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कृषि कानून को पीएम मोदी ने बताया वैकल्पिक, आंदोलन अपवित्र कर रहे ये लोग
लोकसभा में अपने डेढ़ घंटे के भाषण के दौरान प्रधानमंत्री ने कहा कि किसान आंदोलन तो पवित्र है मगर आंदोलनजीवियों की नई जमात इसे अपवित्र बनाने में लगी हुई है।
अंशुमान तिवारी
नई दिल्ली। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने बुधवार को लोकसभा में राष्ट्रपति के अभिभाषण पर धन्यवाद प्रस्ताव पर चर्चा के दौरान विपक्ष पर तीखे हमले किए। केंद्र सरकार के नए कृषि कानूनों के खिलाफ सड़क से लेकर संसद तक चल रहे संग्राम के बीच पीएम मोदी ने साफ किया कि नए कृषि कानून किसी के लिए भी बाध्यकारी नहीं हैं। इसे लेकर आंदोलन चलाने वालों को भी यह बात पता होनी चाहिए कि वैकल्पिक व्यवस्था मौजूद है।
अपने डेढ़ घंटे के भाषण के दौरान प्रधानमंत्री ने कहा कि किसान आंदोलन तो पवित्र है मगर आंदोलनजीवियों की नई जमात इसे अपवित्र बनाने में लगी हुई है। राज्यसभा की तरह लोकसभा में भी उन्होंने किसानों को भरोसा दिया की एमएसपी थी, है और आगे भी जारी रहेगी।
अपने भाषण के अंत में उन्होंने किसान संगठनों से वार्ता की मेज पर आने की अपील की और कहा कि बातचीत के जरिए सभी मुद्दों को सुलझाया जा सकता है।
राज्यसभा से ज्यादा आक्रामक अंदाज
लोकसभा में धन्यवाद प्रस्ताव पर चर्चा का जवाब देते समय प्रधानमंत्री राज्यसभा की अपेक्षा ज्यादा आक्रामक दिखे। उन्होंने विपक्ष और आंदोलनजीवियों पर निशाना साधते हुए भोजपुरी की एक पुरानी कहावत का जिक्र किया। उन्होंने कहा कि भोजपुरी में कहावत है कि खेलब ना खेले देब, बस खेल बिगाड़ब।
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उन्होंने कहा कि कुछ लोगों ने इसी कहावत को अपने जीवन का मंत्र बना लिया है। ऐसी स्थिति में जब हम स्थितियों में बदलाव लाकर देश की तरक्की में जुटे हैं तो कुछ लोगों को यह बात हजम नहीं हो रही है।
आंदोलनजीवीयों पर फिर बरसे पीएम
उन्होंने कहा कि किसान आंदोलन की पवित्रता पर तो शक नहीं किया जा सकता मगर दंगा करने वालों,संप्रदायवादियों और जेल में बंद आतंकवादियों की फोटो लेकर उनकी मुक्ति की मांग करना, यह कदम किसानों के आंदोलन को अपवित्र बनाना है।
किसानों के पवित्र आंदोलन को बर्बाद करने का काम आंदोलनकारी नहीं बल्कि आंदोलनजीवियों किया है। उन्होंने कहा कि पंजाब में टावरों को तोड़ना और टोल प्लाजा की व्यवस्था को नष्ट करना क्या किसी आंदोलन को पवित्र बना सकते हैं?
प्राइवेट सेक्टर की उपयोगिता पर जोर
पीएम मोदी ने कहा कि सही बात कहने में कोई भी बुराई नहीं है मगर देश में एक बहुत बड़ा वर्ग ऐसा पैदा हो गया है जिससे जुड़े लोग सही बात कहने वालों से ही नफरत करते हैं। कुछ भी अच्छा करने में उनका कोई भरोसा ही नहीं है। देश में निजीकरण को बढ़ावा देने पर उठ रहे सवालों का जिक्र करते हुए पीएम मोदी ने कहा कि देश के लिए पब्लिक सेक्टर जरूरी है तो प्राइवेट सेक्टर के योगदान को भी नहीं भुलाया जा सकता।
आज देश मानवता के लिए आगे बढ़कर काम कर रहा है तो इसमें प्राइवेट सेक्टर का भी बहुत बड़ा योगदान है और उसकी अनदेखी नहीं की जा सकती।
कृषि क्षेत्र में निवेश बढ़ाना जरूरी
उन्होंने कहा कि हम सभी को इस सच को स्वीकार करना होगा कि खेती किसानी को अब पुराने तरीके से नहीं चलाया जा सकता है क्योंकि कृषि योग्य जमीन का क्षेत्रफल लगातार कम होता जा रहा है। उन्होंने कृषि क्षेत्र में निवेश बढ़ाने पर जोर देते हुए कहा कि निवेश बढ़ाने पर ही रोजगार के मौके भी बढ़ेंगे।
किसान रेल से हो रहा है जबर्दस्त फायदा
