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जामिया हिंसा पर अब तक का सबसे बड़ा खुलासा, लड़की के बैग में मिला ये सब
नागरिकता संशोधन कानून के खिलाफ देशभर में विरोध प्रदर्शन हो रहा है। कानून के विरोध में दिल्ली के जामिया नगर क्षेत्र में हुई हिंसा मामले में दिल्ली पुलिस ने 10 लोगों को गिरफ्तार किया है। गिरफ्तार लोगों में कोई छात्र शामिल नहीं है। अब इस मामले में चौंकाने वाला खुलासा हुआ है।
नई दिल्ली: नागरिकता संशोधन कानून के खिलाफ देशभर में विरोध प्रदर्शन हो रहा है। कानून के विरोध में दिल्ली के जामिया नगर क्षेत्र में हुई हिंसा मामले में दिल्ली पुलिस ने 10 लोगों को गिरफ्तार किया है। गिरफ्तार लोगों में कोई छात्र शामिल नहीं है। अब इस मामले में चौंकाने वाला खुलासा हुआ है।
जामिया युनिवर्सिटी का आई कार्ड बनवाकर कुछ लोग प्रदर्शनकारियों में शामिल हुए थे। असली छात्र से कहीं अधिक हिंसा भड़काने में फर्जी छात्रों का हाथ था। हिरासत में लिए गए ऐसे 51 छात्रों की पुलिस ने जांच शुरू कर दी है। इनमें से 36 को कालकाजी से और 15 को न्यू फ्रेंड्स कॉलोनी इलाके से हिरासत में लिया गया था।
गिरफ्तार सभी खुद को जामिया, डीयू के हिंदू कॉलेज और इग्नू के छात्र होने का दावा कर रहे थे। पुलिस को इनमें से कुछ पर शक है कि उन्होंने जामिया के फर्जी आई कार्ड बनवा रखे।
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दिल्ली पुलिस के कई सीनियर अधिकारियों ने जानकारी दी है कि रविवार को हुई हिंसा में रात तक 51 ऐसे लोगों को हिरासत में लिया गया था, जिन पर शक है। उन्होंने बताया कि यह सभी खुद को तीन अलग-अलग यूनिवर्सिटी के छात्र बता रहे थे। इनमें से अधिकतर जामिया का होने का दावा कर रहे थे। पुलिस को शक है कि इनमें से कुछ शरारती तत्व थे। सभी के आई कार्ड और उनकी पहचान की दूसरी डिटेल लेकर पुलिस ने उन्हें छोड़ दिया।
अब पुलिस इन सभी की जांच कर रही है कि कौन असली था और कौन नकली। पुलिस ने यह भी जानकारी दी कि हिरासत में लिए गए 51 छात्रों में से एक ने अपने आप को 17 साल का बताया था। उसे तभी माता-पिता को बुलाकर उनके हवाले कर दिया गया था। एक लड़की भी थी, जिसे तुरंत छोड़ दिया गया था।
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पुलिस प्रवक्ता एमएस रंधावा ने बताया कि जामिया छात्र को डरने की जरूरत नहीं है। पुलिस कैंपस में नहीं घुसेगी। हां, कैंपस में अगर कोई शरारती तत्व घुसता है, तो उसकी रोकथाम के लिए जरूर पुलिस जांच कर सकती है।
पुलिस ने जानकारी दी कि रविवार रात को आईटीओ स्थित दिल्ली पुलिस के मुख्यालय के बाहर प्रदर्शन करने वालों में एक लड़की भी शामिल थी। उस लड़की के पिट्ठू बैग में पत्थर ही पत्थर थे। पुलिस ने पत्थर भरने का कारण पूछा तो लड़की ने विमन सेफ्टी का जवाब दिया। पुलिस ने उसे जाने दिया।
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जामिया में रविवार को हुई इस हिंसा को पुलिसिया खुफिया तंत्र के फेल होने के रूप में भी देखा जा रहा है। जामिया में विरोध प्रदर्शन शुक्रवार से ही शुरू हो गया था। रविवार को दिन में कुछ नेताओं ने सभाएं की थीं। फिर भी पुलिस इस बात को क्यों नहीं भांप पाई कि इलाके में हिंसा भड़क सकती है।
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रविवार रात साउथ-ईस्ट दिल्ली के डीसीपी चिन्मय बिश्वाल ने हिंसा के पीछे साजिश की बात भी कही थी। पुलिस पहले इस बात को क्यों नहीं समझ पाई। पुलिस का कहना है कि जिस-जिस ने भी ट्वीट करके या वीडियो वायरल करके इस पूरे घटनाक्रम में अफवाहें फैलाई हैं उन सभी की जांच कराई जाएगी। उनके खिलाफ सख्त कार्रवाई भी की जाएगी।