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Rahul Gandhi की सांसदी बहाल होने से कांग्रेस के तेवर हुए आक्रामक, INDIA की बैठक में पार्टी का पलड़ा होगा भारी
Rahul Gandhi Back As MP: राहुल गांधी की संसद सदस्यता बहाल होने से न केवल कांग्रेस बल्कि समूचे विपक्ष का हौसला बुलंद नजर आ रहा है। उल्लेखनीय बात यह है कि राहुल गांधी की संसद सदस्यता ऐसे समय में बहाल हुई है जब एक दिन बाद ही लोकसभा में अविश्वास प्रस्ताव पर चर्चा शुरू होने वाली है।
Rahul Gandhi Back As MP: मोदी सरनेम केस में सुप्रीम कोर्ट से राहत मिलने के बाद अब कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी की संसद सदस्यता भी बहाल हो गई है। लोकसभा सचिवालय की ओर से इस बाबत अधिसूचना भी जारी कर दी गई है। राहुल गांधी की संसद सदस्यता बहाल होने से न केवल कांग्रेस बल्कि समूचे विपक्ष का हौसला बुलंद नजर आ रहा है। उल्लेखनीय बात यह है कि राहुल गांधी की संसद सदस्यता ऐसे समय में बहाल हुई है जब एक दिन बाद ही लोकसभा में अविश्वास प्रस्ताव पर चर्चा शुरू होने वाली है।
संसद के मानसून सत्र के आखिरी हफ्ते में अब कांग्रेस के तेवर काफी आक्रमक रहने की संभावना है। माना जा रहा है कि अब अविश्वास प्रस्ताव पर चर्चा के दौरान राहुल गांधी प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के खिलाफ सीधा मोर्चा खोलेंगे। विपक्षी दलों के गठबंधन इंडिया की बैठक इस महीने के आखिर में मुंबई में होने वाली है। विपक्षी दलों के गठबंधन में भी कांग्रेस का पलड़ा भारी होगा।
विपक्षी दलों की ओर से अभी तक किसी को पीएम चेहरा बनाने का फैसला नहीं किया गया है मगर अब कांग्रेस राहुल को पीएम चेहरा बनाने के लिए दबाव बढ़ा सकती है। अगर विपक्षी दलों में सहमति बन गई तो 2024 का चुनाव एक बार फिर मोदी बनाम राहुल गांधी हो सकता है।
137 दिनों बाद संसद में वापसी
मोदी सरनेम केस में सूरत की सत्र अदालत की ओर से राहुल गांधी को गत 23 मार्च को दो साल की सजा सुनाई गई थी। इसके 24 घंटे बाद ही 24 मार्च को राहुल गांधी की संसद सदस्यता रद्द करने की अधिसूचना जारी हो गई थी। शुक्रवार को सुप्रीम कोर्ट ने राहुल की दोष सिद्धि और सजा पर रोक लगा दी थी और आज लोकसभा सचिवालय की ओर से राहुल गांधी की सांसदी बहाल होने की अधिसूचना जारी कर दी गई।
इस तरह के रोल की वायनाड सीट से लोकसभा चुनाव जीतने वाले राहुल गांधी की 137 दिनों बाद संसद में वापसी हुई है। कांग्रेस के राष्ट्रीय अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे और पी चिदंबरम समेत पार्टी के कई अन्य वरिष्ठ नेताओं ने राहुल की संसद में वापसी का स्वागत किया है। राहुल गांधी की वापसी से कांग्रेस नेताओं और पार्टी कार्यकर्ताओं में भी नए उत्साह का संचार हुआ है।
पीएम मोदी के खिलाफ मोर्चा खोलेंगे राहुल
सांसदी जाने से पहले राहुल गांधी ने बजट सत्र के दौरान अडानी मुद्दे को लेकर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पर तीखा हमला बोला था। उन्होंने अमेरिकी फॉर्म हिंडनबर्ग की रिपोर्ट का हवाला देते हुए उद्योगपति गौतम अडानी पर कई आरोप लगाए थे। उन्होंने मोदी सरकार पर अडानी को लाभ पहुंचाने का बड़ा आरोप लगाया था। अब संसद में मंगलवार से अविश्वास प्रस्ताव पर चर्चा शुरू होने वाली है जिसके बाद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी गुरुवार को चर्चा का जवाब देंगे।
सियासी जानकारों का मानना है कि अब अविश्वास प्रस्ताव पर चर्चा के दौरान राहुल गांधी एक बार फिर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के खिलाफ सीधा मोर्चा खोल सकते हैं। सांसदी रद्द किए जाने के बावजूद राहुल गांधी के तेवर तनिक भी ढीले नहीं पड़े थे। संसद के बाहर वे लगातार भाजपा और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पर हमला करने में जुटे हुए थे मगर अब वे संसद में भी भाजपा और मोदी के खिलाफ अपना वही पुराना तीखा तेवर दिखा सकते हैं।
