अमर सिंह का सफर: इन विवादों से रहा इनका नाता, इसलिए सपा से हुए थे बाहर

किसी जमाने में उत्तर प्रदेश की सियासत के सबसे कद्दावर नेताओं में गिने जाने वाले अमर सिंह नहीं रहे। वे लंबे समय से बीमारियों से जूझ रहे थे और उन्होंने सिंगापुर के एक अस्पताल में आखिरी सांस ली।

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Published on: 1 Aug 2020 12:49 PM GMT
अमर सिंह का सफर: इन विवादों से रहा इनका नाता, इसलिए सपा से हुए थे बाहर
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अंशुमान तिवारी

लखनऊ। किसी जमाने में उत्तर प्रदेश की सियासत के सबसे कद्दावर नेताओं में गिने जाने वाले अमर सिंह नहीं रहे। वे लंबे समय से बीमारियों से जूझ रहे थे और उन्होंने सिंगापुर के एक अस्पताल में आखिरी सांस ली। मौजूदा समय में वे उत्तर प्रदेश से राज्यसभा के सदस्य थे। ‌इन दिनों उनकी राजनीतिक सक्रियता भले ही कम हो गई हो मगर एक जमाने में वे यूपी की सत्ता के चाणक्य कहे जाते थे।

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तमाम बड़े चेहरों को सपा में लाए अमर

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सपा संरक्षक मुलायम सिंह यादव के सबसे करीबी रहे अमर सिंह एक समय समाजवादी पार्टी में नंबर दो की पोजीशन के नेता रह चुके हैं। अमर सिंह की पहचान 90 के दशक से ही उत्तर प्रदेश के पावरफुल राजनीतिक चेहरे के रूप में थी। अमर सिंह का राजनीतिक रसूख इतना ज्यादा था कि उन्होंने अमिताभ बच्चन की पत्नी जया बच्चन से लेकर तमाम बड़े चेहरों को समाजवादी पार्टी का सदस्य बनाने में कामयाबी हासिल की।

हवाई सफर में हुई थी मुलायम से भेंट

कहा जाता है कि अमर सिंह की मुलायम सिंह से मुलाकात 1996 में हवाई सफर के दौरान हुई थी। उस समय मुलायम सिंह यादव देश के रक्षा मंत्री थे। जानकारों का कहना है कि हालांकि दोनों दिग्गज नेताओं की मुलाकात पहले भी हो चुकी थी मगर हवाई सफर की इस मुलाकात के बाद ही अमर सिंह और मुलायम सिंह यादव की नज़दीकियां बढ़ी थीं।

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कभी सपा में बोलती थी तूती

इस मुलाकात के बाद बड़े उद्योगपति और पूर्वांचल के रसूखदार ठाकुर नेता माने जाने वाले अमर सिंह मुलायम सिंह के सबसे खास बन गए। मुलायम सिंह और छोटे बड़े राजनीतिक फैसले के लिए अमर सिंह पर निर्भर रहने लगे और पार्टी में उनकी तूती बोलने लगी। जल्द ही मुलायम सिंह यादव ने अमर सिंह को समाजवादी पार्टी का राष्ट्रीय महासचिव बना दिया।

अमर की सलाह पर ही होते थे फैसले

सियासी जानकारों का कहना है कि साल 2000 के आसपास अमर सिंह का समाजवादी पार्टी में प्रभुत्व इतना ज्यादा बढ़ गया था कि हर बड़े फैसले में उनकी राय जरूरी मानी जाने लगी। टिकटों के बंटवारे के साथ ही हर बड़ा फैसला मुलायम सिंह अमर सिंह से पूछ कर ही किया करते थे। हालांकि इसे लेकर पार्टी के कुछ दूसरे नेता मुलायम से नाराज भी रहने लगे।

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कैश फार वोट मामले में उछला था नाम

इसके बाद उत्तर प्रदेश ही नहीं बल्कि दिल्ली की सियासत में भी अमर सिंह सबसे प्रमुख चेहरों में गिने जाने लगे। 2004 में दिल्ली में यूपीए की सरकार बनी। यूपीए की सरकार के कार्यकाल के दौरान जब भी कोई संकट आया तो मनमोहन सिंह की सरकार ने सपा से मदद मांगी। सपा की ओर से लॉबिंग करते हुए अमर सिंह ने कई बार मनमोहन सरकार को संकट से उबारा। हालांकि इस दौरान वे विवादों में भी घिरे। यूपीए कार्यकाल के दौरान न्यूक्लियर डील के फैसले के दौरान कैश फॉर वोट मामले में भी अमर सिंह का नाम उछला। हालांकि बाद में उन्हें इन आरोपों से मुक्ति भी मिल गई।

ठाकुर वोटों पर थी मजबूत पकड़

अमर सिंह ने अपने जीवन का लंबा समय महाराष्ट्र के मुंबई शहर में बिताया था। इसके बावजूद पूर्वांचल की सियासत में उनका दखल बरकरार था। 90 के दशक में अमर सिंह पूर्वांचल के रसूखदार नेता चंद्रशेखर और वीर बहादुर सिंह के सबसे करीबी लोगों में गिने जाते थे। जानकारों का तो यहां तक कहना है कि वीर बहादुर सिंह के जरिए ही अमर सिंह की मुलायम सिंह से पहली बार मुलाकात हुई थी। आजमगढ़ के तरवा इलाके में 27 जनवरी 1956 को जन्मे अमर सिंह को पूर्वांचल का बाबू साहब यूं ही नहीं कहा जाता था। ठाकुर वोटों पर उनकी मजबूत पकड़ बताई जाती थी।

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आजम खान से हमेशा तल्ख रहे रिश्ते

समाजवादी पार्टी में आजम खान के मजबूत होने के बाद अमर सिंह की पार्टी से दूरी बनी। आजम खान के बढ़ते रसूख के कारण अमर सिंह समाजवादी राजनीति के हाशिए पर चले गए। यह आजम खान के बढ़ते प्रभाव का ही नतीजा था कि मुलायम सिंह ने 2010 में अमर सिंह को समाजवादी पार्टी से बाहर कर दिया। इसके बाद कुछ समय तक अमर सिंह राजनीति से दूर रहे। 2016 में फिर वे संसदीय राजनीति में लौटे। सपा की ओर से उन्हें समर्थन हासिल हुआ और वे एक बार फिर राज्यसभा में पहुंचने में कामयाब रहे। हालांकि इसके बाद भी अमर सिंह और आजम खान के रिश्तो में कभी मधुरता नहीं आ सकी और दोनों एक दूसरे के खिलाफ तल्खी भरे बयान देते रहे।

अखिलेश ने लगाया था यह आरोप

समाजवादी पार्टी में अखिलेश यादव के मजबूत होने के बाद अमर सिंह और अखिलेश के रिश्ते कभी सहज नहीं रहे। हालांकि अमर सिंह बीच-बीच में अखिलेश को बचपन से ही जानने और उनकी मदद करने का दावा करते रहे मगर अखिलेश यादव ने अमर सिंह को कटघरे में खड़ा करते हुए यहां तक आरोप लगा दिया कि वह उनके परिवार को तोड़ने की कोशिश कर रहे हैं। अखिलेश ने कई मौकों पर अमर सिंह को बाहरी व्यक्ति बताते हुए उनकी तीखी आलोचना की। अमर सिंह ने भी अखिलेश की आलोचनाओं का जवाब देते हुए उन पर अपना अपमान करने का आरोप लगाया।

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