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हो रहा घिनौना काम: यहां बच्चियों का शारीरिक शोषण, काम के नाम पर देह व्यापार

रेस्कयू कर लाई गईं बच्चियों से मिलकर मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन भी भावुक हो गए। उन्होने कहा कि ग़रीबी किसी का उम्र नहीं देखती है। ग़रीब परिवार में जन्म से ही संघर्ष करना पड़ता है।

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Published on: 7 Nov 2020 1:07 PM GMT
हो रहा घिनौना काम: यहां बच्चियों का शारीरिक शोषण, काम के नाम पर देह व्यापार
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हो रहा घिनौना काम: यहां बच्चियों का शारीरिक शोषण, काम के नाम पर देह व्यापार

झारखंड: झारखंड प्राकृतिक संसाधनों के मामले में धनी प्रदेश है। हालांकि, इसकी गोद में ग़रीबी पलती है। दलाल नौकरी दिलाने के नाम पर बच्चियों को बाहर ले जाते हैं और उनसे देह व्यापार, घरेलू कामकाज, भीख मांगना और बंधुवा मज़दरी कराते हैं। ऐसे ही 45 बच्चियों को दिल्ली से एयर लिफ्ट कराकर रांची लाया गया है। मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने बच्चियों से मुलाकात की और उन्हे झारखंड में ही रोज़गार देने का वादा किया। ज्यादतर लड़कियां नाबालिग हैं। लिहाज़ा, उन्हे प्रतिमाह 2000 रुपए दिए जाएंगे। जो युवतियां बालिग हैं उन्हे स्किलड बनाया जाएगा और रोज़गार के साथ जोड़ा जाएगा।

ग़रीबी उम्र नहीं देखती- मुख्यमंत्री

रेस्कयू कर लाई गईं बच्चियों से मिलकर मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन भी भावुक हो गए। उन्होने कहा कि ग़रीबी किसी का उम्र नहीं देखती है। ग़रीब परिवार में जन्म से ही संघर्ष करना पड़ता है। झारखंड की बच्चियां दूसरे प्रदेशों में दाई और नौकर के रूप में जानी जाती हैं। ये दुखद स्थिति है। सीएम ने कहा कि, नाबालिग बच्चियों के बालिग होने तक प्रतिमाह दो हज़ार रुपए दिए जाएंगे। साथ ही बालिग लड़कियों को हुनरमंद बनाया जाएगा। ईश्वर ने हमें दो हाथ और दो पैर दिए हैं। लिहाज़ा, हम भूखा नहीं रहेंगे।

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नक्सलियों से बच्चियों को डर

रेस्कयू कर लाई गई ज्यादातर बच्चियां ग्रामीण क्षेत्रों से आती हैं। नक्सलियों के साए के बीच उन्होने बचपन ग़ुज़ारा है। उग्रवादियों के डर से भी उन लोगों ने गांव और परिवार को छोड़कर बाहर जाने का ज़ोख़िम उठाया है। ऐसे में अगर ये बच्चियां दोबारा अपने गांव जाती हैं तो उन्हे नक्सली परेशान कर सकते हैं। अपने साथ जाने को मजबूर कर सकते हैं। मानव तस्करी के खिलाफ काम करने वाली सीता दिया ने बताया कि, यही वजह है कि, कई बच्चियां अपने गांव नहीं जाना चाहती हैं। ऐसे में इन बच्चियों का ख्याल रखना अब सरकार की ज़िम्मेदारी है।

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बच्चियों को लाने में CWC की भूमिका

सीडब्लूसी की अध्यक्ष रूपा वर्मा की मानें तो बच्चियां केवल मजबूरी में बाहर नहीं गई हैं। बल्कि, उन्हे लालच देकर दूसरे प्रदेश भेजा गया है। कुछ बच्चियां चकाचौंध देखकर भी दूसरे प्रदेशों का रुख करती हैं। लिहाज़ा, जो बच्चियां वापस लाई गई हैं उनका पुनर्वास करना बेहद ज़रूरी है। खास बात ये भी है कि, वापस लाई गई बच्चियां दोबारा ट्रैफिकिंग का शिकार हो सकती हैं। ऐसा देखा गया है कि, दोबारा जाने पर बच्चियां अपने साथ कई दूसरे बच्चों को भी साथ ले जाती हैं। ऐसी स्थिति में बच्चियों पर बारीक निगाह रखने की ज़रूरत है। उन्होने बताया कि, दिल्ली के अलावा दूसरे प्रदेशों में भी झारखंड के बच्चे फंसे हुए हैं। उन्हे भी वापस लाने की कोशिश होनी चाहिए।

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समाज कल्याण विभाग का रोल

समाज कल्याण विभाग का बच्चियों के रेस्क्यू में महत्वपूर्ण भूमिका है। इस बाबत जानकारी देते हुए विभाग के विशेष सचिव डी.के सक्सेना ने बताया कि, दिल्ली में विभाग का INTEGRATED RESOURCE AND REAHAB CENTRE- IRC है जिसकी मदद से उन्हे फंसे हुए बच्चों के बारे में जानकारी मिलती है। IRC दिल्ली समेत अन्य राज्यों के चिल्ड्रेन होम में आने वाले बच्चों की जानकारी रखता है और झारखंड से आने वाले बच्चों की जानकारी विभाग को देता है। उन्होने बताया कि, बच्चियों से बात कर जानकारी जुटाई गई है कि, किस तरह बच्चियों को मानव तस्करों ने शिकार बनाया है। आने वाले दिनों में इसे लेकर काम किया जाएगा ताकि, मानव तस्करी को रोका जा सके।

रांची से शाहनवाज़ की रिपोर्ट

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