राहुल गांधी ने पहले ही दे दिया संकेत
सुप्रीम कोर्ट से राहत मिलने के बाद अपने पहले बयान में राहुल गांधी ने कहा था कि आज नहीं तो कल सच्चाई की जीत जरूर होती है। मुझे अपना लक्ष्य पता है और मैं जानता हूं कि मुझे क्या करना है। राहुल गांधी के इस बयान से कांग्रेस और विपक्षी दलों के गठबंधन इंडिया की भविष्य की रणनीति का साफ संकेत मिला था। अपने बयान से राहुल गांधी ने साफ कर दिया था कि वे संसद के बाहर रहें या संसद में मगर वे भाजपा और पीएम मोदी के खिलाफ हमलावर रुख जारी रखेंगे।
राहुल गांधी की सांसदी बहाल होने के बाद अब कांग्रेस और इंडिया गठबंधन को नई ताकत मिली है। जानकारों का मानना है कि राहुल गांधी अब संसद में फिर उन मुद्दों को धार देंगे जिनके जरिए वे मोदी सरकार को अभी तक घेरते रहे हैं। संसद में राहुल की वापसी से कांग्रेस की आक्रामकता में और बढ़ोतरी तय मानी जा रही है। इसका नजारा अविश्वास प्रस्ताव पर चर्चा के दौरान ही दिख सकता है क्योंकि राहुल गांधी का इसमें हिस्सा लेना अब तय माना जा रहा है।
विपक्षी एकता को मिली मजबूती
राहुल गांधी की संसद सदस्यता बहाल होने से विपक्षी एकता को भी मजबूती मिली है। राहुल गांधी को भाजपा के खिलाफ सबसे मजबूत आवाज माना जाता रहा है। जदयू महासचिव केसी त्यागी का कहना है कि राहुल गांधी विपक्षी गठबंधन में शामिल सबसे बड़ी पार्टी के सबसे बड़े नेता हैं। उनके तेवर से विपक्षी गठबंधन को नई मजबूती मिलेगी।
विपक्षी खेमे में राहुल गांधी अकेले ऐसे नेता हैं जिन्होंने भाजपा और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के खिलाफ सीधा मोर्चा खोल रखा है। ऐसे में उनकी संसद में वापसी से इंडिया गठबंधन को भी नई ताकत मिली है।
पीएम चेहरे के लिए कांग्रेस बढ़ाएगी दबाव
सुप्रीम कोर्ट की ओर से राहुल गांधी को राहत मिलने के बाद से ही इंडिया गठबंधन में हलचल तेज होती नहीं दिख रही है। विपक्षी दलों की ओर से अभी तक प्रधानमंत्री पद का कोई चेहरा नहीं तय किया गया है।
बेंगलुरु में हुई विपक्षी दलों की बैठक के दौरान कांग्रेस के अध्यक्ष मलिकार्जुन खड़गे ने स्पष्ट तौर पर कहा था कि उनकी पार्टी को सत्ता या प्रधानमंत्री पद में कोई भी दिलचस्पी नहीं है। वैसे खड़गे ने जिस वक्त यह बयान दिया था उस समय स्थितियां दूसरी थीं।
अब सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद हालात पूरी तरह बदल चुके हैं। अब राहुल गांधी के सांसदी बहाल होने के साथ ही उनके अगले साल लोकसभा चुनाव लड़ने का रास्ता भी पूरी तरह साफ हो गया है। गुजरात हाईकोर्ट से राहुल गांधी को राहत न मिलने के कारण कांग्रेस की ओर से पीएम पद को लेकर ज्यादा तवज्जो नहीं दी जा रही थी। पूर्व में पीएम पद के लिए राहुल गांधी का नाम उछालने वाले कांग्रेसी नेता भी खामोश बैठे हुए थे मगर अब कांग्रेस के सुर भी बदलने की संभावना काफी बढ़ गई है।
फिर हो सकती है मोदी बनाम राहुल की जंग
विपक्षी दलों की मुंबई बैठक के दौरान पीएम चेहरे के रूप में राहुल गांधी को आगे करने का मुद्दा भी उठ सकता है। अगर विपक्षी दलों में राहुल गांधी के नाम पर सहमति बन गई तो 2024 का चुनाव एक बार फिर मोदी बनाम राहुल गांधी हो सकता है। कांग्रेस नेताओं की ओर से समय-समय पर राहुल गांधी का नाम पीएम फेस के रुप में उछाला जाता रहा है और अब इसके लिए दबाव बढ़ सकता है।
हालांकि यह सच है कि कुछ विपक्षी दलों को राहुल गांधी का नाम स्वीकार नहीं है मगर भारत जोड़ो यात्रा के बाद देशव्यापी स्तर पर राहुल गांधी की स्वीकार्यता बढ़ी है। कुछ विपक्षी नेता भी राहुल गांधी के नाम पर सहमत हैं और कांग्रेस भी राहुल को लेकर काफी सक्रिय नजर आ रही है। ऐसे में आने वाले दिनों में भाजपा और पीएम मोदी के खिलाफ लड़ाई में राहुल की भूमिका सबसे अहम मानी जा रही है।