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अहमद पटेल का कांग्रेस के तीन पीढ़ियों से था भरोसे का रिश्ता, ऐसा रहा सियासी सफर
कांग्रेस के वरिष्ठ नेता और गुजरात से राज्यसभा सांसद अहमद पटेल का बुधवार तड़के निधन हो गया। अहमद पटेल गत अक्टूबर में कोरोना से संक्रमित हो गए थे और उसके बाद उनका गुरुग्राम के मेदांता अस्पताल में इलाज चल रहा था।
नई दिल्ली: कांग्रेस के वरिष्ठ नेता और गुजरात से राज्यसभा सांसद अहमद पटेल का बुधवार तड़के निधन हो गया। अहमद पटेल गत अक्टूबर में कोरोना से संक्रमित हो गए थे और उसके बाद उनका गुरुग्राम के मेदांता अस्पताल में इलाज चल रहा था। अहमद पटेल का कांग्रेस के शीर्ष परिवार की तीन पीढ़ियों (इंदिरा,राजीव और सोनिया व राहुल) से भरोसे का रिश्ता रहा है। कांग्रेस से लेकर तमाम राजनीतिक पार्टियों और औद्योगिक घरानों तक में उनके दोस्त और दुश्मन मुख्यत: इसी वजह से बने थे।
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सियासी सफर
71 वर्षीय कांग्रेस दिग्गज नेता अहमद पटेल भारतीय संसद में गुजरात का 8 बार प्रतिनिधित्व कर चुके थे। इसके अलावा तीन बार वह लोकसभा और 5 बार राज्यसभा से चुनकर संसद तक पहुंचे हैं। फिलहाल गुजरात से वे एकमात्र मुस्लिम सांसद थे। आईये जानते हैं उनके सियासी सफर के बारे में..
सबसे युवा सांसद बन सबको चौंकाया
अहमद पटेल 1977 में गुजरात के भरूच से लोकसभा चुनाव जीतकर सबसे युवा सांसद बने थे। तब उनकी उम्र महज 26 साल थी। उस दौरान देश में आपातकाल के खिलाफ आक्रोश से पनपी जनता पार्टी की लहर चल रही थी। ऐसे में उनका जीतना इंदिरा गांधी समेत सभी राजनीतिक पंडितों के लिए एक बेहद चौंकाने वाली घटना थी।
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अहमद पटेल की रुचि कभी भी सामने आकर राजनीति करने में नहीं रही। वे हमेशा पर्दे के पीछे की राजनीति में भरोसा करते रहे। इसके पीछे कांग्रेस की राजनीतिक संस्कृति की सीमाएं भी काफी हद तक जिम्मेदार रहीं। उन्हें सियासी रणनीति का मास्टर माइंड भी कहा जाता था।
BJP से पुरानी दुश्मनी
अमित शाह व अहमद पटेल के बीच पुरानी दुश्मनी रही। यह दुश्मनी 2010 से बढ़ी जब सोहराबुद्दीन फर्जी एनकाउंटर केस में अमित शाह को जेल जाना पड़ा। ऐसा माना जाता है कि तत्कालीन संप्रग सरकार ने पटेल के इशारे पर शाह को इस मामले में घेरा था। यहां तक कि संप्रग के 10 वर्ष के शासन के दौरान उन्होंने ही मोदी और शाह की जोड़ी पर निशाना साधने की केंद्रीय एजेंसियों की प्रत्येक कार्रवाई का खाका तैयार किया था। इसके बाद से अमित शाह के मन में पटेल को लेकर फांस धंस गई। जानकारों के मुताबिक गुजरात में पटेलों की BJP से बढ़ती दूरी के पीछे अहमद की खास भूमिका रही है।