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पंजाब में चुनावी रंजिश: इसलिए हरसिमरत कौर ने दिया इस्तीफा, किसान बने मुद्दा

बृहस्पतिवार को केंद्रीय मंत्री हरसिमरत कौर बादल ने मोदी कैबिनेट से कृषि से जुड़े हुए विधेयकों की खिलाफत करते हुए इस्तीफा दे दिया। मंत्री हरसिमरत कौर ने ऐसे ही इस्तीफा नहीं दिया है, इसके पीछे एक अच्छी खासी योजना तैयार है।

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Published on: 18 Sep 2020 5:19 AM GMT
पंजाब में चुनावी रंजिश: इसलिए हरसिमरत कौर ने दिया इस्तीफा, किसान बने मुद्दा
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बृहस्पतिवार को केंद्रीय मंत्री हरसिमरत कौर बादल ने मोदी कैबिनेट से कृषि से जुड़े हुए विधेयकों की खिलाफत करते हुए इस्तीफा दे दिया।

नई दिल्ली: बृहस्पतिवार को केंद्रीय मंत्री हरसिमरत कौर बादल ने मोदी कैबिनेट से कृषि से जुड़े हुए विधेयकों की खिलाफत करते हुए इस्तीफा दे दिया। मंत्री हरसिमरत कौर ने ऐसे ही इस्तीफा नहीं दिया है, इसके पीछे एक अच्छी खासी योजना तैयार है। हरसिमरत में मोदी कैबिनेट की कुर्सी सोच-समझकर छोड़ी है ताकि डेढ़ साल बाद पंजाब में होने वाले चुनाव के समीकरण को साधने का दांव चला है। शिरोमणि अकाली दल ने केंद्रीय मंत्री पद त्यागकर बृहस्पतिवार को पंजाब के किसानों के बीच अपनी खिसकती हाथ से निकलती जमीन को बचाने की फिराक में हैं। अकाली दल प्रमुख सुखबीर सिंह बादल ने हरसिमरत कौर के इस्तीफे को पार्टी द्वारा किसानों के लिए एक बड़े बलिदान के रूप में प्रस्तुत किया है।

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सबसे पुरानी सहयोगी दल

शिरोमणि अकाली दल की ओर से मोदी सरकार में हरसिमरत कौर बादल ही सिर्फ कैबिनेट मंत्री थीं। बता दें, पंजाब की ये पार्टी भाजपा की सबसे पुरानी सहयोगी दल रही है। पंजाब में अकाली दल का राजनीतिक प्रभाव भाजपा से काफी अधिक है और यहां की राजनीति किसानों के इर्द-गिर्द सिमटी रहती है।

ऐसे में यही कारण है कि कृषि विधेयकों को लेकर लोकसभा में सुखबीर बादल ने कहा कि मोदी सरकार से उनकी पार्टी की एकमात्र मंत्री इस्तीफा दे देंगी। इसके तुरतं बाद हरसिमरत कौर ने इस्तीफे की घोषणा कर दी। वे मंत्री का पद त्यागने के कदम से अकाली दल पंजाब के किसानों की नाराजगी को खत्म करना चाहती है।

Harsimrat Kaur फोटो-सोशल मीडिया

विधानसभा चुनाव में मात्र डेढ़ साल

बता दें, पंजाब विधानसभा चुनाव में मात्र डेढ़ साल का ही समय शेष है। कृषि विधेयक के खिलाफ पंजाब के किसान सड़क पर हैं। पंजाब में किसान इतने ज्यादा आंदोलित हैं कि उन्होंने चेतावनी दी गई है कि जो भी सांसद इन बिलों के साथ होगा, उसे राज्य में घुसने नहीं दिया जाएगा।

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अकाली दल के लिए किसानों के तीखे रूख को देखते हुए सरकार के साथ खड़ा होना मुश्किल बनता जा रहा था। राजनीतिक समीकरण को देखते हुए किसानों के आक्रोश को अकाली दल अपने सिर नहीं लेना चाहती है। यही कारण है कि अकाली दल ने किसानों की हां में हां मिलाते हुए विधेयक के विरोध करने का रास्ता चुना है।

पंजाब की राजनीतिक पार्टी अकाली दल की निगाहें 2022 में होने वाले पंजाब के चुनावों पर है। ऐसे में अकाली दल के लिए उसके अपने वजूद का सवाल है। वे केंद्र सरकार में रहकर अपना राजनैतिक औदा दांव पर नही लगाना चाहती है। यही कारण है कि हरसिमरत कौर ने मोदी कैबिनेट की कुर्सी छोड़ दी है और कहा कि मैंने किसान विरोध अध्यादेश व कानूनों के विरोध में केंद्रीय मंत्रिमंडल से इस्तीफा दे दिया।

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