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सड़क पर मुस्लिम ही मुस्लिम! चेन्नई बन रहा शाहीन बाग, दिखा कुछ ऐसा नजारा
करीब दो महीने से देश की राजधानी दिल्ली के शाहीन बाग में नागरिकता संशोधन कानून और नेशनल रजिस्टर ऑफ सिटिजन्स के खिलाफ विरोध हो रहा है। इसी कड़ी में अब बुधवार को चेन्नई की वालाजाह रोड पर प्रदर्शनकारियों के खिलाफ भरी भीड़ इकट्ठा हुई है।
मद्रास: करीब दो महीने से देश की राजधानी दिल्ली के शाहीन बाग में नागरिकता संशोधन कानून (CAA) और नेशनल रजिस्टर ऑफ सिटिजन्स (NPR) के खिलाफ विरोध हो रहा है। इसी कड़ी में अब बुधवार को चेन्नई की वालाजाह रोड पर प्रदर्शनकारियों के खिलाफ भरी भीड़ इकट्ठा हुई है।
बता दें कि यह प्रदर्शन कोर्ट के उस फैसले के अगले दिन हो रहा है, जिसमें मद्रास हाईकोर्ट ने मुस्लिम संगठनों की मांग पर रोक लगा दी थी, जिसमें वह सीएए, एनआरसी और एनपीआर के खिलाफ अपनी मांग पर दबाव बनाने के लिए तमिलनाडु विधानसभा का घेराव करना चाहते थे।
विधानसभा के सामने हो रहा हंगामा
बताया जा रहा है कि नागरिकता संशोधन कानून का विरोध कर रहे लोग चेन्नई के वालाजाह रोड पर भारी संख्या में भीड़ जुट चुकी है। प्रदर्शनकारियों ने चेपक में एक अस्थायी मंच बनाया है, जहां तमिलनाडु विधानसभा स्थित है। चेपक से सचिवालय की ओर जाने वाली सड़क को बैरिकेड्स की मदद से बंद कर दिया गया है। बताया जा रहा है कि प्रदर्शनकारियों ने इस दौरान कलईवनार आरंगम स्टेडियम से चेपक तक 200 मीटर की पैदल यात्रा की। हालांकि सुरक्षा के लिहाज से व्यापक प्रबंध किए गए हैं। बड़ी संख्या में पुलिसबल तैनात कर दिए गए हैं।
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क्यों हो रहा प्रदर्शन
बता दें कि न्यायमूर्ति एम सत्यनारायण और न्यायमूर्ति आर हेमलता की पीठ ने ‘फेडरेशन ऑफ तमिलनाडु इस्लामिक एंड पॉलिटिकल आर्गेनाइजेशन’ और इससे संबद्ध संगठनों को बुधवार से प्रस्तावित प्रदर्शन पर 11 मार्च तक के लिए अंतरिम रोक लगा दी है। प्रदर्शन के लिए अनुमति प्रदान करने से पुलिस को रोकने की मांग के संबंध में एक जनहित याचिका पर पीठ ने अंतरिम आदेश जारी किया। वहीं इस मामले में अब 12 मार्च को अगली सुनवाई होगी।
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अदालत ने दिया है ये आदेश
अदालत ने स्पष्ट किया कि वह संशोधित नागरिकता कानून या राष्ट्रीय नागरिक पंजीकरण या राष्ट्रीय जनसंख्या रजिस्टर पर कोई राय व्यक्त नहीं कर रही है। अन्नाद्रमुक सरकार पर दबाव बनाने के लिए घेराव प्रदर्शन का आह्वान किया गया था ताकि सीएए के विरोध में प्रस्ताव लाया जाए जैसा कि गैर भाजपा शासन वाले कई राज्यों ने किया है।
विधानसभा अध्यक्ष ने सत्र के दौरान विपक्षी द्रमुक द्वारा सीएए विरोधी प्रस्ताव लाने की अनुमति नहीं दी थी। संशोधित कानून को उच्चतम न्यायालय में चुनौती देने वाली याचिकाओं का हवाला देते हुए उन्होंने इसके लिए नोटिस की अनुमति देने से इनकार करते हुए कहा था कि मामला न्याय के अधीन है।