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यहां मंदिर टूटने पर हुआ प्रदेश बंद, जानें क्या है पूरा मामला
बंद का एलान करते हुए ऑल इंडिया आदि धर्म मिशन के राष्ट्रीय अध्यक्ष संत सतविंदर हीरा और साधु समाज के प्रधान संत सरवण दास महाराज ने कहा था कि हमारे समाज की धार्मिक भावनाएं आहत हुई हैं अब उनके संगठित होने का अहसास करवाना है ।
नयी दिल्ली: दिल्ली के तुगलकाबाद में श्री गुरु रविदास मंदिर तोड़ने का मामला तूल पकड़ता जा रहा है । दिल्ली से शुरू हुआ ये विरोध देशभर में फैल गया है । खासकर तौर पर पंजाब में सबसे ज्यादा विरोध हो रहा है । यह मंदिर सुप्रीम कोर्ट के आदेश पर तोड़ा गया था ।
बंद का एलान करते हुए ऑल इंडिया आदि धर्म मिशन के राष्ट्रीय अध्यक्ष संत सतविंदर हीरा और साधु समाज के प्रधान संत सरवण दास महाराज ने कहा था कि हमारे समाज की धार्मिक भावनाएं आहत हुई हैं अब उनके संगठित होने का अहसास करवाना है ।
इन घटनाक्रमों को देख पंजाब के सीएम कैप्टन अमरिंदर सिंह ने तो पीएम मोदी से मामले में दखल देने तक की अपील कर डाली । रविदास समाज के लोगों ने 13 अगस्त को भारत बंद के अलावा 15 अगस्त को काला दिवस मानने की अपील की है । कैप्टन सरकार ने मामले के हल के लिए कमेटी गठित की है । इस मुद्दे को लेकर सियासी हलचलें तेज हो गई हैं ।
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अब आपको बताते हैं कि रविदास समाज क्या है और क्यों सियासतदान इस मामले को लेकर इतने परेशान हैं और खुद को रविदास समाज का हिमायती बताने और जताने में लगे हैं । क्षेत्र की दृष्टि से देखें तो पंजाब तीन भागों में विभाजित है । वहीं जाति के आधार पर देखें तो कई आधार उभरकर सामने आते हैं । कुल मिलाकर पंजाब में सबसे मजबूत और प्रभावशाली जातीय समूह जट्ट सिखों का है । इसके बाद दलित आते हैं ।
पंजाब में रविदासिया एक अलग धर्म
पंजाब की सियासत में दलित मतदाताओं की अहम भूमिका रहती है । पंजाब में दलितों की संख्या कुल मतों का 32 प्रतिशत है । इसमें बाजीगर, रविदासिया, वाल्मीकी, चर्मकार आदि कई जातियां शामिल हैं । संत रविदास एक दलित परिवार में पैदा हुए ।
70 साल पहले हुई थी डेरा सचखंड की स्थापना
ऑस्ट्रिया की राजधानी विएना के एक गुरुद्वारे में एक कार्यक्रम के दौरान डेरा सच खंड धर्मगुरु रामानंद दास की हत्या कर दी गई थी । ये डेरा सच खंड के नेता थे । अब आपको बताते हैं कि गुरुद्वारा सचखंड साहिब किस प्रकार अन्य गुरुद्वारों से भिन्न हैं । पंजाब के डेरों में डेरा सचखंड साहिब बल्लां रामदासियों और रविदासियों का डेरा कहा जाता है । डेरा सच खंड की स्थापना 70 साल पहले संत पीपल दास ने की थी । पंजाब में डेरा सच खंड बल्लां के करीब 14 लाख अनुयायी हैं ।
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रविदासिया समाज ने पंजाब में चलाया दलित आंदोलन
वैसे तो पंजाब में 100 से ज्यादा अलग-अलग डेरें हैं, पर डेरा सच के अनुयायियों में ज्यादा संख्या में दलित सिख और हिंदू हैं । रविदासिया समाज की वजह से ही पंजाब में बड़े स्तर पर दलित आंदोलन चला और अपने नाम के साथ दैत्य, राक्षस जैसे उपनाम लगाने लगे । समाज में जात-पात और छुआछूत का विरोध करने के लिए ये आंदोलन चलाया गया ।
हर दल रविदासिया वर्ग को साधने की कोशिश में
रविदासिया वर्ग को साधने में कोई भी राजनीतिक पार्टी पीछे नहीं है । इसी साल संत रविदास के जन्म स्थान क्षीरगोबर्धनपुर जो बनारस में है, जाकर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने संत रविदास की सोने की प्रतिमा के सामने मात्था टेका था । इससे पहले राहुल गांधी वहां गए थे । बीएसपी नेता मायावती ने तो बनारस में भव्य रविदास प्रवेश द्वार और पार्क उनके नाम पर बनवाया । इतना ही नहीं 'सन्त रविदास नगर' नाम का एक जिला भी बनाया था ।
जहां तक बात पंजाब की करें तो यहां रविदास समाज सत्ता का रास्ता तय कराता है । प्रदेश में सरकारों को बनाने, गिराने और झुकाने का माद्दा भी ये समाज रखता है ।