Rajasthan News: दलित-आदिवासी उत्पीड़न की घटनाएं बिगाड़ सकती हैं कांग्रेस का खेल, जानें क्या कहता है चुनावी ट्रेंड

Rajasthan News: राज्य में बीते पांच साल से सरकार चला रही कांग्रेस तमाम अंदरूनी कलहों के बावजूद सत्ता बरकरार रखना चाहती है। मगर एक के बाद एक दलित-आदिवासी समुदाय के लोगों से जुड़ी उत्पीड़न की घटनाएं उसका मार्ग मुश्किल बनाते जा रही हैं।

Krishna Chaudhary
Published on: 2 Sep 2023 11:30 AM GMT
Rajasthan News: दलित-आदिवासी उत्पीड़न की घटनाएं बिगाड़ सकती हैं कांग्रेस का खेल, जानें क्या कहता है चुनावी ट्रेंड
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राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत: Photo- Social Media

Rajasthan News: राजस्थान हिंदी पट्टी का वह राज्य है, जहां अगले कुछ महीने में विधानसभा चुनाव का बिगुल फूंका जाएगा। आसन्न चुनाव को लेकर राज्य में सियासी सरगर्मी पहले से बढ़ी हुई है। हर पांच वर्ष पर सत्ता पलट देने वाली यहां की जनता इस बार क्या करेगी, इसे लेकर अटकलों का दौर जारी है। राज्य में बीते पांच साल से सरकार चला रही कांग्रेस तमाम अंदरूनी कलहों के बावजूद सत्ता बरकरार रखना चाहती है। मगर एक के बाद एक दलित-आदिवासी समुदाय के लोगों से जुड़ी उत्पीड़न की घटनाएं उसका मार्ग मुश्किल बनाते जा रही हैं।

बगल के राज्य मध्य प्रदेश जहां इस साल अंत में राजस्थान के साथ ही विधानसभा चुनाव होने हैं, वहां विपक्षी की भूमिका निभा रही कांग्रेस ऐसी घटनाओं पर बीजेपी को घेरने का कोई मौका नहीं गंवाती। लेकिन राजस्थान में तस्वीर इसके ठीक विपरीत है, यहां विपक्षी बीजेपी सत्तारूढ़ कांग्रेस के सामने वैसे ही चुनौती पेश कर रही है। प्रतापगढ़ जिले की एक आदिवासी महिला के साथ हुई हैवानियत के बाद कांग्रेस एकबार फिर बैकफुट पर है। विपक्षी बीजेपी ने सत्तारूढ़ दल पर जोरदार हमला बोला है।

क्या है महिला को निर्वस्त्र कर घुमाने का मामला ?

प्रतापगढ़ जिले के धरियावाद में एक महिला को उसके पति और ससुराल पक्ष के अन्य लोगों ने निर्वस्त्र कर गांव में दौड़ाया और मारपीट की। महिला की गलती ये थी कि वह अपने पति को छोड़कर गांव के ही अपने प्रेमी के साथ भाग गई थी। दो दिन पहले उसके पति ने महिला को पकड़ लिया था और उसे जबरन लेकर गांव आ गया। 31 अगस्त की शाम लोगों के सामने महिला के कपड़े उतारकर गांव में घुमाया गया, इस दौरान महिला रहम की भीख मांगती रही। वहां मौजूद लोगों में से किसी ने इस घटना का वीडियो बना लिया और अगले दिन यानी 1 सितंबर को इंटरनेट पर डाल दिया।

शुक्रवार शाम तक वीडियो वायरल हो गया। वीडियो इतना बर्बर था कि लोगों का गुस्सा फूट पड़ा। इसके बाद पुलिस –प्रशासन भी हरकत में आया और आरोपियों के धरपकड़ का काम शुरू किया। पीड़िता ने रात में ही अपने पति समेत अन्य आरोपियों के विरूद्ध केसरियावाद थाने में शिकायत दर्ज कराई। पुलिस इस मामले में अभी तक सात लोगों को गिरफ्तार कर चुकी है, जबकि चार लोगों को हिरासत में लेकर पूछताछ कर रही है। बता दें कि इस मामले में पीड़ित और आदिवासी दोनों पक्ष आदिवासी समुदाय के हैं।

डैमेज कंट्रोल में जुटे अशोक गहलोत

मुख्यमंत्री अशोक गहलोत और उनकी सरकार घटना के बाद से विपक्ष के निशाने पर है। बीजेपी ने उनके खिलाफ मोर्चा खोल दिया है। स्थिति की गंभीरता को देखते हुए सीएम गहलोत डैमेज कंट्रोल में जुट गए हैं। उन्होंने धरियावद पहुंचकर पीड़िता से मुलाकात की। ये मुलाकात करीब 20 मिनट तक चली। इस दौरान पीड़िता के माता-पिता भी साथ थे। राजस्थान सीएम ने 10 लाख रूपये और पीड़िता को सरकारी नौकरी देने की घोषणा की।

