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राफेल तो आ गये लेकिन सिर्फ इससे नहीं बनेगी बात

फ़्रांस से पांच राफेल लड़ाकू जेट भारत पहुंच चुके हैं और अम्बाला एयर बेस पर तैनात हैं।

Newstrack
Published on: 3 Aug 2020 9:12 AM GMT
राफेल तो आ गये लेकिन सिर्फ इससे नहीं बनेगी बात
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नई दिल्ली: फ़्रांस से पांच राफेल लड़ाकू जेट भारत पहुंच चुके हैं और अम्बाला एयर बेस पर तैनात हैं। लेकिन कारगिल युद्ध के एक साल बाद 2000 में एयर फोर्स ने 126 फाइटर जेट्स की डिमांड रखी थी उसके बदले में 20 साल बाद सिर्फ 36 विमान ही मिल पाये हैं।

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कारगिल युद्ध खत्म होने के एक साल के बाद वर्ष 2000 के अगस्त महीने में भारतीय वायुसेना ने रक्षा मंत्रालय को बताया था कि उसे 126 मिराज 2000 फाइटर जेट्स की ज़रूरत है ताकि लड़ाकू जेट्स की कमी को पूरा किया जा सके। वायुसेना को लगता था कि मिराज एक सफल युद्धक और मल्टी-रोल फाइटर जेट है। सरकारी दस्तावेज़ों से पता चलता है कि वायुसेना ने न केवल एक या दो बल्कि तीन बार मंत्रालय को 126 मिराज 2000 - 2 जेट खरीदने के लिए राज़ी करने की कोशिश की थी। राफेल जेट्स का उस वक्त जिक्र करते हुए भारतीय वायुसेना ने तर्क दिया था कि किस तरह से मिराज न केवल सस्ते साबित होंगे, बल्कि ये अत्याधुनिक भी हैं। लेकिन उस वक्त की सरकार ने कोई कदम नहीं उठाया।

अब वायु सेना को युद्धक जेट तो दिए गए हैं लेकिन सिर्फ 36। सवाल है कि क्या इससे रक्षा जरूरतें पूरी हो जायेंगी?

काफी पुराने वाकये की याद अब शायद ही किसी को हो, लेकिन ऐसा नहीं है कि एयर फोर्स ने भी इसे भुला दिया हो।एक पूर्व वायुसेना प्रमुख ने बताया, हमने 126 फाइटर जेट्स हासिल करने के लिए 15 साल लगा दिए। तब एक दिन हमें बताया गया कि हमें केवल 36 जेट्स मिलने वाले हैं। उसमें भी 5-6 साल का वक्त लगेगा। और आज केवल पांच जेट आए हैं।

ज्यादा विमानों की जरूरत

पूर्व वायुसेना प्रमुख एयर चीफ मार्शल ए वाई टिपनिस बताते हैं, हमारे लंबे बॉर्डर्स को देखते हुए यह कुछ भी खास नहीं है। मुझे लगता है कि हमारे पास राफेल के कम से कम 4 से 5 स्क्वैड्रन होने चाहिए। चीन के पास शायद इतने अच्छे प्लेन न हों, लेकिन, उनके पास संख्या है। और यह चीज मायने रखती है।

अन्य पूर्व वायुसेना प्रमुख का कहना है कि वायुसेना के लड़ाकू जहाजों की संख्या तेजी से गिरकर 40 स्क्वैड्रन से 30 पर आ गई है। हर स्क्वैड्रन में 18 फाइटर जेट्स होते हैं। मिग 21 रिटायर हो जाएंगे, इसके बाद मिग 27 रिटायर हो जाएंगे। फिर जगुआर का नंबर आएगा। इस मुकाबले वायुसेना के पास नए जहाज नहीं आ पा रहे हैं। एयर टू एयर रीफ्यूलर्स और एयरबोर्न अर्ली वॉर्निंग एंड कंट्रोल प्लेन्स की संख्या भी बेहद कम रह गई है।

वैसे कइयों का मानना है कि पांच राफेल जेट्स ही रणनीतिक लिहाज़ से एक बेहतर मारक क्षमता मुहैया कराते हैं। एयर मार्शल एस बी देव कहते हैं, कि ये पांच जेट्स हमारी क्षमताओं को काफी बढ़ाएंगे। साथ ही ये हमारी टैक्टिकल बढ़त में भी इजाफा करेंगे।

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स्वदेशी की सुस्त चाल

भारत का अगली पीढ़ी का फाइटर एडवांस्ड मीडियम कॉम्बैट एयरक्राफ्ट (एएमसीए) है। इसका प्राथमिक डिजाइन तैयार है और पिछले करीब पांच साल से केंद्र सरकार से फुल स्केल इंजीनियरिंग डिवेलपमेंट (एफएसईडी) के लिए मंजूरी मिलने का इंतज़ार किया जा रहा है।

एचएएल के ज़रिए ज़्यादा संख्या में तेजस जेट्स को बनाने की कोशिशें हो रही हैं। 2016 में रक्षा मंत्रालय ने भारत के अपने फाइटर जेट्स हासिल करने की डील को मंजूरी दी थी। इसके जरिए 83 एलसीए तेजस एमके1ए (जेट का सबसे एडवांस्ड वर्जन) बनाने थे। लेकिन अभी तक यह ऑर्डर पूरा नहीं हो पाया है।

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