CAA की संवैधानिक वैधता की जांच! इन याचिकाओं पर SC में हो सकती है सुनवाई

सीएए 31 दिसंबर, 2014 को या उससे पहले पाकिस्तान, बांग्लादेश और अफगानिस्तान से देश में आए हिंदू, सिख, बौद्ध, ईसाई, जैन और पारसी समुदायों से संबंधित गैर-मुस्लिम प्रवासियों को नागरिकता प्रदान करना चाहता है।

Newstrack
Published on: 2 Nov 2020 5:57 AM GMT
CAA की संवैधानिक वैधता की जांच! इन याचिकाओं पर SC में हो सकती है सुनवाई
X
CAA की संवैधानिक वैधता की जांच! इन याचिकाओं पर SC में हो सकती है सुनवाई (Photo by social media)

लखनऊ: नागरिकता संशोधन अधिनियम (CAA) की संवैधानिक वैधता की जांच की मांग वाली याचिकाओं पर उच्चतम न्यायालय द्वारा आज सुनवाई संभावित है। सीएए के खिलाफ कुल 143 याचिकाएं लंबित हैं, जिनमें ज्यादातर में कानून पर बने रहने के लिए कहा गया है, मुख्य न्यायाधीश एस ए बोबडे की अध्यक्षता वाली पीठ द्वारा सुनवाई की जाएगी।

ये भी पढ़ें:दिवाली से पहले करोड़ो लोगों को मिलेगा गिफ्ट! SC में लोन मोरेटोरियम पर आज सुनवाई

मुस्लिमों के कुछ तबकों द्वारा इसका विरोध किया जा रहा है

सीएए 31 दिसंबर, 2014 को या उससे पहले पाकिस्तान, बांग्लादेश और अफगानिस्तान से देश में आए हिंदू, सिख, बौद्ध, ईसाई, जैन और पारसी समुदायों से संबंधित गैर-मुस्लिम प्रवासियों को नागरिकता प्रदान करना चाहता है। इसी आधार पर मुस्लिमों के कुछ तबकों द्वारा इसका विरोध किया जा रहा है। बाद में दायर कुछ याचिकाओं में 10 जनवरी से लागू होने वाले कानून के संचालन पर भी रोक लगाने की मांग की गई है।

याचिकाओं पर सुनवाई करते हुए, अदालत ने स्पष्ट कर दिया था कि सीएए के संचालन पर रोक नहीं लगाई जाएगी और सरकार को अधिनियम को चुनौती देने वाली दलीलों का जवाब देने के लिए चार सप्ताह का समय दिया गया था।

इस विधेयक में पाकिस्तान और बांग्लादेशी मुसलमानों को कोई राहत नहीं

सीएए 31 दिसंबर, 2014 को या उससे पहले पाकिस्तान, बांग्लादेश और अफगानिस्तान से भारत में प्रवेश करने वाले हिंदू, सिख, बौद्ध, ईसाई, जैन और पारसी समुदायों से संबंधित गैर-मुस्लिम प्रवासियों को नागरिकता प्रदान करना चाहता है। इस विधेयक में पाकिस्तान और बांग्लादेशी मुसलमानों को कोई राहत नहीं है। इसीलिए विधेयक का विरोध हो रहा है।

ये भी पढ़ें:गुर्जर आरक्षण आंदोलन तेज: रेलवे ट्रैक पर प्रदर्शनाकारियों का कब्जा, ये ट्रेनें रद्द

शीर्ष अदालत ने नागरिकता कानूनों के खिलाफ विभिन्न दलीलों पर पिछले साल 18 दिसंबर को केंद्र को नोटिस जारी किया है। 12 दिसंबर को, राष्ट्रपति राम नाथ कोविंद ने नागरिक (संशोधन) विधेयक को मंजूरी दी इसी के साथ असम व देश के अन्य हिस्सों में बड़े पैमाने पर विरोध प्रदर्शनों का दौर शुरू हो गया था। जिसमें दिल्ली में महिलाओं का धरना खास चर्चा में रहा था। इसी दौरान दिल्ली में दंगे के दौरान व्यापक हिंसा हुई थी जिसमें कई निर्दोष लोगों को जान से हाथ धोना पड़ा था।

दोस्तों देश दुनिया की और खबरों को तेजी से जानने के लिए बनें रहें न्यूजट्रैक के साथ। हमें फेसबुक पर फॉलों करने के लिए @newstrack और ट्विटर पर फॉलो करने के लिए @newstrackmedia पर क्लिक करें।

Newstrack

Newstrack

Next Story