घटना को लेकर राजनीति गरमाई

प्रतापगढ़ कांड को लेकर चुनावी दहलीज पर खड़े राजस्थान की राजनीति गरमा गई है। मणिपुर और बीजेपी शासित राज्यें दलित-आदिवासी उत्पीड़न की घटनाओं पर हमलावर रहने वाली कांग्रेस पर अब बीजेपी अटैक कर रही है। बीजेपी के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा आज राजस्थान में थे। उन्होंने प्रतापगढ़ की घटना को चौंकाने वाला बताते हुए कहा कि प्रदेश में शासन व्यवस्था पूरी तरह नदारद है। उन्होंने कहा कि राज्य में महिला सुरक्षा के मुद्दे को नजदरअंदाज किया जा रहा है। राजस्थान के लोग राज्य सरकार को सबक सिखाएंगे।

इससे पहले पूर्व सीएम और सीनियर बीजेपी लीडर वसुंधरा राजे सिंधिया पर मुख्यमंत्री अशोक गहलोत पर निशाना साधा चुकी हैं। वहीं, राज्य के अन्य भाजपा नेताओं ने मणिपुर की घटना पर हायतौबा मचाने वाली कांग्रेस और उसके शीर्ष नेतृत्व के इस पर चुप्पी साधे जाने की आलोचना की है।

बीजेपी के लगातार जारी हमले का सीएम अशोक गहलोत ने भी जवाब दिया है। उन्होंने कहा कि बीजेपी इस घटना की मणिपुर की घटना से तुलना कर आरोपियों की मदद कर रही है। केस की गंभीरता को कम कर रहे हैं।

राजस्थान में बिगड़ सकता है कांग्रेस का खेल

राजस्थान से एक के बाद एक ऐसी घटनाएं सामने आ रही हैं, जिससे सूबे के लॉ एंड ऑर्डर पर सवाल खड़े हो रहे हैं। जुलाई माह में करौली में एक दलित युवती का गैंगरेप कर उसकी गोली मारकर हत्या कर दी गई थी। फिर उसके चेहरे को ज्वलनशील पदार्थ से जला दिया गया था। इस जघन्य घटना ने खूब तूल पकड़ा था। बीते सालों में राज्य से ऐसे कई मामले सामने आ चुके हैं, जिसके कारण दलित - आदिवासी बहुल सीटों पर कांग्रेस के खिलाफ माहौल बनता जा रहा है। बीजेपी इन मुद्दों को जोरदार तरीके से उठाकर दलित - आदिवासी मतदाताओं को अपने पक्ष में करने में जुटी हुई है।

200 में से 59 सीटें एससी/एसटी के लिए रिज़र्व

राजस्थान की राजनीति में एससी/एसटी की रिजर्व सीटें अहम भूमिका अदा करती हैं। 200 सीटों वाली विधानसभा में 59 सीटें एससी और एसटी वर्ग के लिए आरक्षित हैं। जिनमें एससी वर्ग के लिए 34 और एसटी वर्ग के लिए 25 सीटें आरक्षित है। जिस पार्टी ने अधिकांश रिजर्व सीटों पर जीत हासिल की है, प्रदेश में उसकी सरकार बनी है। 2008 में जब कांग्रेस विजयी हुई थी, तब उसे कुल 96 सीटें हासिल हुई थीं। इनमें से 34 सीटें रिजर्व कोटे वाली थीं।

2013 के विधानसभा चुनाव में राजस्थान में कांग्रेस का सूफड़ा साफ हो गया था। पार्टी महज 21 सीटें जीत पाई थीं। जिनमें रिजर्व सीटों की संख्या महज 4 थी। भाजपा को तब कुल 59 रिजर्व सीटों में से 50 पर जीत हासिल हुई थी। पांच साल बाद यानी 2018 में जब फिर से राज्य में कांग्रेस की वापसी हुई तो रिजर्व श्रेणी की सीटों ने उसमें भूमिका निभाई। कांग्रेस को कुल 99 सीटें मिली थीं, जिसमें से इनमें 31 सीटें रिजर्व कैटेगरी की थी। राजस्थान के एससी और एसटी मतदाता आगामी चुनाव में किस पर अपना यकीन दिखाते हैं, ये नतीजे तय करेंगे।

Krishna Chaudhary

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