'चौकीदार चोर है' वाले बयान पर राहुल ने SC में मांगी माफी

राफेल पर सुप्रीम कोर्ट के हवाले से ‘चौकीदार चोर है ‘ के बयान पर कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी ने माफी मांग ली है।

Vidushi Mishra
Published on: 30 April 2019 10:37 AM GMT
चौकीदार चोर है वाले बयान पर राहुल ने SC में मांगी माफी
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नई दिल्ली: सुप्रीम कोर्ट के हवाले से 'चौकीदार चोर है' बयान पर आखिरकार कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी ने माफी मांग ली है। आज की सुनवाई के दौरान शीर्ष अदालत ने कांग्रेस अध्यक्ष के खेद जताने के तरीके पर काफी नाराजगी जताई और उन्हें फटकारा।

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कोर्ट ने पूछा कि क्या खेद जताने के लिए 22 पेज का हलफनामा दिया जाता है? इसके बाद राहुल के वकील अभिषेक मनु सिंघवी ने अपने मुवक्किल की तरफ से माफी मांगी। राहुल के इस बयान पर बीजेपी नेता मीनाक्षी लेखी ने अवमानना की याचिका दाखिल की थी।

कोर्ट ने राहुल को लगाई फटकार

मामले की सुनवाई कर रहे सीजेआई रंजन गोगोई, जस्टिस दीपक गुप्ता और जस्टिस संजीव खन्ना की बेंच ने कांग्रेस अध्यक्ष को फटकारते हुए उनके वकील से कहा कि ब्रैकिट में खेद जताने का क्या मतलब है? राहुल ने अपने दूसरे हलफनामे में खेद शब्द को ब्रैकिट में लिखा था।

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कोर्ट ने कहा कि राहुल गांधी बयान देते हैं और अब उसका बचाव कर रहे हैं। कोर्ट ने राहुल गांधी के वकील अभिषेक मनु सिंघवी से पूछा, 'आपने जो कहा, हमने वह कहां कहा था? सिंघवी ने कहा, 'राहुल गांधी ने अपनी गलती मानते हैं और इसके लिए माफी मांगते हैं।'

पहली बार राहुल गांधी के वकील ने माफी शब्द का प्रयोग किया है। सिंघवी ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट के हवाले से चौकीदार चोर है बयान देना गलत था। बाद में सिंघवी ने बताया कि वह अगले सोमवार से पहले इस संदर्भ में एक अडिशनल हलफनामा और दाखिल करेंगे जिसमें हम 'माफी' शब्द का प्रयोग करेंगे।

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राहुल गांधी ने अतिरिक्त हलफनामा दाखिल करने के लिए कोर्ट से समय मांगा। राहुल गांधी ने अंतिम मौका मांगा। राहुल के वकील सिंघवी ने कहा जो हलफनामे में कहा गया है वह माफी ही है।

कोर्ट ने राहुल को सोमवार से पहले हलफनामा फाइल करने को कहा। कोर्ट ने कहा कि यह हम तय करेंगे कि हलफनामे को स्वीकार करना है या नहीं।

सुनवाई के दौरान बीजेपी सांसद मीनाक्षी लेखी के वकील मुकुल रोहतगी ने सुप्रीम कोर्ट में कहा, 'उन्होंने (राहुल गांधी) जानबूझकर सुप्रीम कोर्ट के हवाले से इन शब्दों का इस्तेमाल किया, अभी उन्होंने केवल खेद व्यक्त किया है। जबकि अवमानना मामलों में कानून बिना शर्त माफी के साथ शुरू होता है।'

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