Parliament Special Session: क्या होता है संसद का विशेष सत्र, क्या है इसका इतिहास, इस बार क्या होने वाला है खास ?

Parliament Special Session 2023: मोदी सरकार की ओर से दूसरी बार संसद का विशेष सत्र बुलाया गया है। ऐसे में यह जानना जरूरी है कि संसद का विशेष सत्र क्या होता है और अभी तक इसका क्या इतिहास रहा है।

Anshuman Tiwari
Written By Anshuman Tiwari
Published on: 18 Sep 2023 4:40 AM GMT
Parliament Special Session 2023
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Parliament Special Session 2023 (Photo - Social Media)

Parliament Special Session 2023: संसद के पांच दिवसीय विशेष सत्र पर सबकी निगाहें लगी हुई हैं। आज से शुरू होकर यह सत्र 22 सितंबर तक चलने वाला है। विशेष सत्र की शुरुआत से पहले रविवार को नए संसद भवन पर पहली बार तिरंगा फहराया गया। उपराष्ट्रपति और राज्यसभा के सभापति जगदीश धनखड़ ने नई संसद के गजद्वार के ऊपर तिरंगा फहराया। उन्होंने इसे ऐतिहासिक क्षण बताते हुए कहा कि भारत युग परिवर्तन का साक्षी बन रहा है। विशेष सत्र की पहले दिन की बैठक के बाद सोमवार को सदन की कार्यवाही नए संसद भवन में चलेगी।

मोदी सरकार की ओर से दूसरी बार संसद का विशेष सत्र बुलाया गया है। ऐसे में यह जानना जरूरी है कि संसद का विशेष सत्र क्या होता है और अभी तक इसका क्या इतिहास रहा है। हालांकि सरकार की ओर से विशेष सत्र का एजेंडा बताया जा चुका है मगर माना जा रहा है कि मोदी सरकार इस विशेष सत्र के दौरान कोई बड़ा धमाका कर सकती है। इस कारण भी संसद के विशेष सत्र के प्रति सबकी दिलचस्पी बनी हुई है। विपक्ष ने भी अपना रुख साफ कर दिया है। विपक्ष का कहना है कि वह देश के सामने मौजूद प्रमुख मुद्दों को उठाने से पीछे नहीं हटेगा।

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साल में संसद के होते हैं तीन सत्र

आमतौर पर हर साल संसद के तीन सत्र आयोजित किए जाते हैं। संसद का बजट सत्र आम तौर पर फरवरी महीने में आयोजित किया जाता है और इस दौरान सरकार की ओर से अपनी बजट योजनाओं का पिटारा खोला जाता है। सरकार की ओर से बजट पेश किए जाने पर विपक्ष संसद में अपनी बात रखता है और सरकार की ओर से उसका जवाब दिया जाता है। इसके साथ ही विभिन्न मंत्रालय और विभागों से जुड़ी अनुदान मांगों पर भी बजट सत्र के दौरान चर्चा की जाती है।

बजट सत्र के बाद दूसरा महत्वपूर्ण सत्र मानसून सत्र होता है। जुलाई और अगस्त महीने में आयोजित किए जाने वाले मानसून सत्र के दौरान विभिन्न महत्वपूर्ण मुद्दों पर चर्चा की जाती है। संसद का तीसरा और आखिरी सत्र शीतकालीन सत्र होता है। नवंबर-दिसंबर महीने के दौरान आयोजित होने वाले सत्र के दौरान जरूरी विधायी कामकाज निपटने के साथ ही महत्वपूर्ण मुद्दों पर चर्चा भी होती है। हालांकि यह भी सच्चाई है कि इन तीनों सत्रों के दौरान विपक्ष के हंगामे की वजह से कई-कई दिनों तक संसद का कामकाज बाधित होता है।


कैसे बुलाया जाता है संसद का विशेष सत्र

इस बार मोदी सरकार की ओर से इन तीन परंपरागत सत्रों से अलग हटते हुए विशेष सत्र का आयोजन किया गया है। वैसे संविधान में संसद के विशेष सत्र का कोई जिक्र नहीं मिलता। हालांकि विभिन्न सरकारों की ओर से अनुच्छेद 85 (1) के प्रावधानों के तहत विशेष सत्र बुलाया जाता रहा है। इसी अनुच्छेद के तहत संसद के बाकी सत्र भी बुलाए जाते रहे हैं। विशेष सत्र के दौरान पीठासीन अधिकारी प्रश्नकाल को स्थगित करने के साथ ही कार्यवाही को सीमित भी कर सकते हैं।

