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Parliament Monsoon Session: मोदी सरकार के खिलाफ आज अविश्वास प्रस्ताव लाएगा विपक्ष, कांग्रेस ने जारी किया व्हिप
Parliament Monsoon Session: इस मामले को लेकर लगातार गतिरोध बना हुआ है और अब विपक्षी गठबंधन INDIA में शामिल घटक दलों की ओर से आज सरकार के खिलाफ लोकसभा में अविश्वास प्रस्ताव लाने की तैयारी है।
Parliament Monsoon Session: मणिपुर में हिंसा के मुद्दे पर संसद के मानसून सत्र के दौरान लगातार हंगामे का दौर जारी है। सरकार की ओर से तमाम कोशिशों के बावजूद विपक्ष अपनी मांग पर अड़ा हुआ है। सरकार नियम 176 के तहत इस मुद्दे पर अल्पकालिक चर्चा कराने को तैयार है जबकि विपक्ष नियम 267 के तहत इस मुद्दे पर विस्तृत चर्चा चाहता है। इसके साथ ही विपक्ष की ओर से पीएम मोदी के बयान की मांग भी की गई है।
इस मामले को लेकर लगातार गतिरोध बना हुआ है और अब विपक्षी गठबंधन INDIA में शामिल घटक दलों की ओर से आज सरकार के खिलाफ लोकसभा में अविश्वास प्रस्ताव लाने की तैयारी है। कांग्रेस नेता अधीर रंजन चौधरी ने इस बात की पुष्टि की है कि बुधवार को विपक्ष मोदी सरकार के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव लाएगा। मोदी सरकार के पूर्ण बहुमत में होने के बावजूद विपक्ष की ओर से अविश्वास प्रस्ताव की तैयारी को बड़ा सियासी दांव माना जा रहा है। विपक्षी दलों के नेताओं का मानना है कि अविश्वास प्रस्ताव सबसे कारगर रास्ता होगा जिसके जरिए सरकार को विस्तृत चर्चा के लिए विवश किया जा सकता है। कांग्रेस की ओर से अपने सांसदों के लिए आज व्हिप भी जारी कर दिया गया है।
मणिपुर के मुद्दे पर संसद में गतिरोध जारी
संसद के मानसून सत्र की शुरुआत के बाद से ही मणिपुर हिंसा के मुद्दे पर संसद के दोनों सदनों का सुचारू रूप से संचालन नहीं हो पा रहा है। गृह मंत्री अमित शाह, रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह और केंद्रीय मंत्री पीयूष गोयल के अनुरोध के बावजूद विपक्ष इस मुद्दे पर सरकार की बात मानने को तैयार नहीं दिख रहा है।
स्पीकर ओम बिरला ने मंगलवार को सत्ता पक्ष और विपक्ष की बैठक बुलाई थी मगर बैठक के दौरान गतिरोध का कोई हल नहीं खोजा जा सका। गृह मंत्री अमित शाह ने संसद के दोनों सदनों के विपक्षी नेताओं को पत्र लिखकर सदन चलाने में सहयोग मांगा है मगर इस पर भी विपक्ष की सकारात्मक प्रतिक्रिया नहीं दिखी है।
विपक्ष ने तैयार किया अविश्वास प्रस्ताव का ड्राफ्ट
जानकार सूत्रों का कहना है कि विपक्ष में जारी गतिरोध के बीच विपक्षी दलों ने सरकार के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव का ड्राफ्ट तैयार कर लिया है और इसे आज दाखिल किया जाएगा। अविश्वास प्रस्ताव के लिए 50 सांसदों के समर्थन की जरूरत है और इसके लिए विपक्ष की ओर से हस्ताक्षर अभियान पहले से ही चलाया जा रहा है।
विपक्षी दलों के गठबंधन में शामिल घटक दलों की आज कांग्रेस के राष्ट्रीय अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे के कमरे में बैठक होगी जिसमें आगे की रणनीति तय की जाएगी। इस बैठक के बाद कांग्रेस की पूर्व अध्यक्ष सोनिया गांधी भी कांग्रेस सांसदों के साथ बैठक करेंगे।
कांग्रेस सांसदों से आज सदन में अपनी मौजूदगी सुनिश्चित करने को कहा गया है और इसके लिए बकायदा पार्टी की ओर से व्हिप भी जारी किया गया है। कांग्रेस की ओर से उठाए गए इस कदम को सदन में अविश्वास प्रस्ताव लाने की तैयारी से जोड़कर देखा जा रहा है।
सत्ता पक्ष और विपक्ष दोनों का अड़ियल रवैया
