TRENDING TAGS :

Aaj Ka Rashifal

Poonch Terror Attack: क्या भाटाधुलियां का जंगल बन गया है आतंकियों का नया पनाहगाह? पुंछ हमले के बाद उठ रहे सवाल

Poonch Terror Attack: सैन्य सूत्रों से मिली जानकारी के मुताबिक, आतंकी यहां पुलवामा जैसा हमला दोहराने की फिराक में थे लेकिन संयोगवश उस दिन सेना का काफिला नहीं निकला था बल्कि एक ट्रक कुछ जवानों को लेकर निकली थी।

Krishna Chaudhary
Published on: 21 April 2023 4:33 PM IST (Updated on: 21 April 2023 4:34 PM IST)
Poonch Terror Attack: क्या भाटाधुलियां का जंगल बन गया है आतंकियों का नया पनाहगाह? पुंछ हमले के बाद उठ रहे सवाल
X
Poonch Terror Attack (photo: social media )

Poonch Terror Attack: जम्मू कश्मीर की धरती एकबार फिर आतंकी हमले से दहल उठी है। गुरूवार को पाकिस्तान पोषित आतंकवादियों ने एकबार फिर भारतीय जवानों पर कायराना हमला किया। जिसमें 5 जवान वीरगति को प्राप्त हुए। इस हमले ने पुलवामा में हुए जघन्य आतंकी हमले की याद दिला दी। सैन्य सूत्रों से मिली जानकारी के मुताबिक, आतंकी यहां पुलवामा जैसा हमला दोहराने की फिराक में थे लेकिन संयोगवश उस दिन सेना का काफिला नहीं निकला था बल्कि एक ट्रक कुछ जवानों को लेकर निकली थी।

पुंछ आतंकी हमले के बाद कई तरह के सवाल उठने लगे हैं। गुरूवार को पुंछ के संगयोट में आर्मी ट्रक पर हमला करने के बाद आतंकियों के भाटाधुलियां के जंगल में छिपे होने की आशंका है, जो कि घटनास्थल से पास है। ऐसे में सवाल उठ रहा है कि क्या भाटाधुलियां के जंगल आतंकियों का नया पनाहगाह बन चुका है। क्योंकि अतीत में भी जम्मू कश्मीर के विभिन्न जंगलों को आतंकियों ने अपना ठिकाना बनाया है और वहां से आतंकी वारदातों को सफलतापूर्वक अंजाम दिया है।

भाटाधुलियां के आसपास स्थित नाड़ कस्स, संगयोट और डेरा गली के जंगलों में आतंकियों के छिपे होने की खुफिया जानकारी सेना को मिलती रही है। सीमा पार से आए आतंकवादी लोकल आतंकियों के सहयोग से यहां अपना ठिकाना बनाते रहे हैं। सेना या किसी सार्वजनिक ठिकाने पर हमले कर वापस यहीं छिप जाते हैं। दुर्गम इलाका होने के कारण यहां छिपना थोड़ा आसान होता है। सुरक्षाबलों ने खुफिया इनपुट के आधार पर कई बार इन इलाकों में मेगा सर्च ऑपरेशन भी चलाया है, लेकिन उनके हाथ कुछ लगा नहीं।

नाड़ कस्स बन गया था आतंकियों का ठिकाना

भाटाधुलियां के पास स्थित नाड़ कस्स में साल 2002 तक आतंकियो की तूती बोलती थी। यहां पर आतंकियों ने अपना बड़ा ठिकाना बना रखा था, जहां लोकल कश्मीरी युवाओं को बरगलाकर हथियार चलाने की ट्रेनिंग दी जाती थी। इस इलाके में पुलिस और सरकार से जुड़े अधिकारी भी जाने से बचते थे। ये इलाका पहली बार तब सुर्खियों में आया था, जब आतंकियों ने यहां एक ही परिवार के सात लोगों की मुखबरी करने के आरोप में हत्या कर दी थी। इसके अलावा भी इस क्षेत्र में आतंकियों ने कई अन्य वारदातों को अंजाम दिया गया था।

भाटाधुलियां के दूसरा हिल काका बनने की आशंका !

पुंछ आतंकी हमले के बाद भाटाधुलियां के जंगल को दूसरा हिल काका बताए जाने लगा है। जम्मू कश्मीर में आतंकी गतिविधियों पर नजर रखने वालों का मानना है कि हिल काका की तरह भाटाधुलियां भी आतंकियों के लिए पनाहगाह बनते जा रहे हैं। क्योंकि पुंछ हमले में शामिल आतंकियों के यहीं छिपे होने की प्रबल संभावना है। तो आइए जानते हैं कि ऐसा क्या हुआ था हिल काका में की भाटाधुलियां की तुलना उससे की जाने लगी है।

हिल काका के जंगल पुंछ जिले के सुरनकोट के पास पीर पंजाल की पहाड़ियों में स्थित है। यह इलाका जम्मू कश्मीर के किश्तवार - डोडा जिले के साथ-साथ पाकिस्तान की सीमा से भी लगता है। यानी की यहां से इन तीन क्षेत्रों में जाया जा सकता है। साल 2000 के समय आतंकियों ने इस अहम लोकेशन का फायदा उठाते हुए इसे अपना ठिकाना बना लिया था। यहां पर उन्होंने पक्के बंकर तैयार कर लिए थे। आतंकियों ने जंगल में अस्पताल तक बना लिए थे ताकि वहां मौजूद आतंकियों को मेडिकल सुविधा मिल सके।

जंगल में आतंकियों ने ट्रेनिंग कैंप बना रखे थे, जहां स्थानीय युवाओं को जबरन ट्रेनिंग दी जाती थी। उन्हें भारत सरकार के खिलाफ हथियार उठाने के लिए उकसाया जाया था। जो युवा इसमें शामिल नहीं होना चाहते थे, उन्हें बंदूक की नोक पर प्रशिक्षण दिया जाता था। हिल काका के जंगल में हो रही इन गतिविधियों के बारे में जब सैन्य अधिकारियों तक जानकारी पहुंची तो हड़कंप मच गया। इसके बाद इलाके को आतंकियों से मुक्त करने की योजना बनी। साल 2003 में आर्मी ने हिला काका की पहाड़ी में ऑपरेशन सर्प विनाश शुरू किया था।

सेना के जवान वहां रह रहे आतंकियों पर कहर बनकर टूटे। उनके पक्के बंकरों को नष्ट कर दिया गया। वहां से भारी मात्रा में हथियार और गोलाबारूद मिले थे। बताया जाता है कि इस अभियान में 50 से अधिक विदेशी और लोकल आतंकी मारे गए थे। सेना के इस ऑपरेशन का लोकल लोगों ने भी समर्थन किया था क्योंकि वे इनके जुल्म से तंग आ चुके थे। ऐसे में माना जा रहा है कि सेना एक और ऐसा ऑपरेशन भाटाधुलियां के जंगल में चला सकती है। हालांकि, अभी तक आर्मी की ओर से इस पर कोई प्रतिक्रिया नहीं आई है।



\
Krishna Chaudhary

Krishna Chaudhary

Next Story