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No Confidence Motion: क्या नेहरू का रिकॉर्ड तोड़ने में कामयाब होंगे PM मोदी!...वोटिंग में क्या हो सकता है लोकसभा का गणित
No Confidence Motion: अविश्वास प्रस्ताव पर 8 अगस्त को बहस की शुरुआत होने वाली है जबकि दस अगस्त को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी अविश्वास प्रस्ताव पर हुई चर्चा का जवाब देंगे।
No Confidence Motion: संसद के मानसून सत्र के दौरान मणिपुर के मुद्दे पर लगातार हंगामे के बाद अब सबकी निगाहें मोदी सरकार के खिलाफ पेश किए गए अविश्वास प्रस्ताव पर टिकी हैं। अविश्वास प्रस्ताव पर 8 अगस्त को बहस की शुरुआत होने वाली है जबकि दस अगस्त को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी अविश्वास प्रस्ताव पर हुई चर्चा का जवाब देंगे। सुप्रीम कोर्ट की ओर से कांग्रेस नेता राहुल गांधी को मिली राहत के बाद विपक्ष के हौसले बुलंद दिख रहा है। हालांकि अभी तक उनकी सांसदी बहाल नहीं की गई है मगर कांग्रेस की ओर से इसके लिए दबाव बनाया जा रहा है।
दूसरी ओर अविश्वास प्रस्ताव को लेकर भाजपा की अगुवाई वाले एनडीए खेमा काफी निश्चिंत नजर आ रहा है। इसका कारण यह है कि सत्ता पक्ष के संख्या बल को देखते हुए अविश्वास प्रस्ताव का पहले ही गिरना तय माना जा रहा है। लोकसभा में पूर्ण बहुमत होने के बावजूद मोदी सरकार की ओर से समर्थक सांसदों की संख्या को और बढ़ाने की कोशिश की जा रही है। ऐसे में यह देखने वाली बात होगी कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी देश के पहले प्रधानमंत्री पंडित जवाहरलाल नेहरू के 347 वोटों के रिकॉर्ड को तोड़ने में कामयाब हो पाते हैं या नहीं।
लगातार हंगामे के बाद अब अविश्वास प्रस्ताव पर निगाहें
संसद के मानसून सत्र की शुरुआत के बाद से ही दोनों सदनों में मणिपुर के मुद्दे पर लगातार हंगामा होता रहा है। सत्र की शुरुआत के साथ ही विपक्ष मणिपुर के मुद्दे पर विस्तृत चर्चा कराने और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के बयान पर अड़ा हुआ था। इस कारण कई दिनों तक सदन में कोई कामकाज नहीं हो सका और सरकार ने हंगामे के बीच कई विधेयक भी पारित कराए। दिल्ली में अफसरों के ट्रांसफर और पोस्टिंग से जुड़े विधेयक पर ही कुछ देर तक चर्चा संभव हो सकी।
अब विपक्ष की ओर से अविश्वास प्रस्ताव का नोटिस से पेश किया जा चुका है और लोकसभा के स्पीकर ओम बिरला ने इसे मंजूरी भी दे दी है। अविश्वास प्रस्ताव पर चर्चा की शुरुआत मंगलवार से होने वाली है और गुरुवार को प्रधानमंत्री चर्चा का जवाब देंगे। इसके बाद सदन में वोटिंग कराई जाएगी।
राहुल को राहत मिलने से बदले सियासी हालात
इस बीच सियासी हालात में भी बदलाव आया है। सुप्रीम कोर्ट ने शुक्रवार को राहुल गांधी को बड़ी राहत देते हुए दोष सिद्ध पर रोक लगा दी। इसके साथ ही कांग्रेस नेता की सांसद ही बाहर होने का रास्ता साफ हो गया है। कांग्रेसी नेताओं की मांग है कि अब जल्द से जल्द राहुल गांधी के सांसदी बहाल करने की दिशा में कदम उठाया जाना चाहिए। माना जा रहा है कि अविश्वास प्रस्ताव पर चर्चा से पूर्व सोमवार को इस दिशा में कदम उठाया जा सकता है।
हालांकि राहुल गांधी की सांसदी बहाल होने से भी लोकसभा के गणित में कोई बदलाव आने की कोई उम्मीद नहीं है। वैसे राहुल गांधी के चर्चा में भाग लेने की संभावना से विपक्ष के हौसले जरूर बुलंद दिख रहे हैं। माना जा रहा है कि चर्चा के दौरान राहुल गांधी प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पर बड़ा हमला बोल सकते हैं।
लोकसभा में सत्ता पक्ष की मजबूती स्थिति
यदि लोकसभा में संख्या बल के हिसाब से देखा जाए तो सत्ता पक्ष काफी मजबूत स्थिति में नजर आ रहा है। मौजूदा समय में लोकसभा में एनडीए के पास 332 सांसदों की ताकत है। हर समय विपक्ष के अविश्वास प्रस्ताव का पहले से ही गिरना तय माना जा रहा है। दिल्ली से जुड़े विधेयक पर मोदी सरकार को वाईएसआरसीपी और बीजू जनता दल का समर्थन भी मिला था। यदि अविश्वास प्रस्ताव के मुद्दे पर वाईएसआरसीपी ने मोदी सरकार का साथ दिया तो उसके पास 354 सांसदों की ताकत होगी। अगर बीजू जनता दल भी सरकार के साथ खड़ा हो गया तो विपक्ष को सबसे बड़ी हार का सामना करना पड़ सकता है।
क्या नेहरू का रिकॉर्ड तोड़ पाएंगे पीएम मोदी
देश में विभिन्न सरकारों के खिलाफ 1963 से अभी तक 27 बार अविश्वास प्रस्ताव पेश किए जा चुके हैं। अविश्वास प्रस्ताव के मामले में देश के प्रथम प्रधानमंत्री पंडित जवाहरलाल नेहरू के समय में बना रिकॉर्ड अभी तक कायम है। 1963 में नेहरू सरकार के खिलाफ अविश्वास का प्रस्ताव पेश किया गया था मगर विपक्ष की बड़ी हार हुई थी। उस समय नेहरू सरकार के पक्ष में 347 वोट पड़े थे।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 2014 में देश की कमान संभाली थी और उनकी सरकार के खिलाफ 2018 में अविश्वास प्रस्ताव पेश किया गया था। उस समय मोदी सरकार के पक्ष में 330 सांसदों ने वोटिंग की थी।
इस बार यदि वाईएसआरसीपी और बीजू जनता दल ने मोदी सरकार का साथ दिया तो निश्चित रूप से नरेंद्र मोदी पंडित जवाहरलाल नेहरू के समय में बने रिकॉर्ड को तोड़ने में कामयाब हो सकते हैं। भाजपा का शीर्ष नेतृत्व विपक्ष की बड़ी शिकस्त सुनिश्चित करने में जुटा हुआ है। ऐसे में सबकी निगाहें वोटिंग के नतीजों पर टिकी हुई हैं।