यास और तबीयत बिगड़ने से मरने की खबर भी आई थी, जिसपर कांग्रेस समेत अन्य दलों ने सरकार को घेरने का काम किया।

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