संसद के मानसून सत्र की शुरुआत 20 जुलाई को हुई थी और पहले दिन से ही विपक्ष मणिपुर के मुद्दे पर विस्तृत चर्चा कराने और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की के बयान की मांग पर अड़ा हुआ है। कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे का कहना है कि प्रधानमंत्री मोदी मणिपुर हिंसा पर सदन के बाहर बोल सकते हैं तो उन्हें संसद में बयान देने में क्या दिक्कत है। उनका कहना है कि हमें इस गंभीर और संवेदनशील मुद्दे पर अल्पकालिक चर्चा का प्रस्ताव कतई स्वीकार नहीं है। संसद में प्रधानमंत्री के बयान के बाद नियम 167 के तहत इस मुद्दे पर विस्तृत चर्चा कराई जानी चाहिए। हमें इससे कम कुछ भी मंजूर नहीं है।
विपक्षी दलों के अपनी मांग पर जाने के कारण मानसून सत्र में लगातार व्यवधान का दौर जारी है और कामकाज सुचारू रूप से नहीं हो पा रहा है। सरकार के भी अड़ जाने के बाद अब विपक्षी दलों की ओर से वैकल्पिक उपायों पर भी चर्चा की गई है। इसी के तहत अब मोदी सरकार के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव लाने की तैयारी है।
पूर्ण बहुमत के बावजूद अविश्वास प्रस्ताव की तैयारी
जानकार सूत्रों का कहना है कि मंगलवार को INDIA में शामिल घटक दलों की बैठक के दौरान अविश्वास प्रस्ताव के मुद्दे पर चर्चा की गई है। टीएमसी नेताओं ने इस बात की पुष्टि करते हुए बताया कि भाजपा के नेतृत्व वाली एनडीए सरकार के खिलाफ लोकसभा में अविश्वास प्रस्ताव लाने का फैसला किया गया है। कांग्रेस नेता अधीर रंजन चौधरी ने भी आज अविश्वास प्रस्ताव लाए जाने की पुष्टि की है।
उन्होंने कहा कि हम सरकार के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव ला रहे हैं क्योंकि सरकार के प्रति लोगों का भरोसा टूट रहा है। हम चाहते थे कि पीएम मोदी मणिपुर के मुद्दे पर बयान दें,लेकिन वे विपक्षी बात सुनने को तैयार नहीं हैं। सारी कोशिशें विफल होने के बाद अब अविश्वास प्रस्ताव के अलावा कोई विकल्प नहीं है।
वैसे मजे की बात यह है कि किसी भी सरकार के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव तब लाया जाता है जब विपक्ष में शामिल किसी दल को लगता है कि सरकार अपना बहुमत खो चुकी है। वैसे मोदी सरकार को लोकसभा में पूर्ण बहुमत हासिल है। इसके बावजूद विपक्ष की ओर से अविश्वास प्रस्ताव लाने की तैयारी है।
इसके पीछे विपक्ष का क्या है सियासी दांव
सियासी जानकारों का मानना है कि विपक्ष अविश्वास प्रस्ताव के जरिए बड़ा सियासी दांव चलने की तैयारी में है। जानकार सूत्रों का कहना है कि विपक्षी दलों की ओर से पीएम मोदी के बयान पर दबाव बनाने के लिए कई विकल्पों पर चर्चा की गई।
इसके बाद यह फैसला किया गया कि अविश्वास प्रस्ताव ही सबसे कारगर रास्ता होगा जिसके जरिए इस मुद्दे पर चर्चा के लिए सरकार को विवश किया जा सकेगा। ऐसी स्थिति में विपक्षी सांसदों को भी संसद में अपनी बात कहने का पूरा मौका मिलेगा। उधर राज्यसभा में मणिपुर के मुद्दे पर सरकार को घेरने का सिलसिला जारी रहेगा।
2018 में फेल हो गया था विपक्ष का अविश्वास प्रस्ताव
देश की आजादी के बाद अभी तक लोकसभा में 27 अविश्वास प्रस्ताव पेश किए जा चुके हैं। मोदी सरकार के खिलाफ विपक्षी दलों की ओर से जुलाई 2018 में भी अविश्वास प्रस्ताव पेश किया गया था मगर सरकार को पूर्ण बहुमत में होने के कारण विपक्ष को मात खानी पड़ी थी। बाद में 2019 के लोकसभा चुनाव के दौरान भाजपा की अगुवाई में एनडीए और मजबूत बनकर उभरा था।
विपक्ष की ओर से एक बार फिर मोदी सरकार के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव लाने की तैयारी है। मोदी सरकार के पूर्ण बहुमत में होने के कारण विपक्ष को अपने इस मुहिम में कामयाबी तो नहीं मिलेगी मगर इसके जरिए मोदी सरकार पर बड़ा सियासी हमला करने का मौका जरूर मिल जाएगा।