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Manipur Issue: 'मणिपुर मुद्दे पर घड़ियाली आंसू बहा रहा विपक्ष, उन्हें परवाह होती तो...', निर्मला सीतारमण का जोरदार हमला
Manipur Crisis : वित्त मंत्री सीतारमण ने कहा, कि 'मणिपुर जैसे संवेदनशील मसले पर विपक्ष के लिए सिर्फ एक राजनीतिक मुद्दा है। पार्लियामेंट में विपक्ष की हरकत से यह साबित हो गया कि उन्हें मणिपुर मामले की कोई परवाह नहीं।'
Manipur Crisis : केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण (FM Nirmala Sitharaman) ने सोमवार (31 जुलाई) को विपक्ष पर निशाना साधा। सीतारमण ने कहा कि, 'विपक्ष मणिपुर मुद्दे पर चर्चा में हिस्सा नहीं लेना चाहता। आज भी सदन में ये मुद्दा उठाया गया तो विपक्ष चर्चा से भागता नजर आया। उन्होंने कहा, विपक्ष के ऐसे व्यवहार से दुखी हूं।'
वित्त मंत्री सीतारमण ने कहा, कि 'मणिपुर जैसे संवेदनशील मसले पर विपक्ष के लिए सिर्फ एक राजनीतिक मुद्दा है। पार्लियामेंट में विपक्ष की हरकत से यह साबित हो गया कि वे मणिपुर मुद्दे (Manipur issue) पर सिर्फ मगरमच्छ के आंसू बहा रहे थे। उन्हें वास्तव में परवाह होती, तो वे इस पर चर्चा में शामिल होते।'
सीतारमण बोलीं- चर्चा तय थी, विपक्ष ने किया किनारा
वित्त मंत्री सीतारमण ने मीडिया को संबोधित करते हुए कहा, 'आज आपने राज्यसभा (Rajya Sabha) में देखा। सुबह लिस्ट में मणिपुर मुद्दे पर चर्चा होनी तय हुई थी। लेकिन, जब चर्चा शुरू होने का समय आया, तो विपक्ष ने इससे किनारा कर लिया। फिर वही शोर-शराबा होने लगा। उन्होंने कहा, मणिपुर पर चर्चा तो पहले से तय था। सदन के नेता इसके लिए भी तैयार थे। विपक्षी नेता भी इसके लिए तैयार थे। लेकिन, जब समय आया तो सभी ने बाहर जाना जरूरी समझा। सभी विपक्षी सांसद बाहर निकल गए।'
...आपके नेता तो मणिपुर जाकर आए हैं
वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने विपक्ष की चेतावनी दी। उन्होंने कहा, 'आइए चर्चा करिए। सरकार सदन में चर्चा करने को तैयार है। आपके नेता तो मणिपुर जाकर आए हैं। वहां के लोगों से मिलकर, चर्चा कर आए हैं। लोगों का दर्द जाना है। वहां के पीड़ितों ने उनसे दुख साझा किया है। तो आइए न सदन में। मणिपुर मुद्दे पर चर्चा तो करिए। सरकार इसके लिए पहले दिन से तैयार है। कोई भी रुकावट नहीं आएगी।'
मणिपुर में 3 मई को भड़की थी हिंसा
गौरतलब है कि मणिपुर में अनुसूचित जनजाति (Scheduled Tribe) का दर्जा देने की मैतई समुदाय की मांग के विरोध में बीते 3 मई को आदिवासी एकजुटता मार्च निकाली गई थी। जिसके दौरान हिंसा भड़क गई थी। करीब 90 दिनों से हिंसा में अब तक 160 से अधिक लोगों की मौत हो चुकी है। इस मुद्दे को लेकर संसद में लगातार हंगामा हो रहा है।