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शिक्षा का रियलिटी टेस्ट: फेल हुआ यूपी, ऐसी है बच्चों की हालत

बच्चों की पढ़ाई लिखाई पर आज कल सरकर बहुत ध्यान दे रही है। नए नए नियम बनाए जा रहें हैं ताकि बच्चों के जीवन का अच्छा विकास हो और उनका भविष्य सफल हो जाए। ये हमेशा से चला आ रहा है कि स्कूलों में तय पाठ्यक्रम पढ़ाने के बाद उसकी परीक्षा ली जाती रही है, लेकिन यूपी में पहली बार बच्चों की परीक्षा कराकर ये जाना जाएगा कि आखिर उन्हें कक्षा में कैसे पढ़ाया जाए और क्या पढ़ाया जाए।

Roshni Khan
Published on: 23 Aug 2019 10:32 AM GMT
शिक्षा का रियलिटी टेस्ट: फेल हुआ यूपी, ऐसी है बच्चों की हालत
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लखनऊ: बच्चों की पढ़ाई लिखाई पर आज कल सरकर बहुत ध्यान दे रही है। नए नए नियम बनाए जा रहें हैं ताकि बच्चों के जीवन का अच्छा विकास हो और उनका भविष्य सफल हो जाए। ये हमेशा से चला आ रहा है कि स्कूलों में तय पाठ्यक्रम पढ़ाने के बाद उसकी परीक्षा ली जाती रही है, लेकिन यूपी में पहली बार बच्चों की परीक्षा कराकर ये जाना जाएगा कि आखिर उन्हें कक्षा में कैसे पढ़ाया जाए और क्या पढ़ाया जाए। परीक्षा में सामने आया कि कक्षा एक के बच्चों को वर्णमाला का तो ज्ञान है, लेकिन सभी बच्चे रंगों के बारे में नहीं जानते। वहीं, कक्षा दो के बच्चे दी गई संख्या को पढ़ व लिख नहीं पा रहे हैं।

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ये हैरान करने वाली बात नहीं हैं, राज्य शैक्षिक अनुसंधान और प्रशिक्षण परिषद उप्र (एससीईआरटी) ने लर्निंग आउटकम का प्रयोग धरातल पर उतारा है। प्रांत के बेसिक शिक्षा परिषद के प्राथमिक व उच्च प्राथमिक स्कूलों में पढ़ने वाले सभी बच्चों की परीक्षा कराई गई। परीक्षा के बाद सामने आए आकड़े शैक्षिक सुधार में मील का पत्थर साबित हो सकते हैं, एक रिपोर्ट के अनुसार उस पर अमल करें।

जाने लर्निंग आउटकम के बारे में

सरकारी स्कूलों में शिक्षकों को जहां सीखने-सिखाने की प्रक्रिया बताई गई, वहीं बच्चों को मिली शिक्षा को शिक्षण संबंधी परिणाम (लर्निंग आउटकम) के रूप में परखा गया। पढ़ाई से बच्चे के मानसिक स्तर, सामान्य ज्ञान और शैक्षिक ज्ञान में सुधार हुआ। किस कक्षा में शिक्षक बच्चों को किस तरह क्या-क्या पढ़ाएंगे और किस कक्षा में बच्चों को कितना ज्ञान होना चाहिए, यह निर्धारित किया गया।

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बहुविकल्पीय सवाल पूछे गए थे

कक्षा 1 व 2 में हिंदी, अंग्रेजी, गणित, 3, 4 व 5 में हिंदी, अंग्रेजी, गणित, पर्यावरण अध्ययन और 6, 7 व 8 में हिंदी, अंग्रेजी, गणित, विज्ञान व सामाजिक विषय से संबंधित बहुविकल्पीय सवाल पूछे गए थे। इम्तिहान फरवरी से अप्रैल के मध्य हुआ।

सभी नामांकित बच्चे हुए शामिल

वर्ष 2018 में कक्षा एक से पांच तक 1,18,74,001 व छह से आठ तक में 39,18,426 छात्र-छात्राएं परिषदीय स्कूलों में नामांकित थे। उन सबको इसमें शामिल किया गया।

'प्रेरणा' एप से बन रहा रिपोर्ट कार्ड

परीक्षा के बाद मिले आंकड़ों की डाटा एंट्री एससीईआरटी की ओर से विकसित प्रेरणा एप पर ब्लाक स्तर पर की जा रही है। अब तक 24 जिलों में यह कार्य पूरा करके विद्यालयवार रिपोर्ट कार्ड जारी किया गया है।

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जाने क्या होगा लाभ

विद्यालयों को भेजे गए रिपोर्ट कार्ड में कक्षावार व विषयवार विद्यार्थियों के लर्निंग आउटकम को प्रदर्शित किया गया है। इससे शिक्षक यह जान सकेंगे कि उन्हें किस विषय में किस लर्निंग आउटकम पर फोकस करना है। जहां यह बहुत कम या फिर शून्य है उसके लिए किस तरह कार्य योजना तैयार की जाए। शिक्षक खुद अपनी प्राथमिकता के आधार पर कार्य योजना बना सकेंगे।

अब विद्यालयों की होगी ग्रेडिंग

एससीईआरटी उप्र के निदेशक संजय सिन्हा ने बताया कि लर्निंग आउटकम का प्रयोग पहली बार यूपी में विद्यालयवार किया गया है। इसकी रिपोर्ट के आधार पर विद्यालयों की ग्रेडिंग करने के निर्देश भी दिए गए हैं।

Roshni Khan

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