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राम मंदिर ट्रस्टी विवाद: उठे कई सवाल, अब सुप्रीम कोर्ट जाने की तैयारी

अयोध्या में रामलला का भव्य मंदिर बनाने के लिए ट्रस्ट का गठित हो गया है और ट्रस्टी भी चुने जा चुके हैं। अब मंदिर निर्माण के मुहुर्त की तैयारियां चल रही हैं, लेकिन दूसरी ओर ट्रस्टियों के चयन को लेकर कुछ पक्षों में नाराजगी इस कदर है कि मुकदमा दायर करने की तैयारी है।

suman
Published on: 24 Feb 2020 10:17 AM IST
राम मंदिर ट्रस्टी विवाद: उठे कई सवाल, अब सुप्रीम कोर्ट जाने की तैयारी
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नई दिल्ली अयोध्या में रामलला का भव्य मंदिर बनाने के लिए ट्रस्ट का गठित हो गया है और ट्रस्टी भी चुने जा चुके हैं। अब मंदिर निर्माण के मुहुर्त की तैयारियां चल रही हैं, लेकिन दूसरी ओर ट्रस्टियों के चयन को लेकर कुछ पक्षों में नाराजगी इस कदर है कि मुकदमा दायर करने की तैयारी है। तीन पक्षकार ट्रस्टियों के चयन को लेकर सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाने की तैयारी कर रहे हैं।

अखिल भारत हिंदू महासभा के अध्यक्ष स्वामी चक्रपाणि ने ट्रस्टियों के चयन पर आपत्ति उठाते हुए उनकी अनदेखी पर सरकार को लीगल नोटिस भेजा है। अखिल भारत श्रीराम जन्मभूमि पुनरुद्धार समिति की भी रिट याचिका तैयार हो रही है। और तीसरे पक्षकार निर्वाणी अखाड़ा के महंत धर्मदास भी इसी तैयारी में हैं। उनकी ओर से दो तीन दिन में प्रधानमंत्री और गृहमंत्री को पत्र भेजा जाएगा और अगर उनकी बात पर ध्यान नहीं दिया गया तो वह भी कोर्ट का दरवाजा खटखटाएंगे। ये तीनों ही पक्ष हाईकोर्ट से लेकर सुप्रीम कोर्ट तक राममंदिर के लिए मुकदमा लड़े थे।

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आदेश का उल्लंघन

इसके अलावा श्री राम जन्मभूमि पुनुरोद्धार समिति के मुखिया और जगतगुरु शंकराचार्य ज्योतिष पीठ पीठेश्वर स्वामी स्वरूपानंद सरस्वती ने सरकार को नोटिस भेज कर ट्रस्ट के ट्रस्टियों में शामिल स्वामी वासुदेवानंद सरस्वती के आगे जगदगुरु शंकराचार्य ज्योतिषपीठ पीठेश्वर की पदवी लगाए जाने पर आपत्ति उठाते हुए इसे सुप्रीम कोर्ट के आदेश का उल्लंघन बताया है।

राम जन्मभूमि पुनरुद्धार समिति ने हाईकोर्ट से लेकर सुप्रीम कोर्ट तक राम मंदिर के हक में जोरदार पैरवी की थी। फैसला आने के बाद गत 14 नवंबर को स्वामी स्वरूपानंद के रामालय ट्रस्ट ने गृहमंत्रालय को एक ज्ञापन दिया जिसमें पुनुरोद्धार समिति की ओर से राम जन्मभूमि केस में की गई पैरवी का हवाला देते हुए कहा गया कि सुप्रीम कोर्ट के फैसले के मुताबिक श्री रामजन्मभूमि रामालय न्यास पूरी तरह उसके लिए फिट है। यह भी कहा था कि इसी ट्रस्ट को माना जा सकता है। न्यास अन्य हिन्दू धर्माचार्य तथा सरकारी अधिकारियों को भी ट्रस्ट मे शामिल करने को तैयार है। साथ ही सरकार जो शर्ते लगाएगी वह भी मानने को तैयार है। लेकिन सरकार की ओर से इस पर कोई जवाब नहीं दिया गया। श्री रामजन्मभूमि पुनरुद्धार समिति के सचिव स्वामी मुक्तेश्वरानंद जी कहते हैं कि उनकी ओर से एक तो लीगल नोटिस भेजा गया है और उसका रिमाइंडर भी अभी हाल में फिर भेजा गया है। उनका कहना है कि राम जन्मभूमि का मुकदमा प्रतिनिधि वाद था और उनकी ओर से लगातार मुकदमे की पैरवी हुई लेकिन फैसले के बाद सरकार ने ट्रस्ट गठन में मनमानी की है। ट्रस्टियों के लिए कोई मानदंड नहीं रखा गया। जिन लोगों ने राम मंदिर के लिए पैरवी की मुकदमा लड़ा उनकी अनदेखी की गई है। और जिन्होंने कुछ नहीं किया उन्हें शामिल किया गया।

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स्वामी चक्रपाणी का भी यही कहना है। यह मंदिर सुप्रीम कोर्ट के आदेश पर बन रहा है इसमें पक्षकारों को बुलाकर न बैठक की गई न ही विचार विमर्श हुआ। ट्रस्टियों का कोई मानक नहीं है। ऐसी ही नाराजगी निर्वाणी अखाड़ा के महंत धर्मदास में हैं। दैनिक जागरण से बातचीत में धर्मदास ने कहा कि वह दो तीन दिन में ही प्रधानमंत्री और गृहमंत्री को पत्र लिखेंगे और उनसे मुलाकात का समय मांगेगे अगर उनके पत्र पर सरकार ने कोई जवाब नहीं दिया तो वे सुप्रीम कोर्ट जाएंगे। धर्म का इतना बड़ा काम हो रहा है वह ठीक से होना चाहिए। यहां की सरकार रामलला हैं।



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