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केरल के वित्त मंत्री का बड़ा बयान: सरकार की कर्ज नीति पर उठाए सवाल..

केरल के वित्त मंत्री थॉमस इसाक ने मौजूदा हालात में केंद्र से राजकोषीय नीति उदार करके मुद्रा की छपाई करने और राज्यों को सीधे केंद्रीय बैंक से कर्ज लेने की अनुमति देने का आग्रह किया है। वह राज्यों को आरबीआई से सीधा कर्ज लेने की अनुमति दें। कोरोना वायरस महामारी की रोकथाम और इस संकट से उत्पन्न हालात से निपटने के लिये राज्यों में धन जुटाने की परेशानी है।

suman
Published on: 13 April 2020 10:30 AM IST
केरल के वित्त मंत्री का बड़ा बयान: सरकार की कर्ज नीति पर उठाए सवाल..
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नई दिल्ली: केरल के वित्त मंत्री थॉमस इसाक ने मौजूदा हालात में केंद्र से राजकोषीय नीति उदार करके मुद्रा की छपाई करने और राज्यों को सीधे केंद्रीय बैंक से कर्ज लेने की अनुमति देने का आग्रह किया है। वह राज्यों को आरबीआई से सीधा कर्ज लेने की अनुमति दें। कोरोना वायरस महामारी की रोकथाम और इस संकट से उत्पन्न हालात से निपटने के लिये राज्यों में धन जुटाने की परेशानी है। ऐसे हालात में उन्होंने यह बात कही है।

कोरोना वायरस महामारी की रोकथाम और इस संकट से उत्पन्न हालात से निपटने के लिए राज्यों में धन जुटाने की छटपटाहट है। ऐसे हालात में उन्होंने यह बात कही है। इसस उम्मीद है कि केरल सरकार को महामारी बांड जारी करने की अनुमति मिल जाएगी। उन्होंने यह भी कहा कि राजकोषीय नीति मोर्चे पर मौजूदा शर्तों और सीमाओं से राज्य कर्ज के जाल में फंस सकते हैं।

उन्होंने फोन न्यूज एजेंसी से बातचीत में कहा कि राज्यों को पूंजी बाजारों में जाने के लिए मजबूर नहीं किया जाना चाहिए और केंद्र को पहले तो राजकोषीय घाटे की सीमा बढ़ानी चाहिए। साथ ही राज्यों को रिजर्व बैंक से सीधे कर्ज लेने की अनुमति देनी चाहिए। केरल को मंगलवार को 15 साल के राज्य विकास बांड के जरिए बाजार से 6,000 करोड़ रुपये की पूंजी जुटाने के लिए 8.96 प्र्रतिशत ब्याज की पेशकश करनी पड़ी।

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ऋण बजार में एक तरह से रोक

उन्होंने कहा ‘सभी राज्य अल्प अवधि के लिये कम राशि के कर्ज का विकल्प अपना रहे हैं।’ केरल के वित्त मंत्री ने इस समय राज्यों को बाजार से कर्ज के लिए बांड पर औसतन 8 प्रतिशत से अधिक के ब्याज (कूपन दर) पेश करने की मजबूरी पर सवाल किया। उन्होंने कहा, ‘सवाल यह है कि बाजार ऐसा व्यवहार क्यों कर रहा है....ऋण बजार में एक तरह से रोक है।’

राजकोषीय नीति में सीमाएं

इसाक ने कहा ‘राजकोषीय नीति के कारण सीमाएं हैं। भारत सरकार के रिजर्व बैंक से सीधे कर्ज लेना चाहिए....राज्यों को भी रिजर्व बैंक से कर्ज लेने की अनुमति देनी चाहिए।’ उन्होंने कहा कि ऐसा नहीं होने पर स्थिति ऐसा होगी जिससे राज्य सरकारें कर्ज जाल में फंस जाएगी।

इसाक ने कहा ‘जीडीपी (सकल घरेलू उत्पाद) में गिरावट आने जा रही है और 9 प्रतिशत ब्याज देना उपयुक्त नहीं होगा। इस नीति से राज्य सरकारें राजकोषीय संकट में फंस जाएगी।’ केरल कोरोना वायरस संक्रमण को रोकने के लिये कड़े कदम उठाये गए हैं। उसने मौजूदा स्थिति से निपटने के लिये 20,000 करोड़ रुपये का पैकेज जारी किया है जो कि कर्ज से जुटाया गया।

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उन्होंने कहा ‘केंद्र सरकार राज्य सरकारों को अपना खर्च में कमी लाने के लिये दबाव दे रही है। यह नीति समझ से परे फिलहाल राज्य को राज्य जीडीपी का 3 प्रतिशत तक कर्ज लेने की अनुमति है। इसाक ने कहा, ‘बजट को लेकर पहले ही बाधाएं हैं। हमें जीएसडीपी का 3 प्रतिशत कर्ज लेने की अनुमति है।

जबतक आप ‘लॉकडाउन’ में रह रहे पूरी आबादी की बुनियादी जरूरतों को पूरा नहीं करते, आप अनुपालन नहीं करा पाएंगे।’ वित्त मंत्री ने कहा कि इस समय अतिरिक्त नोट छापना बिल्कुल व्यवहारिक है। उन्होंने अमेरिकी फेडरल रिजर्व और यूरोपीय सेंट्रल बैंक का उदाहरण दिया।



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