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प्रधानमंत्री से ज्यादा कई मुख्यमंत्रियों की सैलरी

raghvendra
Published on: 13 Jun 2023 2:56 PM GMT (Updated on: 13 Jun 2023 3:14 PM GMT)
प्रधानमंत्री से ज्यादा कई मुख्यमंत्रियों की सैलरी
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फ़ाइल फोटो

नई दिल्ली: लोकसभा में बहुमत पाने वाले दल का नेता प्रधानमंत्री होता जबकि राज्यों की विधानसभा में बहुमत वाले विधायक दल का नेता मुख्यमंत्री बनाया जाता है। राजनीतिक नजरिये से पीएम देश में सबसे ताकतवर माना जाता है। मुख्यमंत्री सिर्फ अपने राज्य में ही प्रभावी होता है जबकि पीएम पूरे देश में सबसे ज्यादा प्रभावी होता है। लेकिन यह बात अचरज में डालने वाली है कि देश के कई राज्यों के मुख्यमंत्रियों का वेतन पीएम से भी ज्यादा है।

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वह भी थोड़ा बहुत नहीं बल्कि ढाई गुने से भी ज्यादा। पीएम की सैलरी में समय-समय पर संशोधन होते रहे हैं। इसमें कई बार बढ़ोतरी की गई है और ताजा आंकड़ों के हिसाब से पीएम नरेंद्र मोदी की वर्तमान सैलरी करीब एक लाख 60 हजार रुपये प्रति माह है। लेकिन यह बात अचरज में डालने वाली है कि कुछ राज्यों के मुख्यमंत्रियों की सैलरी चार लाख रुपये या उससे भी अधिक है। इसके लिए देश के विभिन्न राज्यों के मुख्यमंत्रियों की सैलरी के बारे में जानना जरूरी है।

केसीआर की सैलरी सबसे ज्यादा

जहां तक किसी राज्य के मुख्यमंत्री की सबसे ज्यादा सैलरी का सवाल है तो सबसे ज्यादा सैलरी तेलंगाना के मुख्यमंत्री के.चंद्रशेखर राव को मिलती। केसीआर के नाम से जाने जाने वाले राव की सैलरी 4 लाख 10 हजार रुपये प्रतिमाह है। मुख्यमंत्रियों की सैलरी की सूची में ये सबसे बड़ा आंकड़ा है। दूसरे नंबर पर हैं दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविन्द केजरीवाल। उनकी प्रतिमाह सैलरी तीन लाख 90 हजार रुपये है।

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गुजरात के सीएम विजय रूपानी का वेतन 3.21 लाख रुपये प्रतिमाह है। सियासी नजरिये से सबसे महत्वपूर्ण उत्तर प्रदेश, महाराष्ट्र, आंध्र प्रदेश और हिमाचल प्रदेश के मुख्यमंत्रियों का वेतन भी तीन लाख रुपये प्रतिमाह से अधिक है। इन सात राज्यों में सीएम की सैलरी बाकी राज्यों से ज्यादा है और इन राज्यों को टॉप 7 कहा जा सकता है।

सबसे कम सैलरी त्रिपुरा के सीएम की

यदि दो लाख से ज्यादा और तीन लाख रुपये से कम प्रतिमाह सैलरी पाने वाले राज्यों के मुख्यमंत्रियों की बात की जाए तो इस सूची में हरियाणा, झारखंड, मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़, पंजाब, गोवा, बिहार, पश्चिम बंगाल, तमिलनाडु और कर्नाटक राज्यों के सीएम शामिल हैं। जहां तक सीएम की सबसे कम सैलरी का सवाल है तो सबसे कम सैलरी त्रिपुरा के सीएम को मिलती है जो एक लाख पांच हजार पांच सौ रुपये प्रतिमाह है।

सीएम की सैलरी जहां इससे ज़्यादा और दो लाख रुपये से कम है, उनमें अधिकांश उत्तर पूर्व के राज्य शामिल हैं। जहां तक पीएम के बराबर सैलरी का सवाल है तो ओडिशा के सीएम नवीन पटनायक का वेतन प्रधानमंत्री के वेतन के बराबर है यानी वे प्रतिमाह एक लाख 60 हजार रुपये वेतन पा रहे हैं।

विधानसभा से पारित होता है प्रस्ताव

सीएम की सैलरी तय करने का मामला यह पूरी तरह से राज्य की व्यवस्था और राजस्व की स्थिति से जुड़ा हुआ है। संविधान के आर्टिकल 164 के मुताबिक मुख्यमंत्रियों की नियुक्ति राज्यपाल द्वारा की जाती है। राज्य की विधानसभा के निर्वाचित सदस्य विधायकों और विधायक दल के नेता के वेतन की राशि को लेकर निर्णय ले सकते हैं।

चौंकाने वाली बात

अव्वल तो ये कि उत्तर पूर्व के राज्यों की आमदनी या आर्थिक हालात कमजोर होने का इशारा मिलता है क्योंकि उन राज्यों के मुख्यमंत्रियों के वेतन की राशि सबसे कम है। तेलंगाना, दिल्ली और उत्तर प्रदेश ऐसे राज्य हैं, जहां मुख्यमंत्रियों का वेतन राज्यपालों की तुलना में ज्यादा है। यह इसलिए भी चौंकाने वाला है क्योंकि देश के प्रधानमंत्री की तुलना में राष्ट्रपति का वेतन अधिक होता है। मौजूदा समय में देश के राष्ट्रपति का वेतन 5 लाख प्रतिमाह है जबकि भत्ते अलग से मिलते हैं।

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राघवेंद्र प्रसाद मिश्र जो पत्रकारिता में डिप्लोमा करने के बाद एक छोटे से संस्थान से अपने कॅरियर की शुरुआत की और बाद में रायपुर से प्रकाशित दैनिक हरिभूमि व भाष्कर जैसे अखबारों में काम करने का मौका मिला। राघवेंद्र को रिपोर्टिंग व एडिटिंग का 10 साल का अनुभव है। इस दौरान इनकी कई स्टोरी व लेख छोटे बड़े अखबार व पोर्टलों में छपी, जिसकी काफी चर्चा भी हुई।

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