मुसीबत में किसान समर्थक अफसर, खुफिया एजेंसियों के निशाने पर आए

सरकार की ओर से जवाबी कार्रवाई के रिपोर्ट में रिटायर्ड जजों और खुफिया अफसरों के हवाले से कहा गया है कि ये पूर्व नौकरशाह किसानों को गुमराह कर रहे हैं। और राजनीति से प्रेरित हैं। खुफिया एजेंसियों के पूर्व प्रमुखों और इन जजों के हवाले से सरकार के पक्ष को सही ठहराने की कोशिश की गई है।

SK Gautam
Published on: 9 Feb 2021 6:36 AM GMT
मुसीबत में किसान समर्थक अफसर, खुफिया एजेंसियों के निशाने पर आए
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मुसीबत में किसान समर्थक अफसर, खुफिया एजेंसियों के निशाने पर आए

रामकृष्ण वाजपेयी

केंद्र सरकार के निशाने पर नजीब जंग, अरुणा रॉय, जुलियो रिबेरियो समेत 75 नौकरशाह आ गए हैं। इनके खिलाफ अभियान चलाकर जल्द ही इन पर कार्रवाई करने की तैयारी की जा रही है। इन अफसरों को सरकार विरोधी मुहिम का हिस्सा साबित करने के लिए सरकार ने पूर्व जजों और खुफिया एजेंसियों के पूर्व प्रमुखों का सहारा लिया है।

इन सेवानिवृत्त नौकरशाहों पर केंद्र सरकार कसेगी शिकंजा

इन सेवानिवृत्त नौकरशाहों में नजीब जंग, अरुणा रॉय, जवाहर सरकार और अरबिंदो बेहरा और पूर्व आईएफएस अधिकारियों के. बी. फैबियन और आफताब सेठ, पूर्व आईपीएस अधिकारियों जुलियो रिबेरियो और ए. के. सामंत सहित लंबी लिस्ट है। नजीब जंग दिल्ली के उपराज्यपाल भी रहे हैं। ये नौकरशाह कॉन्स्टिट्यूशनल कंडक्ट ग्रुप (CCG) का हिस्सा हैं।

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पूर्व नौकरशाहों पर किसानों को गुमराह करने का आरोप

सरकार की ओर से जवाबी कार्रवाई के रिपोर्ट में रिटायर्ड जजों और खुफिया अफसरों के हवाले से कहा गया है कि ये पूर्व नौकरशाह किसानों को गुमराह कर रहे हैं। और राजनीति से प्रेरित हैं। खुफिया एजेंसियों के पूर्व प्रमुखों और इन जजों के हवाले से सरकार के पक्ष को सही ठहराने की कोशिश की गई है। फोरम ऑफ कंसर्ड सिटीजंस की ओर से जारी पत्र में किसानों का आंदोलन समाप्त कराने के लिए एमएसपी के बारे में कानूनी आश्वासन और कृषि कानूनों को 18 महीने तक स्थगित किये जाने का समर्थन किया गया है।

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75 नौकरशाहों के हस्ताक्षर वाला पत्र हुआ था जारी

इससे पूर्व 75 नौकरशाहों के हस्ताक्षर से जारी एक पत्र में कहा गया था कि गैर-राजनीतिक किसानों को "ऐसे गैर-जिम्मेदार प्रतिद्वंद्वी के रूप में देखा जा रहा है जिनका उपहास किया जाना चाहिए, जिनकी छवि खराब की जानी चाहिए और जिन्हें हराया जाना चाहिए।" गौरतलब है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भी कल अपने भाषण में कुछ इसी अंदाज में किसानों का मजाक उड़ाया था।

किसानों के साथ अन्याय हुआ है और लगातार हो रहा है

सीसीजी में शामिल इन नौकरशाहों ने अपने ने इससे पूर्व 11 दिसंबर, 2020 को एक बयान जारी कर किसानों के रुख का समर्थन किया था। इनका कहना है जो कुछ भी हुआ, उसने हमारे इस विचार को और मजबूत बनाया कि किसानों के साथ अन्याय हुआ है और लगातार हो रहा है।

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75 नौकरशाहों पर भी नकेल कसने की तैयारी

नौकरशाहों ने बातचीत को फिर से शुरू करने के लिए उचित वातावरण तैयार करने के लिहाज से किसानों और पत्रकारों सहित ट्वीट करने वालों के खिलाफ दर्ज मामलों को वापस लिया जाना, गैरकानूनी गतिविधियों में शामिल असामाजिक तत्वों को छोड़कर और किसानों को खालिस्तानी बताने की गलत मंशा वाले दुष्प्रचार को बंद करने की न्यूनतम आवश्यकता पर जोर दिया था। केंद्र सरकार के इस रुख से साफ है कि वास्तविक मुद्दों से ध्यान भटकाकर सिर्फ समय बिताना चाह रही है। इसके अलावा 75 नौकरशाहों पर भी नकेल कसने की तैयारी कर चुकी है।

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