सरकार की ओर से चलाई गई नई ट्रेन किसान रेल का उल्लेख करते हुए उन्होंने कहा कि यह ट्रेन चलती फिरती कोल्ड स्टोरेज है। इस ट्रेन के जरिए किसानों को दूरदराज अपना माल भेजकर वाजिब कीमत पाने में कामयाबी मिल रही है।
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उन्होंने महाराष्ट्र के किसानों की ओर से बिहार के बाजार में भेजी गई अपनी फसल का उदाहरण देते हुए अपनी बात को पुख्ता भी किया। पीएम ने कहा कि इस ट्रेन के जरिए अपना माल भेजने में काफी कम पैसा खर्च करना पड़ रहा है।
बुंदेलखंड में स्ट्रॉबेरी की खेती का जिक्र
सरदार पटेल का जिक्र करते हुए प्रधानमंत्री ने कहा कि वे कहा करते थे कि यदि स्वतंत्रता पाने के बाद भी परतंत्रता की दुर्गंध आती रहे तो स्वतंत्रता की सुगंध कभी नहीं बढ़ सकती। इसलिए जब तक हमारे छोटे किसानों को नए अधिकार नहीं मिलते तब तक पूरी आजादी की बात अधूरी ही रहेगी।
उन्होंने कहा कि हम जब तक खेती को आधुनिक बनाने में नहीं कामयाब होंगे तब तक एग्रीकल्चर सेक्टर को मजबूत नहीं बनाया जा सकता। हमारा जोर इस बात पर है कि हमारा किसान सिर्फ गेहूं और धान की बुवाई तक ही सीमित ना रहे बल्कि नई फसलों की बुवाई करे ताकि उसकी हालत में भी सुधार हो सके। इस बाबत उन्होंने मध्य प्रदेश, गुजरात और उत्तर प्रदेश के बुंदेलखंड इलाके में की जा रही स्ट्रॉबेरी की खेती का जिक्र भी किया।
वैकल्पिक व्यवस्था अभी भी मौजूद
प्रधानमंत्री ने कहा कि नए कृषि कानूनों को लेकर आंदोलन करने वालों को मैं स्पष्ट करना चाहता हूं कि नए कृषि कानून किसी के लिए भी बाध्यकारी नहीं हैं क्योंकि यहां वैकल्पिक व्यवस्था भी मौजूद है और उसे खत्म नहीं किया गया है। हमने पुरानी मंडियों की व्यवस्था को खत्म नहीं किया है बल्कि उन्हें बनाए रखा है और हाल में पेश किए गए बजट में भी मंडियों को आधुनिक बनाने के लिए और राशि की व्यवस्था की गई है।
यथास्थितिवादी बनने में विश्वास नहीं
कई विपक्षी सांसदों ने अपने भाषण के दौरान यह बात कही थी कि जब किसानों ने इस कानून की मांग ही नहीं की थी तो सरकार की ओर से इसे क्यों लाया गया है? प्रधानमंत्री ने इस सवाल का तीखा जवाब देते हुए कहा कि मैं हमेशा यथास्थिति बनाए रखने में विश्वास नहीं करता। उन्होंने तीन तलाक कानून, दहेज हत्या कानून, बाल विवाह पर रोक आदि तमाम उदाहरणों के जरिए कहा कि हर समय सरकारों ने सुधार की दिशा में काम किया है।
आगे बढ़ने के लिए तलाशने होंगे रास्ते
मेरी सोच हमेशा यह रही है कि हमें आगे बढ़ने के रास्ते तलाशने चाहिए। यथास्थिति बनाए रखने से देश का कभी कल्याण नहीं होने वाला है। इसलिए यह विपक्ष की सोच हो सकती है कि जब मांगा नहीं तो दिया क्यों मगर हम सही मायने में किसानों और एग्रीकल्चर सेक्टर की तरक्की के लिए प्रयासरत हैं और इसीलिए मेरी सरकार की ओर से यह कानून लाया गया है।
किसानों की आत्मनिर्भरता जरूरी
प्रधानमंत्री ने कहा कि हमारे देश में एग्रीकल्चर समाज के कल्चर का हिस्सा रहा है। यदि हम अपने पर्व और त्योहारों को देखें तो सारे पर्व और त्योहार फसल बोने और काटने के साथ जुड़े हुए हैं। इसलिए हमारा किसान आत्मनिर्भर बने और उसे अपनी उपज मनचाही जगह पर बेचने की आजादी मिले, उस दिशा में काम करने की जरूरत है और हमारी सरकार इसी दिशा में आगे बढ़ रही है।
कृषि कानूनों पर राजनीति उचित नहीं
प्रधानमंत्री ने विपक्ष पर हमला करते हुए कहा कि नए कृषि कानून राजनीति का विषय नहीं है। उन्होंने कहा कि मुझे इस बात पर हैरानी है कि जब विपक्ष के लोग सत्ता में थे तो कृषि सुधारों और एपीएमसी की वकालत करते थे।
लोककल्याण की भावना से किया काम
