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आया ताकतवर अर्जुन टैंक: अब चीन-पाकिस्तान की हालत होगी खराब, चीता से भी है तेज
आधुनिक तकनीकी से लैस अर्जुन टैंक दुश्मनों के छक्के छुड़ाने के लिए काफी है। अर्जुन टैंक भारत के तीसरी पीढ़ी के सबसे शाक्तिशाली टैंक है। इस टैंक का नाम महाभारत के मुख्य पात्र अर्जुने के नाम पर रखा गया है।
नई दिल्ली: आज प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी तमिलनाडु और केरल के दौर पर हैं। पीएम मोदी ने चेन्नई में आधुनिक तकनीकी से लैस अर्जुन टैंक को सेना को सौंपा है। आज का दिन हमारे देश के सैनिकों के लिए किसी विशेष पर्व से कम नही है। इस कार्यक्रम के दौरान प्रधानमंत्री ने सैनिको के लिए अर्जुन टैंक की चाबी सौंपी। आइए जानते हैं क्या है अर्जुन टैंक।
क्या है अर्जुन टैंक
आधुनिक तकनीकी से लैस अर्जुन टैंक दुश्मनों के छक्के छुड़ाने के लिए काफी है। अर्जुन टैंक भारत के तीसरी पीढ़ी के सबसे शाक्तिशाली टैंक है। इस टैंक का नाम महाभारत के मुख्य पात्र अर्जुने के नाम पर रखा गया है। जिस प्रकार से महाभारत के अर्जुन से निशाना चुक नही होता था ठीक उसी प्रकार यह खतरनाक टैंक से कोई भी दुश्मन नही बच सकता। यह भारतीय सेना के लिए भारत के रक्षा अनुसंधान एंव विकास संगठन के द्वारा बनाया गया है।
यह टैंक 120 मिमी राजफल्ड गन से लैस है। जिसमें भारत में बने आर्मर-पेअरसिंग फिन-स्टेबलाइज़्ड डिस्कार्डिंग-सेबट एमुनीशन का प्रयोग किया जाता है आप को बता दे कि इस टैंक में PKT 7.62 मिमी और NSVT 12.7 मिमी गन से संपन्न है। जिसकी क्षमता 1400हार्सपावर है यह एक डीजल ईधन है इस खतरनाक टैंक की गति चीता से भी तेज है।
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67 किमी प्रति घंटा (42 मील प्रति घंटा) और क्रॉस-कंट्री में 40 किमी / घंटा (25 मील प्रति घंटा) के रफ्तार से चलने वाला इस टैंक का मुकाबला कोई नही कर सकता। इस टैंक को चलाने के लिए कमांडर, गनर, लोडर और चालक का एक चार सदस्यीय टीम होती है।
खासियत क्या है अर्जुन टैंक की
8 हजार 400 करोड़ रुपये की कीमत वाले इस टैंक को भारत में बनाया गया है। 118 टैंक सेना के पहले बैच में शामिल होंगे। आप को बता दे कि अर्जुन के श्रेणी पहले ही पश्चिम रेगिस्तान में पाकिस्तान बॉर्डर पर तैनात किया गया हैं। इन अर्जुन टैंक से सेना में बख्तरबंद कोर में दो रेजिमेंट बनाई जाएगी।
क्या आप जानते है हमारे भारतीय सौनिको के पास कितना है यह टैंक
आप को बात दें कि हमारे भारतीय सेनाओं के पास 124 अर्जुन टैंकों की एक रेजीमेंट पहले से ही है। यह खतरनाक टैंक 2004 में ही भारतीय सेनाओं में शामिल कर लिया गया था। सूत्रों ने बताया कि इस अर्जुन टैंक पुराने मॉडल होने के कारण भारतीय सेनाओं ने इसकी सुधार की आवश्यकता जताई थी। जिसके बाद डीआरडीओ ने नए संस्करण को तैयार किया है।
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