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Parliament Special Session: संसद के विशेष सत्र में मोदी सरकार का बड़ा प्लान, संविधान से INDIA शब्द हटाने की तैयारी
Parliament Special Session: जानकार सूत्रों के मुताबिक 18 से 22 सितंबर तक होने वाले संसद के विशेष सत्र के दौरान मोदी सरकार की ओर से गुलामी से जुड़े शब्दों को हटाने की दिशा में बड़ा कदम उठाए जा सकता है। इनमें INDIA शब्द भी शामिल है जिसे बिल लाकर संविधान से हटाने की तैयारी है।
Parliament Special Session: मोदी सरकार की ओर से संसद का विशेष सत्र बुलाए जाने के बाद से ही इसके मकसद को लेकर तरह-तरह की अटकलें लगाई जा रही हैं। वन नेशन-वन इलेक्शन को लेकर सरकार की ओर से पूर्व राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद की अध्यक्षता में कमेटी बनाई जाने के बाद इसे लेकर सबसे ज्यादा चर्चाओं का बाजार गर्म है। महिला आरक्षण बिल, यूनिफॉर्म सिविल कोड और जनसंख्या नियंत्रण बिल की चर्चाएं भी सुनी जा रहे हैं। वैसे मोदी सरकार इन सभी चर्चाओं से अलग एक बड़ा कदम उठाने की तैयारी में है।
जानकार सूत्रों के मुताबिक 18 से 22 सितंबर तक होने वाले संसद के विशेष सत्र के दौरान मोदी सरकार की ओर से गुलामी से जुड़े शब्दों को हटाने की दिशा में बड़ा कदम उठाए जा सकता है। इनमें INDIA शब्द भी शामिल है जिसे बिल लाकर संविधान से हटाने की तैयारी है। मोदी सरकार का यह कदम विपक्षी दलों के गठबंधन इंडिया को झटका देने की रणनीति का हिस्सा भी माना जा रहा है।
संविधान से इंडिया शब्द हटाने की तैयारी
केंद्रीय संसदीय मंत्री प्रह्लाद जोशी की ओर से संसद का विशेष सत्र बुलाए जाने की जानकारी के बाद से ही तरह-तरह की अटकलें लगाई जाती रही हैं। अब इस बारे में जानकार सूत्रों ने मोदी सरकार की बड़ी तैयारी का खुलासा किया है। अमृत काल के दौरान मोदी सरकार की ओर से देश के लोगों को गुलामी की मानसिकता वाली चीजों से मुक्त करने की योजना पर काम किया जा रहा है। इसी योजना के तहत संविधान से इंडिया शब्द को हटाने की तैयारी चल रही है।
जानकार सूत्रों का कहना है कि संसद के विशेष सत्र के दौरान मोदी सरकार की ओर से इस बाबत विधेयक पेश किया जा सकता है। प्रस्ताव की तैयारियां जोरों पर चल रही हैं। राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के सर संघ चालक मोहन भागवत ने भी हाल में देशवासियों से इंडिया की जगह भारत शब्द का इस्तेमाल करने की अपील की थी। उनका कहना था कि सदियों से हमारे देश का नाम भारत रहा है और इसलिए हमें आपसी बातचीत और अपने लेखन के दौरान भारत शब्द का ही इस्तेमाल करना चाहिए।
मानसून सत्र के दौरान भी उठा था मुद्दा
वैसे यह मामला नया नहीं है क्योंकि संसद के मानसून सत्र के दौरान भाजपा के राज्यसभा सदस्य नरेश बंसल ने यह मुद्दा उठाया था। उन्होंने मांग की थी कि इंडिया शब्द को हटाकर भारत शब्द का इस्तेमाल किया जाना चाहिए। उनका कहना था कि इंडिया शब्द औपनिवेशिक दासता का प्रतीक है।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ना भी गत 25 जुलाई को भाजपा संसदीय दल की बैठक के दौरान विपक्षी दलों के गठबंधन इंडिया पर जमकर निशाना साधा था। उन्होंने तीखा हमला बोलते हुए यह भी कहा था कि ईस्ट इंडिया कंपनी और इंडियन नेशनल कांग्रेस का गठन अंग्रेजों ने किया था। प्रधानमंत्री के इस बयान पर कांग्रेस की ओर से तीखी आपत्ति भी जताई गई थी।
वैज्ञानिकों को संसद की ओर से दी जाएगी बधाई
संविधान से इंडिया शब्द हटाने के साथ ही संसद के विशेष सत्र के दौरान कई अन्य प्रमुख मुद्दों पर भी चर्चा होने की संभावना है। जानकार सूत्रों के मुताबिक विशेष सत्र के दौरान भारत के मून मिशन चंद्रयान-3 और सौर्य मिशन आदित्य एल-1 के प्रक्षेपण पर भी चर्चा होने की संभावना है। इसे भारतीय वैज्ञानिकों की ऐतिहासिक उपलब्धि माना जा रहा है और प्रधानमंत्री मोदी समेत देश के सभी दलों के नेताओं ने इस बाबत वैज्ञानिकों को बधाई दी है। माना जा रहा है कि इस मुद्दे पर चर्चा करके संसद और पूरे देश की ओर से वैज्ञानिकों को बधाई दी जाएगी।
सरकार को खर्च करने होंगे हजारों करोड़
वैसे यदि केंद्र सरकार की ओर से INDIA शब्द हटाने की दिशा में कदम उठाया गया तो इस पर हजारों करोड़ रुपए का खर्च आने की भी संभावना है। ऐसी स्थिति में देश के तमाम सरकारी संस्थाओं के नाम भी बदलने होंगे क्योंकि तमाम सरकारी संस्थाओं के नाम के साथ इंडिया शब्द जुड़ा हुआ है। इसके साथ ही मोदी सरकार को तमाम सरकारी योजनाओं का नाम बदलने की दिशा में भी कदम उठाना होगा। स्किल इंडिया, खेलो इंडिया और टीम इंडिया में भी बदलाव की दिशा में कदम उठाने होंगे।
विपक्षी गठबंधन इंडिया को झटका देने की तैयारी
एक और उल्लेखनीय बात यह है कि सरकार की ओर से यह कदम उठाए जाने पर विपक्षी दलों के गठबंधन इंडिया को भी करारा झटका लगेगा। विपक्षी दलों ने अपनी बेंगलुरु बैठक के दौरान गठबंधन का नामकरण इंडिया किया था और उसके बाद भाजपा नेताओं की ओर से इस शब्द को लेकर तीखा हमला किया गया था।
भाजपा नेताओं ने इस शब्द को गुलामी का प्रतीक बताते हुए विपक्षी गठबंधन पर कटाक्ष किया था। मोदी सरकार की ओर से उठाए जा रहे इस कदम को विपक्षी गठबंधन पर हमले की रणनीति भी माना जा रहा है। संसद के विशेष सत्र के दौरान इस मुद्दे पर विपक्षी दलों की तीखी प्रतिक्रिया सामने आने की आशंका जताई जा रही है।