उन्होंने इस बाबत शरद पवार के नाम का जिक्र भी किया। उन्होंने कहा कि हम 21वीं सदी में हैं और मानते हैं कि 18वीं सदी की सोच से बदलाव नहीं लाया जा सकता। देश की तरक्की के लिए किसानों की तरक्की जरूरी है और किसानों को एक लंबी यात्रा के लिए तैयार होगा। यही कारण है कि हमने बीज से लेकर बाजार तक की व्यवस्था बदली है क्योंकि हम लोक कल्याण की भावना से काम कर रहे हैं।
कमी को किया जा सकता है दूर
पीएम मोदी ने कहा कि नए कृषि कानून बनने के बाद मैं किसानों से पूछना चाहता हूं कि पहले जो हक उन्हें हासिल थे या जो व्यवस्थाएं थी, क्या नए कृषि कानून उन्हें छीन लिया है? इसका जवाब नहीं ही होगा क्योंकि कुछ भी बदला नहीं है और सबकुछ पहले जैसा ही है।
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उन्होंने कहा कि मैं एक बार फिर स्पष्ट करना चाहता हूं कि अगर नई कृषि कानून में सचमुच में कोई कमी है या इससे किसानों का कोई नुकसान हो रहा है तो इसमें बदलाव किया जा सकता है। हम किसानों के लिए फैसले करते हैं। अगर कोई ऐसी बात बताता है जो हमें सही लगे तो हमें बदलाव करने में कोई भी संकोच नहीं है।
चुनौतियों से जूझ रहा है कृषि क्षेत्र
पीएम मोदी ने कहा कि कृषि के क्षेत्र में सुधार बहुत जरूरी और महत्वपूर्ण है क्योंकि हमारा कृषि क्षेत्र बरसों से चुनौतियों से जूझ रहा है और हमें इन चुनौतियों से जूझने में किसानों की मदद करने ही होगी। कुछ लोग किसानों को बरगलाने और उनके बीच झूठ पर फैलाने की कोशिश में जुटे हुए हैं। इसी कारण एक सुनियोजित साजिश के तहत हो-हल्ला मचाया जा रहा है। कृषि कानूनों पर कुछ लोग अफवाह फैलाने में कामयाब रहे और हमारे किसान भाई भी उसका शिकार हो गए।
कोरोना काल में लोगों की भरपूर मदद की
प्रधानमंत्री ने अपनी सरकार की उपलब्धियों का जिक्र करते हुए कहा कि दुनिया के बहुत सारे देश कोरोना के दिनों में अपने खजाने में पाउंड और डालर होने के बाद भी अपने देश के लोगों की मदद नहीं कर सके मगर हम गर्व के साथ कह सकते हैं कि अपने देश में हमने कोरोना के भयंकर संक्रमण के दिनों में भी 75 करोड़ से अधिक भारतीयों को 8 महीने तक राशन पहुंचाया है।
कोरोना वायरस ने दुनिया को हिला दिया है मगर भारत उससे बचा रहा है क्योंकि हमारे डॉक्टर और नर्स भगवान बनकर आए और हमारे स्वास्थ्य कर्मियों ने आगे बढ़कर देशवासियों को बचाने में भरपूर मदद की। ऐसे लोगों की हम जितनी भी प्रशंसा करें जितना भी गौरवगान करें, वह कम ही होगा।
संकल्प शक्ति से आगे बढ़ रहा देश
अपने पूरे भाषण के दौरान प्रधानमंत्री पूरी तरह आक्रामक मुद्रा में दिखे। राज्यसभा की अपेक्षा लोकसभा में उनके तेवर ज्यादा आक्रामक थे और उन्होंने विपक्ष पर कई सियासी तीर भी छोड़े। उन्होंने किसानों के बीच अपनी मजबूत पकड़ रखने वाले नेता चौधरी चरण सिंह का नाम लेकर भी अपनी बात पुख्ता करने की कोशिश की।
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उन्होंने कहा कि राष्ट्रपति का अभिभाषण भारत के 130 करोड़ भारतीयों की संकल्प शक्ति को प्रदर्शित करता है कि कैसे विकट और विपरीत काल में भी देश ने सही रास्ते पर चलकर सफलता हासिल की है।
नारेबाजी के बाद कांग्रेस का वॉकआउट
प्रधानमंत्री के भाषण के दौरान कुछ विपक्षी सांसदों की ओर से टोकाटाकी भी की गई। कांग्रेस सांसदों की ओर से कृषि कानूनों को वापस लेने के पक्ष में नारेबाजी भी की गई। पीएम के संबोधन के दौरान कांग्रेस नेता अधीर रंजन चौधरी समेत कुछ विपक्षी सांसदों ने हंगामा किया तो पीएम ने मजाकिया लहजे में एक मिनट का ब्रेक देने के लिए आभार भी जताया। कांग्रेस सांसद प्रधानमंत्री के जवाब से संतुष्ट नहीं थे और उन्होंने पीएम के संबोधन के दौरान नारेबाजी की और इस बाबत लोकसभा अध्यक्ष के मना करने पर सदन से वॉकआउट कर दिया।
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