विशेष सत्र बुलाने का फैसला संसदीय मामलों के कैबिनेट समिति की ओर से लिया जाता है। समिति की सिफारिश पर राष्ट्रपति की ओर से अन्य सत्रों की तरह ही विशेष सत्र का भी आयोजन किया जाता है। मोदी सरकार ने भी इस प्रावधान का इस्तेमाल करते हुए विशेष सत्र बुलाने की सिफारिश की थी जिस पर राष्ट्रपति की ओर से इस विशेष सत्र का आयोजन किया गया है।


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संसद के विशेष सत्रों का इतिहास

देश के संसदीय इतिहास में अभी तक संसद के सात विशेष सत्र आयोजित किए जा चुके हैं। इनमें से तीन बार संसद के विशेष सत्र का आयोजन ऐसे समय में किया गया जब देश अपनी ऐतिहासिक उपलब्धियों का जश्न मना रहा था। दो बार संसद के विशेष सत्र का आयोजन राज्यों में राष्ट्रपति शासन को मंजूरी देने के लिए किया गया। 1977 में तमिलनाडु और नगालैंड में और 1991 में हरियाणा में राष्ट्रपति शासन पर मुहर लगाने के लिए संसद के विशेष सत्र का आयोजन हुआ।

2008 में मनमोहन सरकार के विश्वासमत हासिल करने के लिए विशेष सत्र का आयोजन किया गया था। उसे समय भारत और अमेरिका के बीच परमाणु समझौता हुआ था जिसका तीखा विरोध करते हुए 60 सांसदों के साथ चार वामपंथी दलों ने मनमोहन सरकार से समर्थन वापस ले लिया था। इसके बाद विपक्ष ने सरकार पर विश्वासमत हासिल करने का दबाव बढ़ा दिया था। इस विशेष सत्र के दौरान तत्कालीन प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह विश्वासमत हासिल करने में कामयाब हुए थे।


मोदी सरकार ने दूसरी बार बुलाया विशेष सत्र

अब यदि मोदी सरकार की बात की जाए तो मोदी सरकार की ओर से दूसरी बार संसद के विशेष सत्र का आयोजन किया गया है। नरेंद्र मोदी ने 2014 में प्रधानमंत्री के रूप में देश की कमान संभाली थी और उनके कार्यकाल के दौरान पहली बार 30 जून 2017 को जीएसटी को लागू करने के लिए संसद के विशेष सत्र का आयोजन किया गया था। इस विशेष सत्र के दौरान जीएसटी कानून को लेकर सत्ता पक्ष और विपक्ष ने अपनी बात रखी थी और बाद में इस पर मुहर लगा दी गई थी। अब मोदी सरकार की ओर से दूसरी बार संसद का विशेष सत्र बुलाया गया है।


इस बार क्या होने वाला है खास

विशेष सत्र बुलाने की घोषणा के समय सरकार की ओर से इसके एजेंडे का खुलासा नहीं किया गया था मगर बाद में विपक्ष के बढ़ते दबाव के बाद मोदी सरकार ने इस बार के विशेष सत्र के एजेंडे का खुलासा कर दिया है। सरकार का कहना है कि विशेष सत्र के पहले दिन लोकसभा और राज्यसभा में 75 सालों में संसद की यात्रा पर चर्चा होगी। इस दौरान संविधान सभा से लेकर आज तक की संसदीय यात्रा पर चर्चा की जाएगी। इसके साथ ही विशेष सत्र में सरकार की ओर से चार विधेयक भी पेश किए जाएंगे।

वैसे सरकार की ओर से जिन विधेयकों को इस विशेष सत्र के दौरान पेश करने की तैयारी है, उन विधेयकों को संसद के शीतकालीन सत्र में भी पेश किया जा सकता था। ऐसे में माना जा रहा है कि मोदी सरकार ने 19 सितंबर को गणेश चतुर्थी के दिन संसद के नए भवन का श्रीगणेश करने और किसी चौंकाने वाले कदम के लिए संसद का यह विशेष सत्र बुलाया है।

इसे लेकर कई दिनों से सियासी अटकलें लगाई जाती रही हैं मगर मोदी सरकार की ओर से अभी तक असली एजेंडे का खुलासा नहीं किया गया है। पीएम मोदी इससे पूर्व भी कई बार अपने फैसलों से देश-दुनिया को चौंकाते रहे हैं। इस कारण सभी की निगाहें मोदी सरकार की ओर से किए जाने वाले धमाके पर लगी हुई हैं।

Monika

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पत्रकारिता के क्षेत्र में मुझे 4 सालों का अनुभव हैं. जिसमें मैंने मनोरंजन, लाइफस्टाइल से लेकर नेशनल और इंटरनेशनल ख़बरें लिखी. साथ ही साथ वायस ओवर का भी काम किया. मैंने बीए जर्नलिज्म के बाद MJMC किया है

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