×

हारे का सहारा: कचरा बटोरने वाले बच्चों के लिए 'भगवान' बना ये कांस्टेबल

पुलिस कांस्टेबल धर्मवीर ने 5 बच्चों को पढ़ाने का बीड़ा उठाया था, देखते ही देखते आज बच्चों की संख्या 470 हो गई है। आइए जानते हैं इनके बारे में...

Shivakant Shukla
Published on: 11 Nov 2019 10:58 AM GMT
हारे का सहारा: कचरा बटोरने वाले बच्चों के लिए भगवान बना ये कांस्टेबल
X

नई दिल्ली: तेजी से डिजिटल की तरफ बढ़ रही दुनिया में आज भी कहीं न कहीं मानवता देखने को मिल जाती है। ऐसा ही कुछ देखने को मिला राजस्थान में| यहां एक पुलिस कांस्टेबल धर्मवीर ने 5 बच्चों को पढ़ाने का बीड़ा उठाया था, देखते ही देखते आज बच्चों की संख्या 470 हो गई है। आइए जानते हैं इनके बारे में...

कैसे शुरू हुआ स्कूल

कांस्टेबल धर्मवीर गरीब, कूड़ा कचरा बीनने वाले और भीख मांगने वाले बच्चों को शिक्षित करने के लिए एक स्कूल बनाया है। 1 जनवरी 2016 मे महिला थाना परिसर के पास खाली पडी जमीन में खुले आसमान के नीचे संचालित धर्मवीर ने इस अनौपचारिक स्कूल 'आपणी पाठशाला' को खोला। मौजूदा समय में ये स्कूल एक चार बड़े बड़े कमरों वाले सुसज्जित भवन का रूप ले चुका है।

ये भी पढ़ें—पीएम नरसिम्हा राव से लेकर लालू प्रसाद यादव तक को लताड़ा था इस दिग्गज ने

ऐसे आया स्कूल खोलने का ख्याल

सिपाही धर्मवीर राजस्थान के चुरू पुलिस में कार्यरत हैं। एक बार पुलिस लाइन में 2 बच्चे भीख मांगने पहुंचे। जो स्वयं को बिना मां-बाप का बता रहे थे। हकीकत जाने के लिए वे उनकी झुग्गी में गए। गरीब बच्चों के लिए कुछ करने की सोचा। जिसके बाद उन्होंने भीख मांगने वाले इन बच्चों को पढ़ाना शुरू कर दिया। 1 जनवरी 2016 को महिला थाने मे आसमान के नीचे अस्थाई स्कूल शुरू कर दी गई तथा झुग्गी-झौंपडियों में रहने वाले घुमंतू और होटल ढाबों पर काम करने वाले बच्चों को पढ़ाना शुरू कर दिया।

लेकिन अभिभावक अपनी आर्थिक परेशानियों के चलते इन बच्चों को स्कूल भेजने को तैयार नहीं थे। वहीं पुलिस की ड्यूटी के अलावा इस काम में जुटे सिपाही धर्मवीर बच्चों को नियमित योगाभ्यास भी करवाते हैं। इन प्रयासों की बदौलत बच्चे आज पढ़-लिखकर समाज की मुख्य धारा में शामिल हो रहे हैं।

ये भी पढ़ें—मिल गया कैंसर का इलाज! सदाबहार पौधे से होगा इस बीमारी पर वार

समाजसेवी संस्थाएं भी करने लगी हैं मदद

बिना किसी संसाधनों के शुरू की गई इस पाठशाला में बच्चों के रुझान को देखते दानदाताओं और स्वयंसेवी संस्थाओं द्वारा धीरे धीरे सारी सुविधाएं उपलब्ध करवाई जाने लगी है। अब वह बच्चों को दैनिक उपयोग के सामान भी दे रहे हैं।

धर्मवीर का कहना है कि उनका उद्देश्य है कि इन बच्चों को पढ़ा लिखाकर इतना काबिल बना देंगे कि ये बच्चे बड़े होकर अपना भविष्य का निर्माण खुद कर सकें। आज बच्चों को स्कूल लाने ले जाने के लिए एक वैन की व्यवस्था की गई है।

ये भी पढ़ें—राम मंदिर फैसले पर बोले कल्याण सिंह कहा- मैं जरूर जाऊंगा अयोध्या

धरमवीर कहते हैं कि शुरुआत में बच्चों और परिजनों को पढने लिखने के लिए सहमत करना बडा मुश्किल था।आज आपणी पाठशाला 4 बडे कमरों में संचालित हो रही है। छात्र छात्राओं ने बताया कि मुझे हिंदी- इंग्लिश आती है ओर तोतली आवाज में बोला मैं पढ लिखकर बहुत बड़ा आदमी बनना चहता हूं।

Shivakant Shukla

Shivakant Shukla

Next Story